श्री गीता जयंती ️*
   3 दिसंबर 2022 शनिवार

*पर्व ज्ञानामृत
*श्रीमद्भगवत गीता—:*

भगवदगीता सनातन धर्म के पवित्र ग्रन्थों में से एक हैं जिसे मनुष्य के जीवन का सार माना जाता हैं आज से लभगभ 5,000 वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था जिसे भगवदगीता के नाम से जाना जाता हैं और इसे श्रीमद्भगवद्गीता व गीतोपनिषद् भी कहा जाता है।

अक़्सर मन में यह सवाल आता है कि ज़िन्दगी क्या हैं और हमारे जीवन का उद्देश्य क्या हैं या फ़िर मौत के बाद क्या होता है आदि तो आपको श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें जीवन के सभी सवालों के जवाब दिये गए है।

सही मायने में यह नर और नारायण का वार्तालाप है, भगवान ने अर्जुन को माध्यम बनाकर संसार के प्रत्येक मनुष्य को उपदेश किया है।

भगवदगीता में जीवन का अनमोल ज्ञान दिया गया है इसलिए इसे वैज्ञानिक, मनस्विद, राजनीतिज्ञ, संन्यासी, दार्शनिक, शिक्षक या विद्यार्थी कोई भी हो सभी को जीवन मे भगवदगीता को ज़रूर पढ़ना चाहिए जिसे आप अपने जीवन को औऱ बेहतर बना सकते हैं क्योंकि यह जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करती है।

जब इंसान अर्जुन की तरह कुरुक्षेत्र रुपी जीवन में अवसाद व परेशानियों से घिर जाता है, जब इंसान को विपरीत परिस्थितियों में चारों तरफ घनघोर अंधकार दिखता है, तो फिर ऐसी परिस्थिति में यह ग्रंथ आपके अंदर नव ऊर्जा का संचार, सामर्थ्य, शक्ति, नवचेतना, नई दिशाएं, प्रकाश और ज्ञान प्रदान करता है।

कुरूक्षेत्र में गीता का उपदेश न केवल अर्जुन को ही मिला बल्कि यह 3 औऱ लोगों ने सीधें भगवान श्री कृष्ण से ग्रहण किया। पहले संजय जिनको दिव्य दृष्टि दी गईं थी ताकि वह कुरुक्षेत्र युद्ध मे होने वाली सभी घटनाओं को राजा धतराष्ट्र को बता सकें।
दूसरे हनुमानजी जोकि अर्जुन के रथ पर विराजमान थे औऱ तीसरे बर्बरीक जोकि घटोत्कच का पुत्र था वह यह सब एक पहाड़ी के ऊपर से देख रहा था इस प्रकार लगभग 5,000 वर्षों पहले भगवदगीता का उपदेश दिया गया था।

भगवदगीता को समस्त ग्रन्थों में सवश्रेष्ठ माना गया है, भगवदगीता में 18 अध्याय दिये गए हैं जिसमे आपको कुल 700 छंद मिलते हैं, श्रीमद्भागवत गीता को मूलतः संस्कृत भाषा मे लिखा गया है जिसे 175 भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है जैसे अरबी, चीनी, रूसी, स्पेनिश, इतालवी, जापानी, कोरियाई, फारसी, डच, फ्रेंच, जर्मन, उर्दू इंग्लिश इत्यादि।
   ➖➖➖➖➖➖➖
*भगवदगीता गीता अध्याय-:*

1. पहला अध्याय- कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरीक्षण
2. दूसरा अध्याय- गीता का सार
3. तीसरा अध्याय- कर्मयोग
4. चौथा अध्याय- दिव्य ज्ञान
5. पांचवा अध्याय- कर्मयोग कृष्णाभावनाभावित कर्म
6. छठा अध्याय- ध्यानयोग
7. सातवां अध्याय- भगवद्ज्ञान
8. आठवां अध्याय- भगवत्प्राप्ति
9. नौवां अध्याय- परम गुह्य ज्ञान
10. दशवां अध्याय- श्रीभगवान का ऐश्वर्य
11. ग्यारावां अध्याय- विराट रूप
12. बारहवाँ अध्याय- भक्तियोग
13. तेरहवा अध्याय- प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
14. चौदहवा अध्याय- प्रकृति के तीन गुण
15. पन्द्रहवा अध्याय- परुषोत्तम योग
16. सोलहवां अध्याय- देवी तथा आसुरी स्वभाव
17. सत्रहवां अध्याय- श्रद्धा के विभाग
18. अठारहवां अध्याय- संन्यास की सिद्धि
     ➖➖➖➖➖➖➖

*श्रीमद्भागवत गीता क्यों पढ़े..?*
➖इस ग्रंथ को पढ़ने से वह समझने से मनुष्य अपने कर्तव्यों को भलीभांति पहचान सकता है।
और साथ-साथ अपने मानवीय व देवीय गुणों का विकास कर सकता है,और वैसे भी हमारे ग्रन्थों में मनुष्य योनि को सबसे सवश्रेष्ठ बताया गया हैं लेक़िन मानव जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरता हैं हमें हर मोड़ पर अनेकों परेशनियों का सामना करना पड़ता हैं जो हमारे जीवन को उथलपुथल कर देती है औऱ इन्ह समस्या का समाधान ढूंढना बेहद कठिन होता हैं। इसलिए हमें श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ना चाहिए क्योंकि यह मानव जीवन का सार है जिसमें मनुष्य के हर सवाल का जवाब मिलता हैं और भगवदगीता को समस्त ग्रन्थों में सवश्रेष्ठ माना गया है इसलिए समस्त ग्रन्थों को पढ़ने के बजाय आप केवल श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ सकते है।

➖भगवदगीता एक ऐसा श्रेष्ठ ग्रंथ है जिसकों हर क्षेत्र का व्यक्ति पढ़ सकता हैं जैसे वैज्ञानिक, मनस्विद, राजनीतिज्ञ, संन्यासी, दार्शनिक, शिक्षक या विद्यार्थी कोई भी हो सभी को जीवन मे भगवदगीता को ज़रूर पढ़ना चाहिए ताकि हम अपने जीवन को बेहतर तरीके से समझ सके व बेहतर बना सके।

➖माना जाता है कि अगर आपके घर मे भगवद्गीता है तो यह आपके घर मे सुखः, शांति औऱ तरक्की को लेकर आती हैं और यह मनुष्य जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने का सबसे बेहतर ग्रंथ है, यह ग्रंथ सभी क्षेत्रों में आप को सर्वश्रेष्ठ सफलता प्रदान करने में सहायक साबित होगा।

➖श्रीमद्भगवद्गीता स्वयं सिद्ध ग्रंथ है क्योंकि यह भगवान के श्री मुख से निकला हुआ एकमात्र ग्रंथ है… इसके प्रत्येक श्लोक संपूर्ण शाश्वत सिद्ध मंत्र है।

➖भगवद गीता किसी जाति, संप्रदाय का ग्रंथ नहीं है यह संपूर्ण मानव जाति का ग्रंथ है… इस ग्रंथ के उपदेश प्रत्येक कालखंड के प्रत्येक मनुष्य के लिए हमेशा सदा  नूतन व शाश्वत है।
अतः इसलिए यह श्रीमद्भागवत गीता प्रत्येक मनुष्य के घर में होना आवश्यक है और इसका अध्ययन भी प्रत्येक मनुष्य को अवश्य करना चाहिए,,जब मनुष्य श्रीमद् भागवत गीता का नित्य प्रति दिन श्रद्धा पूर्वक इसका अध्ययन करेगा तो फिर यह गीता मनुष्य के जीवन में जरूर उतर के आएगी और मानव जीवन को श्रेष्ठता प्रदान करेगी।।

03 दिसंबर 2022 को गीता जयंती है। इस दिन भगवान के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश निकले थे। अतः आप सभी से निवेदन है की श्रीमद् भागवद गीता का प्रचार प्रसार ज्यादा से ज्यादा करें,अपने मित्र व परिजनों को श्रीमद्भगवत गीता की पुस्तक ज्यादा से ज्यादा भेंट करें।।

*यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।*
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।*

           *जयश्री राधेकृष्णा*
                      ️



*Festival of Knowledge Nectar *Srimad Bhagavatam Gita—:*

Bhagavadgita is one of the sacred texts of Sanatan Dharma which is considered to be the essence of human life. About 5,000 years ago, Lord Shri Krishna preached to Arjuna which is known as Bhagavadgita and it is also known as Srimad Bhagavadgita and Geetopanishad. Is.

Often the question comes in the mind that what is life and what is the purpose of our life or what happens after death etc. then you should read Shrimad Bhagwat Geeta because all the questions of life have been answered in it.

In true sense it is a conversation between Nar and Narayan, the Lord preached to every human being in the world by making Arjuna the medium.

Precious knowledge of life has been given in Bhagavad Gita, so be it scientist, psychologist, politician, ascetic, philosopher, teacher or student, everyone must read Bhagavad Gita in life, which you can make your life better because it is important for life. Guides you at every turn.

When a person is surrounded by depression and troubles in Kurukshetra life like Arjuna, when a person sees dense darkness all around in adverse circumstances, then in such a situation, this book will infuse new energy, strength, power, new consciousness, Provides new directions, light and knowledge.

In Kurukshetra, not only Arjuna got the teachings of Geeta, but it was also received by 3 other people directly from Lord Shri Krishna. First Sanjaya who was given divine vision so that he could tell all the events of Kurukshetra war to King Dhatarastra. Second Hanumanji who was sitting on the chariot of Arjuna and thirdly Barbarika who was the son of Ghatotkacha was watching all this from the top of a hill. Thus the Bhagavadgita was preached about 5,000 years ago.

Bhagavadgita is considered the best of all the texts, 18 chapters are given in Bhagavadgita, in which you get a total of 700 verses, Shrimad Bhagwat Gita is originally written in Sanskrit language which has been translated into 175 languages ​​like Arabic, Chinese, Russian, Spanish, Italian, Japanese, Korean, Persian, Dutch, French, German, Urdu English etc. *Bhagavadgita Geeta Chapter-:*1. Chapter 1 – Military inspection at the battlefield of Kurukshetra 2. Second Chapter – The essence of Gita 3. Third Chapter – Karmayoga 4. Fourth Chapter – Divine Knowledge 5. Chapter Five – Karma Yoga Actions in Krishna Consciousness 6. Sixth Chapter – Meditation 7. Seventh Chapter – Bhagavadgyan 8. Eighth Chapter – Realization of God 9. Ninth Chapter – The Ultimate Secret Knowledge 10. Tenth Chapter – The Glory of the Supreme Lord 11. Eleventh Chapter – Virat Roop 12. Chapter Twelfth – Bhakti Yoga 13. Thirteenth Chapter – Prakriti, Purush and Consciousness 14. Chapter Fourteen – The Three Qualities of Nature 15. Chapter Fifteen – Parushottam Yoga 16. Sixteenth Chapter – Goddess and demonic nature 17. Chapter Seventeen – Divisions of Faith 18. Eighteenth Chapter – Accomplishment of Sannyas

*Why read Shrimad Bhagwat Gita..?* By reading this book and understanding it, a man can recognize his duties very well. And at the same time can develop its human and divine qualities, and anyway in our texts, human vagina has been described as the best, but human life goes through many difficulties, we have to face many difficulties at every turn, which It turns life upside down and it is very difficult to find solutions to these problems. That’s why we should read Shrimad Bhagwat Geeta because it is the essence of human life in which every question of human being is answered and Bhagavad Geeta is considered the best of all texts so instead of reading all the texts you can read only Shrimad Bhagwat Geeta.

Bhagavad Gita is such a great book that a person from every field can read, such as scientist, psychologist, politician, ascetic, philosopher, teacher or student, everyone must read Bhagavad Gita in life so that we can understand our life in a better way. Can make it better.

It is believed that if you have Bhagavad Gita in your home, it brings happiness, peace and progress in your home and it is the best book to prove the significance of human life, this book will give you the best success in all fields. Will prove to be helpful in doing. ➖Shrimad Bhagavad Gita is a self-proven book because it is the only book that came out of the Lord’s mouth… Each verse of it is a complete eternal proven mantra.

Bhagavad Gita is not a book of any caste, sect, it is a book of the entire human race… The teachings of this book are always new and eternal for every human being of every period. Therefore, therefore, this Shrimad Bhagwat Geeta is necessary to be in the house of every human being and it must be studied by every human being, when a human being will study Shrimad Bhagwat Geeta with devotion every day, then this Geeta will definitely come in the life of a human being. And will give superiority to human life.

Geeta Jayanti is on 03 December 2022. On this day the teachings of Shrimad Bhagwat Gita came out from the mouth of God. Therefore, all of you are requested to spread the propaganda of Shrimad Bhagwad Geeta as much as possible, gift the book of Shrimad Bhagwad Geeta to your friends and relatives as much as possible.

*Whenever there is a loss of religion, India.* *I create that Self that is the rise of irreligion.* *For the salvation of the righteous and the destruction of the wicked.* *I am able to establish righteousness in every age.*

*Jaishree Radhakrishna* ️

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *