एक बार एक नगर मे कई व्यक्ति बड़े दुःखी थे बस अपने दुखों की दवा पाने के लिये इधरउधर मारे मारे फिरते थे!
एक बार उस नगर मे कोई संत आये और वो रोज प्रवचन दिया करते थे एक दिन जब वो प्रवचन देकर उठे तो बाहर से एक आदमी आया और वो लोगो को मिठाई बाँट रहा था और खुशी मे झूम रहा था लोगो ने पूछा अरे भाई क्या मिल गया तुम्हे ऐसा की इतने खुश हो रहे हो और ये मिठाई किस बात की बाँट रहे हो?
तो उसने कहाँ मेरे जीवन की एक बहुत ही गम्भीर समस्या थी मै उस समस्या से बड़ा दुःखी रहता था भगवान श्री राम की इस कथा मे आने से मेरी उस समस्या का समाधान हो गया उस करुणानिधान ने मेरी सारी समस्या को समाप्त कर दिया! तो लोगो ने पूछा की आखिर ऐसा क्या मिला तो उसने कहा मिला नही मेरा घोड़ा खो गया तो लोगो ने पूछा की घोड़ा मूल्यहीन होगा इसलिये लड्डू बाँट रहा है तो उसने कहा अरे नही वो तो बहुत ही चंचल और मूल्यवान है पर वो खो गया इसलिये मै बड़ा खुश हुं उसने सन्त श्री के चरणों मे खुब प्रणाम किया और नाचते गाते चला गया!
सभी लोग सन्त श्री के पास गये और उन्होंने कहा की हे देव ये कैसा पागल इंसान है जो लोगों से कह रहा है और मिठाई बाँट रहा है की इस कथा मे मेरा घोड़ा खो गया है ये कैसा पागल है?
तो सन्त श्री ने कहा की यहाँ मेरी कथा सार्थक हो गई तो लोगो ने कहा की हॆ देव हम आपका मतलब नही समझ पा रहे है तो सन्त श्री ने कहा की मै तो यही चाहता हुं जो भी कथा मे आये उन सब के घोड़े खो जाये तो लोगो ने कहा की हमारे पास तो घोड़े है ही नही तो फिर घोड़े खोयेँगे कैसे तो सन्त श्री ने जो उत्तर दिया तो सब अवाक रह गये!
सन्त श्री ने कहा की मन वो घोड़ा है जो बड़ा चंचल है और यदि ये राम मे खो जायें अर्थात ईष्ट मे खो जायें सार मे खो जाये तो आनन्द ही आनन्द है और संसार मे खो जाये तो दुःख दुःख और बस दुःख ही दुःख है! मन बड़ा चंचल है पता नही कहाँ कहाँ खो जाता है अरे जिसमे इसे खोना है ये उसमे तो नही खोता है और जिसमे इसे नही खोना है बस उसी मे खो जाता है!
सद्गुरु देव से एक अति विनम्र प्रार्थना है मेरी की हॆ नाथ इस मन को संसार मे मत खोने देना हॆ नाथ इस मन को सार मे लगा देना! मेरा मन खो जाये मेरे ईष्ट मे और पुरी तरह से खो जायें ईष्ट मे और सद्गुरु के चरणों मे, बस इतनी सी कृपा करना हॆ माँ की ये चंचल मन तुझमे खो जायें हॆ माँ!
बस हमको भी यही माँगना की मन रूपी घोड़ा खो जाये संसार मे ताकि फिर दुखी न हो संसार मे!
Once upon a time, many people in a city were very sad and were wandering here and there to find medicine for their sorrows.
Once a saint came to that city and he used to give sermons every day. One day when he woke up after giving the sermon, a man came from outside and he was distributing sweets to the people and was dancing with joy. People asked, “Hey brother, what have you got?” Why are you feeling so happy and why are you distributing these sweets?
So he said that there was a very serious problem in my life, I was very sad due to that problem, by coming into this story of Lord Shri Ram, that problem of mine got solved, that compassion ended all my problems. So when people asked him what he got then he said he did not get it. My horse was lost then people asked that the horse would be worthless that is why he is distributing laddus then he said no he is very playful and valuable but he got lost that is why I Very happy, he bowed profusely at the feet of Saint Shri and went on dancing and singing.
Everyone went to Saint Shri and said, O God, what kind of mad person is he who is telling people and distributing sweets that my horse has been lost in this story, how mad is he?
So Saint Shri said that here my story became meaningful, then people said, O God, we are not able to understand your meaning, then Saint Shri said that I only want that whoever comes in the story should lose their horses. People said that we do not have horses, otherwise how will we lose the horses? When Saint Shri replied, everyone was left speechless.
Saint Shri said that the mind is a horse which is very playful and if it gets lost in Ram, i.e. lost in Ishta, lost in the essence, then joy is joy and if it gets lost in the world, then there is sorrow, sorrow and only sorrow. The mind is very fickle, I don’t know where it gets lost, it doesn’t get lost in the one in which it has to get lost, and it gets lost in the one in which it doesn’t have to get lost.
I have a very humble request to Sadhguru Dev that O Lord, do not let this mind get lost in the world, O Lord, concentrate this mind in the essence. Let my mind get lost in my love and get lost completely in love and at the feet of Sadguru, I just have to do this much grace of mother, let this restless mind get lost in you, mother!
All we have to ask is that the horse like mind should get lost in the world so that we don’t feel sad again in this world.