आज का प्रभु संकीर्तन।जीवन का आनंद लेने के लिए हमारे अंदर आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है।बिना आत्मविश्वास के हम किसी भी मंजिल को नही पा सकते।आत्मविश्वास के बल पर बड़े बड़े संत, मुनि,विचारक और वैज्ञानिक अपने जीवन के सर्वोत्तम समय को व्यतीत करते है।
आत्मविश्वास के बल पर ही हम कुछ भी न रहते हुए भी अपने को शक्तिशाली समझ लेते है जीवन में, आत्मविश्वास उतना ही जरूरी है जितना मानव के लिए ऑक्सीजन तथा मछली के लिए पानी। आत्मविश्वास वह ऊर्जा है, जो सफलता की राह में आने वाली अड़चनों, कठिनाइयों एवं परेशानियों से मुकाबला करने के लिए व्यक्ति को साहस प्रदान करती है। आत्मविश्वास में वह शक्ति है जिसके माध्यम से हम कुछ भी कर सकते है। आत्मविश्वास से हमारी संकल्प शक्ति बढ़ती है और संकल्प शक्ति से बढ़ती है हमारी आत्मिक शक्ति।पढ़िए
एक बादशाह सर्दियों की शाम जब अपने महल में दाखिल हो रहा था तो एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के सदर दरवाज़े पर पुरानी और बारीक वर्दी में पहरा दे रहा था। बादशाह ने उसके करीब अपनी सवारी को रुकवाया और उस बूढ़े दरबान से पूछने लगा ;”सर्दी नही लग रही ?”दरबान ने जवाब दिया “बहुत लग रही है हुज़ूर ! मगर क्या करूँ, गर्म वर्दी है नही मेरे पास, इसलिए बर्दाश्त करना पड़ता है।”
बादशाह बोला”मैं अभी महल के अंदर जाकर अपना ही कोई गर्म जोड़ा भेजता हूँ तुम्हे।”दरबान ने खुश होकर बादशाह को सलाम किया और आजिज़ी का इज़हार किया। लेकिन बादशाह जैसे ही महल में दाखिल हुआ, दरबान के साथ किया हुआ वादा भूल गया।
सुबह दरवाज़े पर उस बूढ़े दरबान की अकड़ी हुई लाश मिली और करीब ही मिट्टी पर उसकी उंगलियों से लिखी गई ये तहरीर भी ;”बादशाह सलामत ! मैं कई सालों से सर्दियों में इसी नाज़ुक वर्दी में दरबानी कर रहा था, मगर कल रात आप के गर्म लिबास के वादे ने मेरी जान निकाल दी।”
सहारे इंसान को खोखला कर देते है और उम्मीदें कमज़ोर कर देती है।अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए, खुद की सहन शक्ति, ख़ुद की ख़ूबी पर भरोसा करना सीखें।आपका आपसे अच्छा साथी, दोस्त, गुरु, और हमदर्द कोई नही हो सकता।….जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।