प्रह्लाद जानी का जन्म 13 अगस्त 1929 को हुआ

प्रह्लाद जानी का जन्म 13 अगस्त 1929 को भारत के चरदा गांव (अब मेहसाणा जिला, गुजरात , भारत) में हुआ था। जानी के अनुसार, उन्होंने सात साल की उम्र में गुजरात में अपना घर छोड़ दिया और जंगल में रहने चले गये।
12 साल की उम्र में, जानी को आध्यात्मिक अनुभव हुआ और वह हिंदू देवी अंबा के अनुयायी बन गए । उस समय से, उन्होंने अंबा की एक महिला भक्त के रूप में कपड़े पहनना चुना, लाल साड़ी जैसे परिधान, आभूषण और अपने कंधे की लंबाई के बालों में लाल रंग के फूल पहने। जानी को आमतौर पर माताजी “[ महान माता की अभिव्यक्ति] ” के नाम से जाना जाता था । जानी का मानना था कि देवी ने उन्हें पानी प्रदान किया था जो उनके तालु में छेद के माध्यम से नीचे गिरता था , जिससे उन्हें भोजन या पेय के बिना रहने की अनुमति मिलती थी।

1970 के दशक से, जानी गुजरात के जंगल में एक गुफा में एक साधु के रूप में रह रहे थे । 26 मई 2020 को उनके पैतृक गांव चरदा में उनका निधन हो गया। उन्हें 28 मई 2020 को अंबाजी के पास गब्बर हिल स्थित उनके आश्रम में समाधि दी गई ।
आधुनिक विज्ञान के लिए पहेली बन चुके बाबा जी ने आखिर दुनिया छोड़कर जाने का फैसला कर लिया.
80 वर्षों से बिना भोजन और बिना एक बूंद पानी पीये ही जीवित रहने वाले,संत प्रहलाद जानी ब्रह्मलीन हो गए..
महाराज जी अरवल्ली स्थित शक्तिपीठअंबाजी के निकट गब्बर पर्वत की तलहटी मे रहते थे..
सिर्फ 10 साल की आयु मे ही घर छोड़कर सन्यास लिया था और भगवती अंबाजी के साक्षातकार होने के बाद अन्न और जल का त्याग कर दिया था.बाबा के ऊपर कई मेडिकल टेस्ट भी हुए,देश की जानी-मानी संस्था डीआरडीओ के वैज्ञानिको की टीम ने सीसीटीवी कैमरे की नजर मे 15 दिनो तक 24 घंटे नजर मे रखा..
बाबाजी को डिस्कवरी चैनल पर भी दिखाया गया था क्योंकि डॉक्टर और वैज्ञानिक ये मानने को तैयार ही नही थे,बाबा ने अपने योगबल से सूर्य की रोशनी को आहार बनाया,क्युकी यह चमत्कार एक सनातनी द्वारा हुआ है इसलिए कोई इसकी चर्चा नही करता अन्यथा अब तक तो पूरे विश्व मे इनका डंका बज गया होता..



Prahlad Jani was born on 13 August 1929 in Charada village (now Mehsana district, Gujarat, India). According to Jani, he left his home in Gujarat at the age of seven and went to live in the forest. At the age of 12, Jani had a spiritual experience and became a follower of the Hindu goddess Amba. From that time, she chose to dress as a female devotee of Amba, wearing red sari-like garments, jewelery and red flowers in her shoulder-length hair. Jani was commonly known as Mataji “[manifestation of the Great Mother]”. Jani believed that the goddess provided him with water that poured down through holes in his palate, allowing him to live without food or drink.

Since the 1970s, Jani had been living as a hermit in a cave in the jungles of Gujarat. He died on 26 May 2020 in his native village Charada. He was given Samadhi on 28 May 2020 at his ashram located at Gabbar Hill near Ambaji. Baba Ji, who had become an enigma for modern science, finally decided to leave the world. Saint Prahlad Jani, who lived without food and without drinking a drop of water for 80 years, became Brahmalin. Maharaj ji lived at the foothills of Gabbar Mountain near Shaktipeeth Ambaji located in Aravalli. At the age of only 10, he left home and took Sanyas and after meeting Bhagwati Ambaji, he gave up food and water. Many medical tests were also conducted on Baba, by the team of scientists of DRDO, a well-known organization of the country. Kept under surveillance 24 hours a day for 15 days under CCTV camera. Babaji was also shown on Discovery Channel because doctors and scientists were not ready to accept this, Baba converted sunlight into food with the power of his yoga, because this miracle was done by a Sanatani, hence no one talks about it otherwise till now. Then their sting would have been heard all over the world.

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