क्या है मंत्र?;-
05 FACTS;-
1-मंत्र कोई साधारण शब्द नहीं है। यह दिव्यशक्ति का वाचक एवं बोधक होता है। यह देवता
से अभिन्न होते हुए भी उसके स्वरूप का बोध कराता है। मंत्र योग संहिता के अनुसार, ‘‘मन्त्रार्थ भावनं जपः’’ अर्थात मंत्र के अर्थ की भावना को जप कहते हैं। और अर्थज्ञान के बिना लाखों बार मंत्र की आवृत्ति करने पर भी सिद्धि नहीं मिलती क्योंकि सिद्धि मंत्र की आवृत्ति मात्र से नहीं मिलती। वह तो जप से मिलती है और जप में अर्थज्ञान होना अनिवार्य होता है।
2-ऊर्जा अविनाशिता के नियमानुसार ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है, वरन् एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। अतः जब हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं तो उससे उत्पन्न ध्वनि एक ऊर्जा के रूप में ब्रह्मांड में प्रेषित होकर जब उसी प्रकार की ऊर्जा से संयोग करती है तब हमें उस ऊर्जा में छुपी शक्ति का आभास होने लगता है। जो मन का त्राण (दुःख) हरे उसे मंत्र कहते हैं.. मंत्रों में प्रयुक्त स्वर, व्यंजन, नाद व बिंदु देवताओं या शक्ति के विभिन्न रूप एवं गुणों को प्रदर्शित करते हैं.. मंत्राक्षरों, नाद, बिंदुओं में दैवीय शक्ति छुपी रहती है..मंत्र उच्चारण से ध्वनि उत्पन्न होती है, उत्पन्न ध्वनि का मंत्र के साथ विशेष प्रभाव होता है..
3-मंत्रों का प्रयोग मानव ने अपने कल्याण के साथ-साथ दैनिक जीवन की संपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु यथासमय किया है, और उसमें सफलता भी पाई है, परंतु आज के भौतिकवादी युग में यह विधा मात्र कुछ ही व्यक्तियों के प्रयोग की वस्तु बनकर रह गई है…मंत्रों में छुपी अलौकिक शक्ति का प्रयोग कर जीवन को सफल एवं सार्थक बनाया जा सकता है….
4-सबसे पहले प्रश्न यह उठता है, कि ‘मंत्र’ क्या है, इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है.. इस संदर्भ में यह कहना उचित होगा कि मंत्र का वास्तविक अर्थ असीमित है… किसी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रयुक्त शब्द समूह मंत्र कहलाता है… जो शब्द जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है, उसे उस देवता या शक्ति का मंत्र कहते हैं… मंत्र एक ऐसी गुप्त ऊर्जा है, जिसे हम जागृत कर इस अखिल ब्रह्मांड में पहले से ही उपस्थित इसी प्रकार की ऊर्जा से एकात्म कर उस ऊर्जा के लिए देवता (शक्ति) से सीधा साक्षात्कार कर सकते हैं…
5-मंत्रों में देवी-देवताओं के नाम भी संकेत मात्र से दर्शाए जाते हैं, जैसे राम के लिए ‘रां’, हनुमानजी के लिए ‘हं’, गणेशजी के लिए ‘गं’, दुर्गाजी के लिए ‘दुं’ का प्रयोग किया जाता है… इन बीजाक्षरों में जो अनुस्वार या अनुनासिक (जं) संकेत लगाए जाते हैं, उन्हें ‘नाद’ कहते हैं.. नाद द्वारा देवी-देवताओं की अप्रकट शक्ति को प्रकट किया जाता है…
मंत्रार्थ के भेद:-
04 FACTS;-
1-मंत्र समस्त अर्थों का वाचक एवं बोधक होता है – ऐसा कोई अर्थ नहीं जो इसकी परिधि में न
आता हो। किंतु जब एक समय में ये मंत्र किसी एक देवता से, उसके किसी संप्रदाय विशेष से और किसी अनुष्ठान/पुरश्चरण से जुड़ता है, तब वह कुछ निश्चित अर्थों का वाचक एवं बोधक बन जाता है।
2-मंत्र शास्त्र के अनुसार इन अर्थों को छः वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।तंत्र आगम में इन अर्थों के भेदों, उपभेदों एवं अवांतर भेदों की संख्या अपरिमित है। वस्तुतः ये वर्ग मंत्र के उन अर्थों
को जानने की प्रक्रिया हैं। इस तरह मंत्रशास्त्र के मनीषियों ने मंत्र के छः प्रकार के अर्थ बतलाए हैं- 1. वाच्यार्थ, 2. भावार्थ, 3. लौकिकार्थ, 4. संप्रदायार्थ, 5. रहस्यार्थ एवं 6. तत्वार्थ।
3-लिंगों के अनुसार मंत्रों के तीन भेद होते हैं ..
पुर्लिंग : जिन मंत्रों के अंत में हूं या फट लगा होता है..
स्त्रीलिंग : जिन मंत्रों के अंत में ‘स्वाहा’ का प्रयोग होता है…
नपुंसक लिंग : जिन मंत्रों के अंत में ‘नमः’ प्रयुक्त होता है..
4-अतः आवश्यकतानुसार मंत्रों को चुनकर उनमें स्थित अक्षुण्ण ऊर्जा की तीव्र विस्फोटक एवं प्रभावकारी शक्ति को प्राप्त किया जा सकता है…
मंत्रों के प्रकार;-
02 FACTS;-
मंत्र दो प्रकार के होते हैं …
1-वैदिक मंत्र ;-
वैदिक संहिताओं की समस्त ऋचाएं वैदिक मंत्र कहलाती हैं।
2-तांत्रिक मंत्र;-
तंत्रागमों में प्रतिपादित मंत्र तांत्रिक मंत्र कहलाते हैं.. तांत्रिक मंत्र तीन प्रकार के होते हैं ..
2-1-बीज मंत्र;-=
बीज मंत्र दैवी या आध्यात्मिक शक्ति को अभिव्यक्ति देने वाला संकेताक्षर बीज कहलाता है.. इसकी शक्ति एवं रूप अनंत हैं..बीज मंत्र भी तीन प्रकार के होते हैं — मौलिक बीज, यौगिक बीज तथा कूट बीज..
2-2-नाम मंत्र ;-
बीज रहित मंत्रों को नाम मंत्र कहते हैं, जैसे- ‘ॐ नम: शिवाय’, ‘ॐ नमो नारायणाय’ एवं ‘..ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ आदि.. इन मंत्रों के शब्द उनके देवता, उनके रूप एवं उनकी शक्ति को अभिव्यक्ति देने में समर्थ होते हैं… इसलिए इन मंत्रों को भक्तिभाव से कभी भी सुमिरन किया जा सकता है.
2-3-माला मंत्र;-
तरह माला मंत्र दो प्रकार के होते हैं .. लघु माला मंत्र एवं बृहद माला मंत्र.. .माला मंत्र कुछ आचार्यो के अनुसार 20 अक्षरों से अधिक और अन्य आचार्यो के अनुसार 32 अक्षरों से अधिक अक्षर वाला मंत्र माला मंत्र कहलाता है, जैसे- ‘ऊँ क्लीं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:..
बीज मंत्र का क्या महत्व है?-
04 FACTS;-
1-जिस प्रकार किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु के ज्ञानर्थ कुछ संकेत प्रयुक्त किए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार मंत्रों से संबंधित देवी-देवताओं को संकेत द्वारा संबंधित किया जाता है, इसे बीज कहते हैं..वेदमंत्र का संक्षिप्त रुप बीज मंत्र कहलाता है। वेद वृक्ष का सार संक्षेप में बीज है। मनुष्य का बीज वीर्य है। समूचा काम विस्तार बीज में सन्निहित रहता है। तांत्रिक प्रयोजनों में बीज मंत्र का अत्यधिक महत्त्व है।बीज (मंत्र) विभिन्न देवी-देवताओं के साथ विभिन्न संप्रदायों के अनुष्ठान एवं पुरश्चरण में प्रयुक्त होने पर विभिन्न अर्थों का वाचक या सूचक बन जाता है। फिर भी मंत्रों में प्रयुक्त सभी बीजों का एक वाच्यार्थ होता है।
2-‘मंत्र’ शब्द का धातुगत अर्थ है- गुप्त परिभाषण। बीजमंत्रों के अक्षर गूढ़ संकेत होते हैं, जिनका अर्थ देवता, संप्रदाय एवं प्रयोग के आधार पर मंत्र शास्त्र से जाना जाता है।
वस्तुतः बीजमंत्रों के अक्षर उनकी गूढ़ शक्तियों के संकेत होते हैं। इनमें से प्रत्येक की स्वतंत्र एवं दिव्य शक्ति होती है। और यह समग्र शक्ति मिलकर समवेत रूप में किसी एक देवता के स्वरूप का संकेत देती है। जैसे बरगद के बीज को बोने और सींचने के बाद वह वट वृक्ष के रूप में प्रकट हो जाता है, उसी प्रकार बीजमंत्र भी जप एवं अनुष्ठान के बाद अपने देवता का साक्षात्कार करा देता है।
3-प्रत्येक बीज मन्त्र का एक यंत्र भी है। इसे अक्षर-यन्त्र या बीज यन्त्र कहते हैं। तांत्रिक उपासनाओं में पूजा प्रतीक में चित्र-प्रतीक की भाँति किसी धातु पर खोदे हुए यंत्र की भी प्रतिष्ठापना की जाती है और प्रतिमा-पूजन की तरह यंत्र का भी पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन किया जाता है। दक्षिण मार्गी साधनाओं में प्रतिमा-पूजन का जो स्थान है वही वाममार्गी उपासना उपचार में यंत्र-स्थापना का है।बीज या सम्पुट में से किसे कहाँ लगाना चाहिए इसका निर्णय किसी अनुभवी के परामर्श से करना चाहिए। बीज-विधान, तंत्र-विधान के अन्तर्गत आता है। इसलिए इनके प्रयोग में विशेष सतर्कता की आवश्यकता रहती है।
4-बीज मंत्र विभिन्न देवताओं, धर्मो एवं उनके संप्रदायों की साधनाओं के माध्यम से साधक को भिन्न-भिन्न प्रकार के रहस्यों से परिचित करवाता है।अपने आराध्य देव का समस्त स्वरूप इसके बीज मंत्र में निहित होता है। शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, जैन एवं बौद्ध धर्मो के सभी संप्रदायों में ‘ह्रीं’, ‘कलीं’ एवं ‘श्रीं’ आदि बीजों का मंत्रसाधना में समान रूप से प्रयुक्त होना इसका साक्ष्य है। बीज मंत्र समस्त अर्थो का वाचक एवं बोधक होने के बावजूद अपने आपमें गूढ़ है।
बीज मंत्र के प्रकार;-
02 FACTS;-
1-ये बीज मंत्र तीन प्रकार के होते हैं…
1-1-मौलिक
1-2-यौगिक
1-3-कूट
2-इनको कुछ आचार्य एकाक्षर, बीजाक्षर एवं घनाक्षर भी कहते हैं.. जब बीज अपने मूल रूप में रहता है, तब मौलिक बीज कहलाता है, जैसे- ऐं, यं, रं, लं, वं, क्षं आदि.. जब यह बीज दो वर्षो
के योग से बनता है, तब यौगिक कहलाता है।जैसे- ह्रीं, क्लीं, श्रीं, स्त्रीं, क्ष्रौं आदि…इसी तरह जब बीज तीन या उससे अधिक वर्णो से बनता है, तब यह कूट बीज कहलाता है।
बीज मंत्रों में समग्र शक्ति विद्यमान होते हुए भी गुप्त रहती है…
महत्वपूर्ण बीज मंत्र :-
1-ॐ- परमपिता परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है…
2-ह्रीं- माया बीज
3-श्रीं- लक्ष्मी बीज
4-क्रीं- काली बीज
5-ऐं- सरस्वती बीज
6-क्लीं- कृष्ण बीज
प्रसिद्ध बीजों के परंपरागत अर्थ ;-
1-ह्रीं (मायाबीज) इस मायाबीज में ह् = शिव, र् = प्रकृति, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस मायाबीज का अर्थ है ‘शिवयुक्त जननी आद्याशक्ति, मेरे दुखों को दूर करे।’
2- श्रीं (श्रीबीज या लक्ष्मीबीज) इस लक्ष्मीबीज में श् = महालक्ष्मी, र् = धन संपत्ति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस श्रीबीज का अर्थ है ‘धनसंपत्ति की अधिष्ठात्री जगज्जननी मां लक्ष्मी मेरे दुख दूर करें।’
3- ऐं (वागभवबीज या सारस्वत बीज) इस वाग्भवबीज में- ऐ = सरस्वती, नाद = जगन्माता और बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है- ‘जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें।’
4- क्लीं (कामबीज या कृष्णबीज) इस कामबीज में क = योगस्त या श्रीकृष्ण, ल = दिव्यतेज, ई = योगीश्वरी या योगेश्वर एवं बिंदु = दुखहरण। इस प्रकार इस कामबीज का अर्थ है- ‘राजराजेश्वरी योगमाया मेरे दुख दूर करें।’ और इसी कृष्णबीज का अर्थ है योगेश्वर श्रीकृष्ण मेरे दुख दूर करें।
5- क्रीं (कालीबीज या कर्पूरबीज) इस बीज में- क् = काली, र् = प्रकृति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘जगन्माता महाकाली मेरे दुख दूर करें।’
6- दूं (दुर्गाबीज) इस दुर्गाबीज में द् = दुर्गतिनाशिनी दुर्गा, ¬ = सुरक्षा एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इसका अर्थ 1. है ‘दुर्गतिनाशिनी दुर्गा मेरी रक्षा करें और मेरे दुख दूर करें।’
7- स्त्रीं (वधूबीज या ताराबीज) इस वधूबीज में स् = दुर्गा, त् = तारा, र् = प्रकृति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘जगन्माता महामाया तारा मेरे दुख दूर करें।’
8- हौं (प्रासादबीज या शिवबीज) इस प्रासादबीज में ह् = शिव, औ = सदाशिव एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘भगवान् शिव एवं सदाशिव मेरे दुखों को दूर करें।’
9- हूं (वर्मबीज या कूर्चबीज) इस बीज में ह् = शिव, ¬ = भ. ैरव, नाद = सर्वोत्कृष्ट एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘असुर भयंकर एवं सर्वश्रेष्ठ भगवान शिव मेरे दुख दूर करें।’
10- हं (हनुमद्बीज) इस बीज में ह् = अनुमान, अ् = संकटमोचन एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘संक. टमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें।’
11- गं (गणपति बीज) इस बीज में ग् = गणेश, अ् = विघ्ननाशक एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘‘विघ्ननाशक श्रीगणेश मेरे दुख दूर करें।’’
12- क्ष्रौं (नृसिंहबीज) इस बीज में क्ष् = नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दिव्यतेजस्वी, एवं बिंदु =
दुखहरण है।इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘दिव्यतेजस्वी ब्रह्मस्वरूप श्री नृसिंह मेरे दुख दूर करें।’
NOTE;-
बीज मंत्रों के अक्षर गूढ़ संकेत होते हैं.. इनका व्यापक अर्थ होता है… बीज मंत्रों के उच्चारण से मंत्रों की शक्ति बढ़ती है.. क्योंकि, यह विभिन्न देवी-देवताओं के सूचक है।इस प्रकार बीज
मंत्रों की शक्ति इतनी असीम होती है, कि देवताओं को भी अपने वशीभूत कर लेती है, तथा जप अनुष्ठान द्वारा देवता का साक्षात्कार करा देती है…बीज मंत्रों के अक्षर उनकी गूढ़ शक्तियों के संकेत होते हैं… इनमें से प्रत्येक की स्वतंत्र एवं दिव्य शक्ति मिलकर देवता के विराट् स्वरूप का संकेत देती है…
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रोग निवारण में मंत्र का प्रयोग ;-
05 FACTS;-
1-मंत्र, साधक व ईश्वर को मिलाने में मध्यस्थ का कार्य करता है… मंत्र की साधना करने से
पूर्व मंत्र पर पूर्ण श्रद्धा, भाव, विश्वास होना आवश्यक है, तथा मंत्र का सही उच्चारण अति
आवश्यक है…मंत्र लय, नादयोग के अंतर्गत आता है…मंत्रों के प्रयोग सेआर्थिक,सामाजिक,
दैहिक, दैनिक, भौतिक तापों से उत्पन्न व्याधियों से छुटकारा पाया जा सकता है…रोग
निवारण में मंत्र का प्रयोग रामबाण औषधि का कार्य करता है…मानव शरीर में 108
जैविकीय केंद्र (साइकिक सेंटर) होते हैं जिसके कारण मस्तिष्क से 108 तरंग (वेवलेंथ)
उत्सर्जित करता है…
2-शायद इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने मंत्रों की साधना के लिए 108 मनकों की माला तथा मंत्रों के जाप की आकृति निश्चित की है.. मंत्रों के बीज मंत्र उच्चारण की 125 विधियाँ हैं… मंत्रोच्चारण से या जाप करने से शरीर के 6 प्रमुख जैविकीय ऊर्जा केंद्रों से 6250 की संख्या में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जो इस प्रकार हैं :-
2-1-मूलाधार चक्र>>> 4×125=500
2-2-स्वधिष्ठान चक्र >>>6×125=750
2-3-मणिपुर चक्र>>> 10×125=1250
2-3-हृदय चक्र>>> 13×125=1500
2-4-विशुद्धि चक्र>>> 16×125=2000
2-5-आज्ञा चक्र>>> 2×125=250
कुल योग 6250 (विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगों की संख्या)…
3-भारतीय कुंडलिनी विज्ञान के अनुसार मानव के स्थूल शरीर के साथ-साथ 6 अन्य सूक्ष्म शरीर भी होते हैं… विशेष पद्धति से सूक्ष्म शरीर के फोटोग्राफ लेने से वर्तमान तथा भविष्य में होने वाली बीमारियों या रोग के बारे में पता लगाया जा सकता है.. सूक्ष्म शरीर के ज्ञान के बारे में जानकारी न होने पर मंत्र शास्त्र को जानना अत्यंत कठिन होगा…मानव, जीव-जंतु, वनस्पतियों पर प्रयोगों द्वारा ध्वनि परिवर्तन (मंत्रों) से सूक्ष्म ऊर्जा तरंगों के उत्पन्न होने को प्रमाणित कर लिया गया है.. मानव शरीर से 64 तरह की सूक्ष्म ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जिन्हें ‘धी’ ऊर्जा कहते हैं.. जब धी का क्षरण होता है तो शरीर में व्याधि एकत्र हो जाती है..मंत्रों का प्रभाव वनस्पतियों पर भी पड़ता है…
4-जैसा कि बताया गया है कि चारों वेदों में कुल मिलाकर 20 हजार 389 मंत्र हैं, प्रत्येक वेद का अधिष्ठाता देवता है.. ऋग्वेद का अधिष्ठाता ग्रह गुरु है। यजुर्वेद का देवता ग्रह शुक्र, सामवेद का मंगल तथा अथर्ववेद का अधिपति ग्रह बुध है… मंत्रों का प्रयोग ज्योतिषीय संदर्भ में अशुभ ग्रहों द्वारा उत्पन्न अशुभ फलों के निवारणार्थ किया जाता है…ज्योतिष वेदों का अंग माना गया है। इसे वेदों का नेत्र कहा गया है.. भूत ग्रहों से उत्पन्न अशुभ फलों के शमनार्थ वेदमंत्रों, स्तोत्रों का प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली माना गया है..उदाहरणार्थ आदित्य हृदयस्तोत्र सूर्य के लिए, दुर्गास्तोत्र चंद्रमा के लिए, रामायण पाठ गुरु के लिए, ग्राम देवता स्तोत्र राहु के लिए, विष्णु सहस्रनाम, गायत्री मंत्रजाप, महामृत्युंजय जाप, क्रमशः बुध, शनि एवं केतु के लिए, लक्ष्मीस्तोत्र शुक्र के लिए और मंगलस्रोत मंगल के लिए… मंत्रों का चयन प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथों से किया गया है..
5-वैज्ञानिक रूप से यह प्रमाणित हो चुका है, कि ध्वनि उत्पन्न करने में नाड़ी संस्थान की 72 नसें आवश्यक रूप से क्रियाशील रहती हैं… अतः मंत्रों के उच्चारण से सभी नाड़ी संस्थान क्रियाशील रहते हैं…मंत्र विज्ञान मंत्र एक गूढ़ ज्ञान है। मन को एकाग्र कर जब इसको जान लिया जाता है, तब यह साधक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है.. मंत्रागम के अनुसार दैवी शक्तियों का गूढ़ रहस्य मंत्र में अंतर्निहित है… व्यक्ति की प्रसुप्त या विलुप्त शक्ति को जगाकर उसका दैवीशक्ति से सामंजस्य कराने वाला गूढ़ ज्ञान मंत्र कहलाता है… यह ऐसी गूढ़ विद्या है, जो साधकों को दु:खों से मुक्त कर न केवल उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है, बल्कि उनको परम आनंद तक ले जाती है.. मंत्र विद्या विश्व के सभी देशों, मानवजाति, धर्मों एवं संप्रदायों में हजारों-लाखों वर्षो से आस्था एवं विश्वास के साथ प्रचलित है..
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स्वास्थ्य-सुरक्षा के बीजमन्त्र ;-
02 FACTS;-
1-बीजमंत्रों का महत्त्व समझकर उनका उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिलता है। उनका अलग-अलग अंगों एवं वातावरण पर असर होता है।प्राचीन समय में भारत में यंत्र-तंत्र और मंत्र के रूप में एक ऐसे विज्ञान का प्रचलन रहा है, जो बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी है.. आज जिन बीमारियों को लाइलाज माना जा रहा है, उनका मंत्रों के द्वारा स्थाई निवारण संभव है |
2-ʹૐʹ के ʹओʹ उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है तो ʹमʹ से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। ʹૐʹ से मस्तिष्क, पेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है। ʹह्रींʹ उच्चारण करने से पाचन-तंत्र, गले व हृदय पर तथा ʹह्रंʹ से पेट, जिगर, तिल्ली, आँतों व गर्भाशय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। औषधि को एकटक देखते हुए ʹૐ नमो नारायणाय।ʹ मंत्र का 21 बार जप करके फिर औषधि लेने से उसमें भगवद्-चेतना का प्रभाव आता है और विशेष लाभ होता है।
बीजमन्त्र >>> लाभ
1-कं >>> मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।
2-ह्रीं >>>मधुमेह, हृदय की धड़कन में।
3-घं >>>स्वप्नदोष व प्रदररोग में।
4-भं >>> बुखार दूर करने के लिए।
5-क्लीं>>>पागलपन में।
6-सं >>> बवासीर मिटाने के लिए।
7-वं>>> भूख-प्यास रोकने के लिए।
8-लं >>> थकान दूर करने के लिए।
9-बं >>> वायु रोग और जोदो के दर्द के लिये
जप करने से पूर्व माला को प्रणाम कर के मंत्र बोलें
ॐ ऐं श्री अक्ष मालाय नमः
Om aim shree aksh maalaay namah
NOTE;-Before mala jap, recite the following mantra offering obeisances to the mala
महत्त्वपूर्ण बीजमंत्र (BEEJ MANTRA);-
03 FACTS;-
1-कार्य-सिद्धि के लिए मंत्र;-
“ॐ गं गणपतये नमः”
Om gam ganpatay Namah
NOTE;-हर कार्य शुरु करने से पहले इस मंत्र का 108 बार जप करें, कार्य सिद्ध होगा |
2-युद्ध में विजय ;(MANTRA FOR VICTORY );-
आदित्य हृदय का तीन बार जप
Chant Aditya Hridya Stotra 3 Times facing east direction.
3-MANTRA FOR MEMORY & INTELLECT;-
‘ऐं’ बीजमंत्र मस्तिषक को प्रभावित करता है। इससे बुद्धि, धारणाशक्ति व स्मृति का
आश्चर्यकारक विकास होता है।इसके विधिवत जप से कोमा में गये हुए रुग्ण भी होश में आ जाते हैं।अनेक रुग्णों ने इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है।
4-MANTRA FOR SOUND SLEEP;-
ॐ शुद्धे शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा
Shuddhe shuddhe mahaayogini mahaanidre swaahaa
The japa of this mantra before going to bed ends the harrowing streak of your sleepless nights and ushers a propitious era of sound and refreshing sleep into your life.
5-MANTRA FOR ACCIDENT FREE JOURNEY;-
ॐ हौं जूँ सः | ॐ भूर्भुवः स्वः | ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ॐ | स्वः भुवः भूः ॐ | सः जूँ हौं ॐ |
Om haum joom saha | Om bhoorbhuvaha svaha | Om trayambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | Svaha bhuvaha bhooh om | saha joom haum om |
NOTE;-
Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey.
6- MANTRA FOR PROBLEM FREE JOURNEY;
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
Om namo bhagvate vaasudevaay
NOTE;-Chant one mala of above mantra before starting your journey.
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MANTRA FOR HEALTH ( स्वास्थ्य लाभ के लिए मन्त्र );–
17 FACTS;-
1-निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये ;-
ॐ हुं विष्णवे नमः ।
निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये इस मन्त्र की एक माला रोज जप करें, तो आरोग्यता और सम्पदा आती हैं
2-स्वास्थ्यप्राप्ति के लिए सिर पर हाथ रखकर मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।
अच्युतानन्त गोविन्द नामोचारणभेषजात्।
नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।।
हे अच्युत! हे अनन्त! हे गोविन्द! – इस नामोच्चारणरूप औषध से तमाम रोग नष्ट हो जाते हैं, यह मैं सत्य कहता हूँ…… सत्य कहता हूँ।
स्वास्थ्य;-
3-ॐ हंसं हंसः
Om hansam hansaha
रोज सुबह-शाम श्रद्धापूर्वक इस मंत्र की १-१ माला करने से शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ होता है
4-MANTRA FOR DIGESTION;-
अगस्त्यम कुम्भकर्णं च शनिंच बडवानलं |
आहार परिपाकार्थ स्मरेद भीमं च पंचमं ||
Agastyam kumbhakarnam cha shanim cha badavaanalam
Aahaara paripaakaartham smared bhimam cha panchakam
NOTE;-Chant this mantra while caressing your stomach with your left hand in the anti clock wise direction after having your meal. It helps in quick digestion.
5-MANTRA TO CURE ALL TYPES OF DISEASES;-
Dharmarajavrata (mantra mahodadhi) Eliminates all diseases:
Even if you are suffering from incurable diseases wake up early in the morning,
ॐ क्रौं ह्रीं आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहक्रते नमः ।
aum kraum hrim a am vaivasvataya dharmarajaya bhaktanugrahakrite namah
NOTE;-Do constant jap of this mantra. It will help cure all your Diseases and deliver you from all sins and afflictions.
6-”कं ”-मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।
Relieves one from the fear of death; is useful in skin diseases and blood disorders.
7-”ह्रीं” -मधुमेह, हृदय की धड़कन में।
Is beneficial in diabetes mellitus and palpitation.
8-”घं” – स्वपनदोष व प्रदररोग में।
Helps in nocturnal emissions and leucorrhoea.
9-”भं ”-बुखार दूर करने के लिए।
Relief from fever.
10-”क्लीं” -पागलपन में।
Is useful in mental disorders.
11-”सं” -बवासीर मिटाने के लिए।
– Cures piles.
12-”वं” -भूख-प्यास रोकने के लिए।
Prevents hunger and thirst.
13-”लं” -थकान दूर करने के लिए।
Relieves fatigue and exhaustion.
14-Health Protection Mantra;-
ॐ हंसं हंसः |
Om hansam hansaha|
NOTE;-रोज सुबह-शाम को श्रद्धापूर्वक इस मंत्र की १-१ माला करने से शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ होता है |
15-MANTRA FOR DIGESTION ;-
अगस्त्यम कुम्भकर्णं च शनिं च बडवानलं |
आहार परिपाकार्थ स्मरेद भीमं च पंचमं ||
Agastyam kumbhakarnam cha shanim cha badavaanalam
Aahaara paripaakaartham smared bhimam cha panchakam
NOTE;-Chant this mantra while caressing your stomach with your left hand in the anti clock wise direction after having your meal. It helps in quick digestion.
16-MANTRA FOR LIVER & BRAIN RELATED PROBLEMS;-
‘खं’ बीजमंत्र लीवर, हृदय व मस्तिषक को शक्ति प्रदान करता है। लीवर के रोगों में इस मंत्र की माला करने से अवश्य लाभ मिलता है। ‘हिपेटायटिस-बी’ जैसे असाध्य माने गये रोग भी इस मंत्र के प्रभाव से ठीक होते देखे गये हैं ब्रोन्कायटिस में भी ‘खं’ मंत्र बहुत लाभ पहुँचाता है।
17-MANTRA FOR MONTHLY PERIODIC PROBLEMS OF WOMEN ;-
‘थं’ मंत्र मासिक धर्म को सुनिश्चित करता है। इससे अनियमित तथा अधिक मासिक स्राव में राहत मिलती है।
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MANTRA FOR WEALTH;-
03 FACTS;-
1-निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये ;-
ॐ हुं विष्णवे नमः ।
NOTE;-निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये इस मन्त्र की एक माला रोज जप करें, तो आरोग्यता और सम्पदा आती हैं
2- To Attain Wealth;-
ॐ नमः भाग्यलक्ष्मी च विद्महे |अष्टलक्ष्मी च धीमहि | तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात |
Om namah bhagyalakshmi cha vidmahe|ashtalakshmi cha dheemahi | tanno lakshmi prachodayaat |
NOTE;-People practise several methods to acquire Lakshmi (wealth) at the time of Dipawali. Following is a very simple 3-day method for this purpose:
Starting from the day of Diwali till the day of Bhai Dooj (for 3 days), light Dhoop, Deep & Agarbatti in a clean room early in the morning, wear yellow colored clothes, put the Tilak of Kesar (saffron) on the forehead, then do 2 mala of the following mantra on a mala with beeds of Sfatik.
Deepawali is the birthday of Lakshmi ji. Lakshmi ji had appeared at the time of the Samudra-Manthan from the Kshir-Sagar. Therefore Lakshmi ji bestows her blessings to the person who does this sadhna with the desire that Laksmi stays in his/her home, poverty gets removed & one is able to earn daily bread & butter easily.
3-लक्ष्मी बरकत मन्त्र (Lakshmi Barkat Mantra);-
मंत्र है -ॐ अच्युताय नमः
Om Achyutaaya Namah
MEANING;-”जिसका पद कभी च्युत नहीं होता, इन्द्र पद भी च्युत हो जाता है, ब्रह्माजी का पद भी च्युत हो जाता है, लेकिन फिर भी, जो च्युत नहीं होते, अपने स्वभाव से, अपने आप से, वह परमेश्वर अच्युत को हम नमस्कार करते हैं… “
NOTE;-
ॐ अच्युताय नमः – गुरूवार से गुरूवार तक ११ मालायें(एक लाख ) जप करे – कुछ ही दिनों में यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा, फिर, फिर 21बार जप करके पानी में देखो, और, बाँया नथुना चले, बाँया स्वर चले, दाँया नथुना बन्द करके वह पानी पी लिया करे|ऐसे भी कोई पेय वस्तु अगर दाँया नथुना चले ,तब पीते हैं, तो धातु कमज़ोर रहता है; अगर दाँया नथुना बंद करके बाँये नथुने से श्वास चलाकर पीते हैं, तो धातु मजबूत रहता है, और ओज बल बढ़ता है |
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TWO MANTRAS useful in celibacy;-
1-ॐ अर्यमायै नमः |
Om Aryamaayai Namah |
NOTE;-
Japa this mantra whenever anti-brahmcharya thoughts comes in mind, Do japa for 21 times before going to sleep to avoid wet dreams.
2-ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितमं मनः स्तम्भ कुरु कुरु स्वाहा |
NOTE;-Take some milk in a cup. While gazing at the milk, repeat the following mantra twenty-one times and thereafter drink the milk. This is an excellent aid to Brahmacharya. This Mantra is worth remembering by heart.
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MANTRA FOR PROBLEMS ;-
06 FACTS;-
1-FOR ACCIDENT FREE JOURNEY;-
ॐ हौं जूँ सः | ॐ भूर्भुवः स्वः | ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ॐ | स्वः भुवः भूः ॐ | सः जूँ हौं ॐ |
Om haum joom saha | om bhoorbhuvaha svaha | om trayambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | svaha bhuvaha bhooh om | saha joom haum om |
NOTE;-Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey.
2-FOR PROBLEM FREE JOURNEY;-
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
Om namo bhagvate vaasudevaay
NOTE;-Chant one mala of above mantra before starting your journey.
3-FOR JOB,MARRIAGE RELATED PROBLEMS ;-
ॐ घं काली कालीकायै नमः
|Om gham kaalee kaaleekaayai namah |
Jap this mantra to remove hurdles in marriage, job or other important occasions.
4-FOR COURT-CASES RELATED PROBLEMS ;-
पवनतनय बल पवन समाना |बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना |
pavantanaya bal pavan samaana |buddhi vivek vigyaan nidhaana |
NOTE;-Do one mala daily of above mantra to get true results of court-cases. Keep your court related files in North-East direction not locked in Almirah.
5-अटकाव /बाधाये हटाने का मंत्र(Blow away the Impediments) ;-
‘टं’‘ (tam’)is a beej mantra, representing chandradeva, the presiding deity of the Moon. The japa of this mantra is just enough to do away with the sudden impediment inflicting your life.
NOTE;-Write ‘tam’(टं) on a piece of ‘Bhojpatra and insert it into an amulet. Then put this amulet on your right hand. This will remove all sorts of obstacles out of your way.Just wear an amulet having in it the mantra, ‘tam’(टं)written eleven times on a piece of paper. This helps in cases of deficiency of calcium, poor lactation among women and also comes in handy in soothing a fretting child.
6-MANTRA TO ALLEVIATE SUDDEN TROUBLE;-
Chanting this mantra 108 times everyday, alleviates one from miseries and sudden trouble.
ॐ रां रां रां रां रां रां रां रां मम् कष्टं स्वाहा
Aum rang rang rang rang rang rang rang rang mam kashtam svaahaa
NOTE;-:- Keep in mind that mantra RANGm is for 8 time…
….SHIVOHAM…
What is mantra?;-
05 FACTS;-
1-Mantra is not an ordinary word. It is the reader and understander of divine power. this god
In spite of being inseparable from it, it makes one understand its form. According to the Mantra Yoga Samhita, “mantrartha bhavanam japah” means chanting the feeling of the meaning of the mantra. And without meaning, success is not achieved even after repeating the mantra millions of times, because success is not achieved by mere repetition of the mantra. It is attained by chanting and it is necessary to have meaning in chanting.
2- Energy is never destroyed according to the law of indestructibility, but it keeps changing from one form to another. Therefore, when we chant mantras, when the sound generated from it is transmitted in the universe in the form of energy, when it coincides with the same type of energy, then we feel the power hidden in that energy. The one which relieves the mind (sorrow) is called Mantra.. The vowels, consonants, sounds and points used in mantras represent the different forms and qualities of deities or Shakti.. Divine power is hidden in mantra letters, sounds and points. Sound is generated by chanting mantra, the sound generated has special effect with mantra..
3- Mantras have been used by man for his welfare as well as for the solution of all the problems of daily life, and have also got success in that, but in today’s materialistic era, this method has become an object of use only for a few people. Life can be made successful and meaningful by using the supernatural power hidden in mantras….
4-First of all the question arises, what is ‘Mantra’, how it can be defined.. In this context it would be appropriate to say that the real meaning of Mantra is unlimited… Used to please any deity The group of words is called mantra… The deity or power that the word manifests is called the mantra of that deity or power… Mantra is such a secret energy, which we awaken by awakening the same type of energy already present in this entire universe. By uniting with that energy one can have a direct interview with the deity (Shakti)…
5- In mantras, the names of gods and goddesses are also indicated only by symbols, such as ‘Ram’ for Ram, ‘Ham’ for Hanumanji, ‘Gam’ for Ganeshji, ‘Dun’ for Durgaji are used. … The Anuswar or Anunasik (J) signs which are used in these alphabets are called ‘Naad’.. The unmanifest power of the Gods and Goddesses is manifested through Naad…
Differences of mantra: –
04 FACTS;-
1-Mantra is the reciter and understander of all the meanings – there is no such meaning which is not in its periphery.
Do you come? But at a time, when this mantra is associated with any one deity, its particular sect and with any ritual/observation, then it becomes a reader and connoisseur of certain meanings.
2-According to Mantra Shastra, these meanings have been classified into six classes. The number of distinctions, sub-types and avantar distinctions of these meanings in Tantra Agama is infinite. Literally these meanings of Varga Mantra
is the process of knowing. In this way, the sages of Mantra Shastra have given six types of meanings of mantras – 1. Literary meaning, 2. Meaningful meaning, 3. Cosmic meaning, 4. Communal meaning, 5. Mystery meaning and 6. Meaningful meaning.
There are three types of mantras according to gender.
Purling: Mantras which have hu or burst at the end.
Feminine: The mantras at the end of which ‘Swaha’ is used…
Neuter gender: The mantras at the end of which ‘Namah’ is used..
4- Therefore, by choosing mantras according to the need, the intense explosive and effective power of the intact energy in them can be achieved…
Types of mantras;-
02 FACTS;-
There are two types of mantras…
1-Vedic mantra;-
All the hymns of the Vedic codes are called Vedic mantras.
2- Tantric Mantra;-
The mantras prescribed in Tantragams are called Tantrik mantras.. There are three types of Tantrik mantras..
2-1-seed mantra;-=
Beej Mantra is an abbreviation that gives expression to divine or spiritual power.. Its power and form are infinite.. Beej mantras are also of three types – Original Beej, Compound Beej and Koot Beej..
2-2-Name mantra;-
Seedless mantras are called name mantras, such as- ‘Om Namah Shivay’, ‘Om Namo Narayanaya’ and ‘..Om Namo Bhagwate Vasudevay’ etc.. The words of these mantras give expression to their deity, their form and their power. They are able to… That’s why these mantras can be recited anytime with devotion.
2-3-rosary mantra;-
Mala mantras are of two types.. Laghu Mala Mantra and Brihad Mala Mantra.. According to some Acharyas, Mala Mantra is more than 20 letters and according to other Acharyas, a mantra with more than 32 letters is called Mala Mantra, like- ‘ Om Kleem Devakisut Govind Vasudev Jagatpate, Dehi Mein Tanayam Krishna Tvamah Sharanam Gat:..
What is the importance of Beej Mantra?
04 FACTS;-
1- Just as some signs are used for the knowledge of a person, place, object, in the same way the Gods and Goddesses related to Mantras are related by sign, it is called Beej..The short form of Ved Mantra is called Beej Mantra. . The essence of the Veda tree is the seed in a nutshell. The seed of man is semen. The entire work expansion remains embedded in the seed. Beej mantra is very important in Tantric purposes. Beej (mantra) becomes reader or indicator of different meanings when used in rituals and Purashcharan of different sects with different deities. Nevertheless, all the seeds used in mantras have a meaning.
2-The metaphysical meaning of the word ‘Mantra’ is – Secret definition. The letters of seed mantras are esoteric symbols, the meaning of which is known from Mantra Shastra on the basis of deity, sect and use.
In fact, the letters of Beej Mantras are the indications of their mysterious powers. Each of these has independent and divine power. And this overall power together indicates the form of any one deity. Just as a banyan seed, after sowing and watering it, appears in the form of a banyan tree, in the same way, after chanting and performing rituals, the beeja mantra gives an interview to its deity.
3-Each seed is also a yantra of mantra. This is called Akshar-Yantra or Beej Yantra. In tantric worship, like a picture-symbol, a yantra engraved on a metal is also consecrated and like idol-worship, the yantra is also worshiped with Panchopachar or Shodshopachar. The place of idol-worship in South-way worship is the same place of Yantra-establishment in Left-way worship remedies. It should be decided in consultation with an experienced person that which seed or capsule should be planted where. Beej-Vidhan comes under Tantra-Vidhan. That’s why special caution is needed in their use.
4- Beej Mantra acquaints the seeker with different types of secrets through the practices of different deities, religions and their sects. The entire form of our deity is enshrined in its Beej Mantra. In all sects of Shaiva, Shakta, Vaishnava, Ganapatya, Jain and Buddhist religions, ‘Hree’, ‘Kalin’ and ‘Sree’ etc. seeds are equally used in mantra practice. Beej Mantra is mysterious in itself despite being the reader and understander of all the meanings.
Types of Beej Mantra;-
02 FACTS;-
1-These Beej mantras are of three types…
1-1-fundamental
1-2-compound
1-3-code
2-These are also called by some Acharya Ekakshar, Bijakshar and Ghanakshar.. When the seed remains in its original form, then it is called the original seed, like- A, Yam, Ran, Lm, Vam, Kshan etc.. When this seed is two years
If it is formed from the sum of, then it is called a compound. Like- Hree, Kleen, Shree, Stree, Kshraun etc… Similarly, when a seed is made of three or more alphabets, then it is called a coded seed.
In spite of being present in the seed mantras, the overall power remains hidden…
Important Beej Mantra :-
1- Om- is the symbol of the power of the Supreme Father God…
2-Green- Maya Seed
3- Shree- Lakshmi Beej
4-cream- black seed
5-Ain- Saraswati seed
6-Clean- Krishna Beej
Traditional meaning of famous seeds;-
1-Hrim (Mayabij) In this Mayabij, H = Shiva, R = Nature, Nada = Visvamata and Bindu = Suffering. Thus this Maya seed means ‘Shiva-containing mother Adyashakti, remove my sufferings.’
2- Srim (Shri Bij or Lakshmi Bij) In this Lakshmi Bij, Sh = Mahalakshmi, R = Wealth, E = Mahamaya, Naad = Visvamata and Bindu = Suffering. Thus this Sri Bij means ‘May Maa Lakshmi, the mother of the universe, the founder of wealth, remove my sufferings.’
3- Ai (Vagbhavbeej or Saraswat Beej) In this Vagbhavbeej – Ai = Saraswati, Naad = Jaganmata and Bindu = Dukhaharan. Thus the meaning of this seed is- ‘May Mother Saraswati remove my sorrows.’
4- Klin (Kama Bij or Krishna Bij) In this Kama Bij, A = Yogasta or Sri Krishna, L = Divyateja, E = Yogiswari or Yogeshwar and Bindu = Dukhaharana. Thus this Kama seed means: ‘Rajarajeshwari Yogmaya remove my sufferings.’ And this Krishna seed means Yogeshwar Sri Krishna remove my sufferings.
5- Krin (Kali seed or camphor seed) In this seed- K = Kali, R = Nature, E = Mahamaya, Nad = Visvamata and Bindu = Suffering. Thus this seed means ‘Jagannatha Mahakali remove my sufferings.’
6-Dun (Durgabeej) In this Durgabeej, d = Durgatinashini Durga, ¬ = protection and bindu = sorrow. Thus it means 1. ‘May Durgatinashini Durga protect me and remove my sorrows.’
7- Strin (Vadhubij or Tarabij) In this Vadhubij, S = Durga, T = Tara, R = Prakriti, E = Mahamaya, Naad = Visvamata and Bindu = Dukhharana. Thus this seed means ‘Jagannatha Mahamaya Tara remove my sufferings.’
8- Yes (Prasadbeej or Shivbeej) In this Prasadbeej, H = Shiva, Au = Sadashiv and Bindu = sorrow. Thus the meaning of this seed is ‘May Lord Shiva and Sadashiv remove my sorrows.’
9-Hum (Vermbeej or Kurchbeej) in this seed H = Shiva, ¬ = Bh. Vairav, Naad = the best and Bindu = the remover of sorrow. Thus the meaning of this seed is ‘May the fierce and supreme Lord Shiva remove my sorrows’.
10-Ham (Hanumadbeej) This seed has H = guess, A = troublemaker and Bindu = sorrow remover. Thus the meaning of this seed is ‘Sanka’. Tamochan Hanuman take away my sorrows.
11- Gm (Ganapati Seed) In this seed, G = Ganesha, A = Vighna Nashak and Bindu = Dukhhara. Thus this seed means “May Lord Ganesha, the destroyer of obstacles, remove my sufferings.”
12- Ksraun (Nrishimha seed) In this seed, Ks = Nrishimha, R = Brahma, Au = Divinely Effulgent, and Bindu =
It is the remover of sorrows. Thus, the meaning of this seed is ‘Divyatejasvi Brahmaswaroop Shri Nrusingh remove my sorrows.’
NOTE;-
The letters of Beej Mantras are esoteric symbols.. They have a wide meaning… The power of mantras increases by reciting Beej Mantras.. Because, it is the indicator of various Gods and Goddesses.
The power of mantras is so limitless, that it subdues even the deities, and through chanting rituals makes the deity interview… The letters of the seed mantras are the sign of their mysterious powers… Each of these has independent and divine power together It indicates the great form of the deity.
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Use of mantra in disease prevention; –
05 FACTS;-
1-Mantra acts as a mediator to unite the seeker and God… By doing the practice of mantra
It is necessary to have full devotion, feeling, faith in the previous mantra, and the correct pronunciation of the mantra is very important.
It is necessary… Mantra rhythm comes under Nadayog… economic, social,
Diseases caused by physical, daily, physical heat can be relieved…
Use of mantra in prevention works as panacea medicine…108 in human body
There are biological centers (psychic centers) due to which 108 waves (wavelength) from the brain
emits…
2-Perhaps that is why our sages have fixed a garland of 108 beads for the practice of mantras and the form of chanting mantras.. The seeds of mantras There are 125 methods of chanting mantras… By chanting or chanting 6 major biological functions of the body 6250 numbers of electromagnetic energy waves are emitted from the energy centers, which are as follows :-
2-1-fundamental cycle>>> 4×125=500
2-2-Swadhisthana Chakra >>>6×125=750
2-3-Manipur Chakra>>> 10×125=1250
2-3-heart cycle>>> 13×125=1500
2-4-Vishuddhi Chakra>>> 16×125=2000
2-5-order cycle>>> 2×125=250
Total sum 6250 (number of electromagnetic energy waves)…
3-According to the Indian Kundalini science, there are 6 other subtle bodies as well as the gross body of a human… By taking photographs of the subtle body with a special method, present and future ailments or diseases can be detected. If there is no knowledge of the subtle body, it would be very difficult to know Mantra Shastra… Through experiments on humans, animals and plants, it has been proved that subtle energy waves are produced by sound changes (mantras). 64 types of subtle energy waves are emitted from the human body, which are called ‘Dhi’ energy..When Dhi is eroded, diseases get accumulated in the body..Mantras also affect plants…
4-As told that there are 20 thousand 389 mantras in all the four Vedas, the presiding deity of each Veda is the presiding deity.. The ruling planet of Rigveda is Guru. Yajurveda’s deity is Venus, Samaveda’s Mars and Atharvaveda’s ruling planet is Mercury… Mantras are used in astrological context for prevention of inauspicious results generated by inauspicious planets… Astrology is considered a part of Vedas. It has been called the eye of the Vedas.. The use of Ved mantras, stotras for the inauspicious fruits produced by ghost planets is considered very effective.. For example Aditya Hriday stotra for Sun, Durga stotra for Moon, Ramayana recitation for Guru, Gram Devta Stotra For Rahu, Vishnu Sahasranama, Gayatri Mantra Jaap, Mahamrityunjaya Jaap, for Mercury, Shani and Ketu respectively, Laxmistotra for Venus and Mangalsrota for Mars… The mantras have been selected from ancient historical texts..
5-Scientifically it has been proved that 72 nerves of the pulse system are essentially active in producing sound… Therefore, by the pronunciation of mantras, all pulse systems remain active… Mantra Science Mantra is an esoteric knowledge. When it is known by concentrating the mind, then it fulfills all the wishes of the seeker.. According to Mantragam, the deep secret of divine powers is embedded in the mantra. Esoteric knowledge is called Mantra… This is such an esoteric knowledge, which not only fulfills all the wishes of the sadhaks by freeing them from sorrows, but also takes them to the ultimate bliss.. Mantra Vidya all the countries of the world, mankind, It is prevalent in religions and sects for thousands of years with faith and belief.
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Beejmantra of health-protection ;-
02 FACTS;-
1- Understanding the importance of seed mantras and pronouncing them, then many diseases can be relieved. They have an effect on different organs and environment. In ancient times, such a science in the form of Yantra-Tantra and Mantra has been prevalent in India, which is very powerful and miraculous.. The diseases which are considered incurable today Yes, their permanent solution is possible through mantras.
2-The pronunciation of ʹoʹ of ʹૐʹ develops energy, while ʹmʹ develops mental powers. ʹૐʹ has a sattvik effect on the brain, stomach and subtle senses. Pronouncing ‘Hreen’ has a good effect on the digestive system, throat and heart and ‘Hreen’ has a good effect on the stomach, liver, spleen, intestines and uterus. While staring at the medicine, after chanting the mantra ʹૐ Namo Narayanaya.ʹ 21 times, and then taking the medicine, the effect of Bhagavad-consciousness comes in it and there is a special benefit.
Beej Mantra >>> Benefits
1-K>>> Destruction of fear of death, in skin diseases and blood disorders.
2-Hrin >>> Diabetes, in heartbeat.
3-hr >>> in dream disorders and leucorrhoea.
4-Bhan >>> To remove fever.
5-Clean>>>in madness.
No. 6 >>> To remove piles.
7-V>>> To stop hunger and thirst.
8-L>>> To remove fatigue.
9-th >>> For air sickness and pain of separation
Say the mantra after saluting the garland before chanting.
ॐ Aim Sri Aksha Malaya Namah
ૐ Aim Sri Aksha Manaya Namah
NOTE;-Before mala jap, recite the following mantra offering obeisances to the mala
Important seed mantra (BEEJ MANTRA);-
03 FACTS;-
1-Mantra for work-accomplishment;-
“Om Gm Ganapataye Namah”
Om Gum Ganpat Namah
NOTE;- Chant this mantra 108 times before starting every work, the work will be successful.
2-Victory in war; (MANTRA FOR VICTORY);-
Chanting Aditya Hriday three times
Chant Aditya Hriday Stotra 3 times facing east direction.
3-MANTRA FOR MEMORY and INTELLECT;-
‘A’ seed mantra affects the brain. This improves intelligence, perception and memory.
Amazing development takes place. Even patients who are in coma come to their senses by chanting it properly. Many patients have experienced it directly.
4-MANTRA FOR SOUND SLEEP;-
ॐ Pure, Pure, Great Yogini, Great Sleep
Shudde Shudde Mahayogini Mahanidre Swaha
The japa of this mantra before going to bed ends the harrowing streak of your sleepless nights and ushers a propitious era of sound and refreshing sleep into your life.
5-MANTRA FOR ACCIDENT FREE JOURNEY;-
Om Haun Jhun Sah | Om Bhurbhuvah Svah | Om Trayambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam Urvarukamiva Bandhanaanmrityormukshiya Mamritat Om | Svah Bhuvah Bhuvah Om | Sah Jhun Haun Om |
Om haum joom saha | Om bhoorbhuvaha svaha | Om trayambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | Svaha bhuvaha bhooh om | saha joom haum om |
NOTE;-
Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey.
6- MANTRA FOR PROBLEM FREE JOURNEY;
OM NAMAH SRI VASUDEVAYA
ૐ Namo Bhagavata Vasudevaya
NOTE;-Chant one mala of above mantra before starting your journey.
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MANTRA FOR HEALTH
17 FACTS;-
1- To be healthy and prosperous ;-
ॐ Hum Vishnuve Namah.
Chant one rosary of this mantra daily to become healthy and wealthy, then health and wealth come.
2-Pronounce the mantra 108 times by placing hand on head for health.
From the medicine of chanting the name of the infallible, infinite Govinda.
All diseases are eradicated I tell you the truth the truth.
Hey Achyut! O Eternal! Hey Govind! All diseases are destroyed by this name chanting medicine, this I say the truth…… I say the truth.
health;-
3-Om Hansam Hansah
About hansam hansaha
Reciting 1-1 rosary of this mantra with devotion every morning and evening gives quick health benefits.
4-MANTRA FOR DIGESTION;-
Agastya, Kumbhakarna, Saturn and Badavanala
Remember the fifth Bhima for the purpose of cooking food ||
Agastyam Kumbhakarnam Cha Shanim Cha Balavanalam
The food is Smeared Bheem Cha Panchakam
NOTE;-Chant this mantra while caressing your stomach with your left hand in the anti clock wise direction after having your meal. It helps in quick digestion.
5-MANTRA TO CURE ALL TYPES OF DISEASES;-
Dharmarajavrata (mantra mahodadhi) Eliminates all diseases:
Even if you are suffering from incurable diseases wake up early in the morning,
ॐ kraun hrīm aṁ vaivasvātaya dharmarāya bhakta-anugraha-krate namah ।
Om Karon Harima Am Vaivasvataya Dharmarajaya Bhaktanugrahakrate Namah
NOTE;-Do constant jap of this mantra. It will help cure all your Diseases and deliver you from all sins and afflictions.
6-”Kan”-Destroying the fear of death, in skin diseases and blood disorders.
Relieves one from the fear of death; is useful in skin diseases and blood disorders.
7-“Hreen”-Diabetes, in heartbeat.
Is beneficial in diabetes mellitus and palpitation.
8-“Gh” – in dream disorders and leucorrhoea.
Helps in nocturnal emissions and leucorrhoea.
9-”भं”-to remove fever.
Relief from fever.
10-“Clean”-in madness.
Is useful in mental disorders.
11-“NO”-To remove piles.
– Cures piles.
12-“Vam”-to stop hunger-thirst.
Prevents hunger and thirst.
13-“Lam”-to remove fatigue.
Relieves fatigue and exhaustion.
14-Health Protection Mantra;-
Om Hansam Hansah |
About hansam hansaha|
NOTE ;- Reciting 1-1 rosary of this mantra with devotion every morning and evening gives quick health benefits.
15-MANTRA FOR DIGESTION ;-
Agastya, Kumbhakarna, Saturn and Badavanala
Remember the fifth Bhima for the purpose of cooking food ||
Agastyam Kumbhakarnam Cha Shanim Cha Balavanalam
The food is Smeared Bheem Cha Panchakam
NOTE;-Chant this mantra while caressing your stomach with your left hand in the anti clock wise direction after having your meal. It helps in quick digestion.
16-MANTRA FOR LIVER & BRAIN RELATED PROBLEMS;-
The ‘Khan’ seed mantra provides strength to the liver, heart and brain. Chanting this mantra in liver diseases definitely gives benefits. Diseases considered incurable like ‘Hepatitis-B’ have also been seen to be cured by the effect of this mantra. ‘Khan’ mantra is also very beneficial in bronchitis.
17-MANTRA FOR MONTHLY PERIODIC PROBLEMS OF WOMEN ;-
‘Tham’ mantra ensures menstruation. It gives relief in irregular and excessive menstrual flow.
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MANTRA FOR WEALTH;-
03 FACTS;-
1- To be healthy and prosperous ;-
ॐ Hum Vishnuve Namah.
NOTE ;- If you chant a garland of this mantra daily to become healthy and prosperous, then health and wealth will come.
2- To Attain Wealth;-
ॐ Namah Bhagyalakshmi Cha Vidmahe |Ashtalakshmi Cha Vidmahe | Tanno Lakshmi Prachodayat |
Om namah bhagyalakshmi cha vidmahe|ashtalakshmi cha dheemahi | tanno lakshmi prachodayaat |
NOTE;-People practise several methods to acquire Lakshmi (wealth) at the time of Dipawali. Following is a very simple 3-day method for this purpose:
Starting from the day of Diwali till the day of Bhai Dooj (for 3 days), light Dhoop, Deep & Agarbatti in a clean room early in the morning, wear yellow colored clothes, put the Tilak of Kesar (saffron) on the forehead, then do 2 mala of the following mantra on a mala with beeds of Sfatik.
Deepawali is the birthday of Lakshmi ji. Lakshmi ji had appeared at the time of the Samudra-Manthan from the Kshir-Sagar. Therefore Lakshmi ji bestows her blessings to the person who does this sadhna with the desire that Laksmi stays in his/her home, poverty gets removed & one is able to earn daily bread & butter easily.
3-Lakshmi Barkat Mantra (Lakshmi Barkat Mantra);-
The mantra is -Om Acyuta Namah
Om Achyutaya Namah
MEANING;-”Whose position never falls, Indra’s position also falls, Brahmaji’s position also falls, but still, those who do not fall, by their nature, by themselves, that God is infallible. We greet… “
NOTE;-
Om Achyutaya Namah – Chant 11 rounds (one lakh) from Thursday to Thursday – this mantra will be accomplished in a few days, then, after chanting 21 times, look into the water, and, left nostril moves, left voice moves, right nostril closed After doing this, he should drink water. If such a drink is consumed through the right nostril, then the metal remains weak; If you close the right nostril and drink it while breathing through the left nostril, then the metal remains strong, and the power of oj increases.
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TWO MANTRAS useful in celibacy;-
1-Om Aryamayai Namah |
Om Aryamaayai Namah |
NOTE;-
Japa this mantra whenever anti-brahmcharya thoughts comes in mind, Do japa for 21 times before going to sleep to avoid wet dreams.
2-Om Namo Bhagavate Mahabale Parakramaaya Manobhilashitam Manas Stamba Kuru Kuru Svaha |
NOTE;-Take some milk in a cup. While gazing at the milk, repeat the following mantra twenty-one times and thereafter drink the milk. This is an excellent aid to Brahmacharya. This Mantra is worth remembering by heart.
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MANTRA FOR PROBLEMS ;-
06 FACTS;-
1-FOR ACCIDENT FREE JOURNEY;-
Om Haun Jhun Sah | Om Bhurbhuvah Svah | Om Trayambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam Urvarukamiva Bandhanaanmrityormukshiya Mamritat Om | Svah Bhuvah Bhuvah Om | Sah Jhun Haun Om |
Om haum joom saha | om bhoorbhuvaha svaha | om trayambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | svaha bhuvaha bhooh om | saha joom haum om |
NOTE;-Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey.
2-FOR PROBLEM FREE JOURNEY;-
OM NAMAH SRI VASUDEVAYA
ૐ Namo Bhagavata Vasudevaya
NOTE;-Chant one mala of above mantra before starting your journey.
3-FOR JOB,MARRIAGE RELATED PROBLEMS ;-
ॐ Gham Kali Kalikai Namah
|Om Gham Kali Kalikayai Namah |
Jap this mantra to remove hurdles in marriage, job or other important occasions.
4-FOR COURT-CASES RELATED PROBLEMS ;-
Pawantanay Bal Pawan Samana | Wisdom Vivek Vigyan Nidhana |
Pawan Tanay Bal Pawan Same |Buddhi Vivek Vigyan Nidhaan |
NOTE;-Do one mala daily of above mantra to get true results of court-cases. Keep your court related files in North-East direction not locked in Almirah.
Blow away the Impediments ;-
‘टं’‘ (tam’)is a beej mantra, representing chandradeva, the presiding deity of the Moon. The japa of this mantra is just enough to do away with the sudden impediment inflicting your life.
NOTE;-Write ‘tam’(टं) on a piece of ‘Bhojpatra and insert it into an amulet. Then put this amulet on your right hand. This will remove all sorts of obstacles out of your way.Just wear an amulet having in it the mantra, ‘tam’(टं)written eleven times on a piece of paper. This helps in cases of deficiency of calcium, poor lactation among women and also comes in handy in soothing a fretting child.
6-MANTRA TO ALLEVIATE SUDDEN TROUBLE;-
Chanting this mantra 108 times everyday, alleviates one from miseries and sudden trouble.
ॐ Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram My trouble Svaha
Om Rang Rang Rang Rang Rang Rang Rang Mam Kastham Swaha
NOTE;-:- Keep in mind that mantra RANGm is for 8 time…
….Shivoham…