भगवान से प्रार्थना करते हुए कहता है कि अहो आज मेरे प्रभु प्राण नाथ दिखाई क्यो नहीं देते हैं। भगवान् के भाव दृढ होता चला गया और भगवान् मुझे देखने और अपना स्वरूप दिखाने आ गए। फुल में खुश्बू भरने वाला भगवान् ही है। जीव में जैसे भगवान समाया हुआ है वैसे ही निर्जीव में भी भगवान समाए हैं। हे परमात्मा जी तुमने मुझे अपने होने का अहसास कराया। हे परमात्मा तुमने मुझे कल कल बहती जल की धारा में अपना रुप दिखाया। साथ में जङ पदार्थ में अपनी ध्वनि सुनाई। हे परमात्मा तुमने कैसे दिवार के अन्दर धङकन सुनाई। तुम्हारा सुबह से बैठी चिंतन कर रही थी। दिल तुमसे मिलने के लिए तङफ रहा था। मैं मन्दिर जाने के लिए सिढिया उतरते हुए जैसे ही दिवार पकङती हूं। दिवार में धङकन चकले बेलन में रोटी में धङकन दिखाई। प्रभु भगवान जैसे चीज के अन्दर बैठे हो और कहते हो मै हर चीज़ में बैठा हूँ। भगवान कहते हैं तुम बार बार मेरे चारों तरफ़ प्रकाश के पुंज प्रकट करके मुझे आन्नदित करते। मै भोजन करती तो कहते मै भी भोजन करूँगा। मैं खाती तो खुद और भाव ये होता ये मेरे भगवान भोजन कर रहे हैं। घर का प्रत्येक कार्य प्रभु प्राण नाथ की लिला का रूप बन गया । मेरे पास लिखने के लिए शब्द भी नहीं मै लिखने लगती हूं। ये दिल तुम्हारी लिला में डुब जाता हूँ। हे परमात्मा जी मै चलती तो तुम साथ चलते। कभी तुम अपने चरणों की सेवा करवाने आ जाते हो तो कभी नैनो में समा जाते हो। भक्त भगवान् की मानसिक पुजा में मानसिक सेवा करता रहता है। भक्त भगवान् से इतना गहरा जुङ जाता है कि उसे यह ध्यान ही नहीं कि वह जग का कार्य कर रहा है या अपने परम प्रभु की सेवा कर रहा है। हे स्वामी भगवान नाथ तुम्हारी लिला से कोई पार नहीं पा सकता। हे परम पिता परमात्मा मैं आपके सामने धुल के कण के समान भी नहीं हूं। ये सब स्वामी भगवान नाथ मुझ दासी पर कृपा कर रहे हैं। हे भगवान मै कुछ भी नहीं कर सकता मेरे प्रभु प्राण नाथ सब कुछ कर सकते हैं । हे परमात्मा जी ये चिन्तन वन्दन और लिखवाने वाले तुम ही हो। तुम मेरे स्वामी भगवान् नाथ हो ये सब आप मुझ दासी पर कृपा कर रहे हो। मैं तुम्हारी कैसे वन्दना करु। हे परमात्मा जी ये वन्दना भी आप ही करा रहे हो। हे परमात्मा जी तुमको मै कर जोड़कर शिश झुकाकर प्रणाम करती हूँ। हे परमात्मा जी दिल की धड़कन के साथ तुम्हारा चिन्तन करती रहू। आरती करती तो तुम मुस्कराते। हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ मै तो मैं रही ही नहीं तुम ही बन गये। हे नाथ तुमने मुझ पर सैदव श्रद्धा और प्रेम बनाएं रखा। हे मेरे मालिक सैदव चिन्तन में खोई रहूँ। जय श्री राम अनीता गर्ग
Praying to God, he says that why my Lord Pran Nath is not visible today. The feelings of the Lord became stronger and the Lord came to see me and show His form. It is God who fills the flower with fragrance. Just as God is contained in the living entity, in the same way God is absorbed in the non-living. Oh God, you made me feel your existence. O God, you showed me your form yesterday in the stream of flowing water. At the same time he heard his sound in the matter. O God, how did you hear the banging inside the wall? You have been sitting since morning contemplating. My heart was longing to meet you. As I walk down the stairs to go to the temple, I build the wall. There was a pulsation in the wall in a rolling pin. Lord is sitting inside a thing like God and says that I am sitting in everything. God says that you would rejoice me by repeatedly manifesting beams of light around me. If I eat food, I will say that I will also eat. If I ate, myself and the feeling would have been that my God is eating. Every work in the house became the form of Lord Pran Nath’s lila. I don’t even have words to write, I start writing. This heart drowns in your lila. Oh God, if I walk, you will walk with me. Sometimes you come to get your feet serviced and sometimes you get absorbed in nanotechnology. The devotee continues to do mental service in the mental worship of the Lord. The devotee is so deeply attached to the Lord that he does not even care whether he is doing the work of the world or serving his Supreme Lord. O Swami Bhagwan Nath, no one can overcome your lila. O Supreme Father, the Supreme Soul, I am not even like a particle of dust in front of you. All these swami Bhagwan Nath are showering blessings on my maidservant. Oh Lord, I cannot do anything, my Lord Pran Nath can do everything. O God, you are the one who gets this thought, worship and writing done. You are my lord Lord Nath, all this you are doing kindly to my maidservant. How can I worship you? Oh God, you are also doing this worship. O God, I bow to you by bowing my head. O God, keep on thinking of you with the beating of heart. You would smile if you did aarti. O my lord Bhagwan Nath, I have not been there but you have become. O Nath, you have always showered faith and love on me. O my master, always be lost in thought. Jai Shri Ram Anita Garg