।श्री राम।
१-शुद्ध सच्चिदानन्दघन एक परमात्मा ही सर्वत्र व्याप्त है और अखिल विश्व एवं विश्व की घटनाएँ उसी का स्वरूप और लीला हैं।
२- परमात्मा समय-समय पर अवतार धारणकर प्रेम द्वारा साधुओं का और दण्ड द्वारा दुष्टों का उद्धार करने के लिये लोककल्याणार्थ आदर्श लीला करते हैं।
३- भगवान् की शरणागति ही उद्धार का सर्वोत्तम उपाय है। उदाहरण-विभीषण।
४ – सत्य ही परम धर्म है, सत्य के लिये धन, प्राण, ऐश्वर्य सभी का सुख पूर्वक त्याग कर देना चाहिये। उदाहरण – श्रीराम |
५- मनुष्य जीवन का परम ध्येय परमात्मा की प्राप्ति करना है और वह भगवत्-शरणागति पूर्वक संसार के समस्त कर्म ईश्वरार्थ त्यागवृत्ति से फलासक्ति-शून्य होकर करने से सफल हो सकता है।
६ – वर्णाश्रम धर्म का पालन करना परम कर्तव्य है।
७- माता-पिता की सेवा पुत्र का प्रधान धर्म उदाहरण- श्रीराम, श्रवणकुमार |
८-स्त्रियों के लिये पातिव्रत परम धर्म है। उदाहरण – श्रीसीताजी ।
९- पुरुष के लिये एकपत्नी – व्रत का पालन अतिआवश्यक है। उदाहरण- श्रीराम ।
१०- भाइयों के लिये सर्वस्व त्यागकर उन्हें सुख पहुँचाने की चेष्टा करना परम कर्तव्य है। उदाहरण- श्रीराम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न ।
११-धर्मात्मा राजा के लिये प्राण देकर भी उसकी सेवा करना प्रजा का प्रधान कर्तव्य है। उदाहरण- (१) वनगमन के समय अयोध्या की प्रजा । (२) लंका के युद्ध में वानरी प्रजा का आत्म बलिदान ।
१२- अन्यायी – अधर्मी राजा के अन्याय का कभी समर्थन न करना चाहिये। सगे भाई होने पर भी उसके विरुद्ध खड़े होना उचित है। उदाहरण- विभीषण।
१३- प्रजारञ्जन के लिये प्राण प्रिय वस्तु का भी विसर्जन कर देना राजा का प्रधान धर्म है। उदाहरण – श्रीरामजी द्वारा सीता त्याग।
१४- प्रजाहित के लिये यज्ञादि कर्मों में सर्वस्व दान दे डालना। उदाहरण- दशरथ और श्रीराम |
१५-धर्म पर अत्याचार और स्त्री-जाति पर जुल्म करने से बड़े-से-बड़े शक्तिशाली सम्राट् का विनाश हो जाता है। उदाहरण – रावण ।
नारायण! नारायण!! नारायण!!!
.Sriram.
1- Pure Sachchidanandaghan only one God pervades everywhere and the whole world and the events of the world are his form and pastimes.
2- God incarnates from time to time and performs ideal leela for the welfare of the people to save the saints through love and the wicked through punishment.
3- Surrender to God is the best way of salvation. Example- Vibhishan.
4 – Truth is the ultimate religion, wealth, life, wealth should be happily sacrificed for the sake of truth. Example – Shriram |
5- The ultimate goal of human life is to attain God and he can be successful by taking refuge in God and doing all the work of the world with renunciation for the sake of God and being free from fruit.
6- It is the ultimate duty to follow Varnashram Dharma.
7- Service of the parents is the main religion of the son Example- Shriram, Shravankumar.
8-Pativrata is the ultimate religion for women. Example – Shri Sitaji.
9- One wife for a man – It is very important to follow the fast. Example- Shriram.
10- It is the ultimate duty to give up everything for the brothers and try to make them happy. Example- Shri Ram, Bharat, Laxman, Shatrughan.
11- It is the main duty of the subjects to serve the pious king even after giving his life. Example- (1) The subjects of Ayodhya at the time of exile. (2) Self-sacrifice of the monkey people in the war of Lanka.
12- The injustice of the unjust – unrighteous king should never be supported. It is appropriate to stand against him even if he is a real brother. Example- Vibhishan.
13- It is the main religion of the king to immerse even the thing that is dear to life for Prajanjan. Example – Sita’s sacrifice by Shriramji.
14- Donating everything in Yagyadi deeds for the sake of Prajahit. Example- Dasaratha and Shriram.
15-Atrocities on religion and oppression of women and caste destroy the most powerful emperor. Example – Ravana.
Narayan! Narayan!! Narayan!!!