1 बालकाण्ड –
बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल , कपट , नही होता विद्या , धन एवं प्रतिष्ठा बढने पर भी जो अपना हृदय निर्दोष निर्विकारी बनाये रखता है ,उसी को भगवान प्राप्त होते है। बालक
जैसा निर्दोष निर्विकारी दृष्टि रखने
पर ही राम के स्वरुप को पहचान सकते है। जीवन मेँ सरलता का आगमन संयम एवं ब्रह्मचर्य से होता है।बालक की भाँति अपने
मान अपमान को भूलने से
जीवन मेँ सरलता आती है बालक के समान निर्मोही एवं निर्विकारी बनने पर शरीर अयोध्या बनेगा ।जहाँ युद्ध,वैर ,ईर्ष्या नहीँ है ,वही अयोध्या है
2 अयोध्याकाण्ड –
यह काण्ड मनुष्य
को निर्विकार बनाता है।जब जीव भक्ति रुपी सरयू नदी के तट पर हमेशा निवास करता है,तभी मनुष्य निर्विकारी बनता है।भक्ति अर्थात् प्रेम ,अयोध्याकाण्ड प्रेम प्रदान करता है । रामका भरत प्रेम , राम का सौतेली माता से प्रेम
आदि ,सब इसी काण्ड मेँ है।राम
की निर्विकारिता इसी मेँ दिखाई देती है ।अयोध्याकाण्ड का पाठ
करने से परिवार मेँ प्रेम बढता है ।उसके घर मेँ लडाई झगडे नहीँ होते ।उसका घर अयोध्या बनता है ।कलह का मूल कारण धन एवं
प्रतिष्ठा है ।अयोध्याकाण्ड का फल निर्वैरता है ।सबसे पहले
अपने घर की ही सभी प्राणियोँ मेँभगवद् भाव रखना चाहिए।
3. अरण्यकाण्ड –
यह निर्वासन प्रदान
करता है ।इसका मनन करने से वासना नष्ट होगी ।बिना अरण्यवास(जंगल) के जीवन मेँ
दिव्यता नहीँ आती ।रामचन्द्र राजा होकर भी सीता के साथ वनवास किया ।वनवास मनुष्य
हृदय को कोमल बनाता है।तप द्वारा ही कामरुपी रावण का बध
होगा । इसमेँ सूपर्णखा(मोह )एवं
शबरी (भक्ति)दोनो ही है।भगवान राम सन्देश देते हैँ कि मोह को त्यागकर भक्ति को अपनाओ ।
किष्किन्धाकाण्ड –
जब मनुष्य निर्विकार एवं निर्वैर होगा तभी जीव की ईश्वर से मैत्री होगी ।इसमे सुग्रीव और राम अर्थात् जीव और ईश्वर की मैत्री का वर्णन है।जब जीव सुग्रीव की भाँति हनुमान अर्थात् ब्रह्मचर्य का आश्रय लेगा तभी उसे राम मिलेँगे। जिसका कण्ठ सुन्दर है वही सुग्रीव है।कण्ठ की शोभा आभूषण से नही बल्कि राम नाम का जप करने से है।जिसका कण्ठ सुन्दर है ,उसी की मित्रता राम से होती है किन्तु उसे हनुमान यानी ब्रह्मचर्य की सहायता लेनी पडेगी
5. सुन्दरकाण्ड –
जब जीव की मैत्री राम से
हो जाती है तो वह सुन्दर हो जाता है ।इस काण्ड मेँ हनुमान को सीता के दर्शन होते है।सीताजी पराभक्ति है ,जिसका जीवन सुन्दर होता है उसे ही पराभक्ति के दर्शन होते है ।संसार समुद्र पार करने वाले को पराभक्ति सीता के दर्शन होते है ।ब्रह्मचर्य एवं रामनाम का आश्रय लेने वाला संसार सागर को पार करता है ।संसार सागर को पार करते समय
मार्ग मेँ सुरसा बाधा डालने आ जाती है , अच्छे रस ही सुरसा है , नये नये रस की वासना रखने वाली जीभ ही सुरसा है। संसार सागर पार करने की कामना रखने वाले को जीभ को वश मे
रखना होगा ।जहाँ पराभक्ति सीता है वहाँ शोक नही रहता ,जहाँ सीता है वहाँ अशोकवन है।
6. लंकाकाण्ड –
जीवन भक्तिपूर्ण होने पर राक्षसो का संहार होता है काम क्रोधादि ही राक्षस हैँ ।जो इन्हेँ मार
सकता है ,वही काल को भी मार सकता है ।जिसे काम मारता है उसे काल भी मारता है ,लंका शब्द के अक्षरो को इधर उधर करने पर होगा कालं ।काल सभी को मारता है किन्तु हनुमान जी काल को भी मार देते हैँ ।क्योँकि वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हैँ पराभक्ति का दर्शन करते है ।
7 उत्तरकाण्ड –
इस काण्ड मेँ काकभुसुण्डि एवं गरुड संवाद को बार बार पढना चाहिए । इसमेँ सब कुछ है ।जब तक राक्षस ,काल का विनाश
नहीँ होगा तब तक उत्तरकाण्ड मे प्रवेश नही मिलेगा ।इसमेँ भक्ति की कथा है । भक्त कौन है ? जो भगवान से एक क्षण भी अलग नही हो सकता वही भक्त है पूर्वार्ध मे जो काम रुपी रावण को मारता है उसी का उत्तरकाण्ड
सुन्दर बनता है ,वृद्धावस्था मे
राज्य करता है ।जब जीवन के पूर्वार्ध मे युवावस्था मे काम
को मारने का प्रयत्न होगा तभी उत्तरार्ध –उत्तरकाण्ड सुधर पायेगा । अतः जीवन को सुधारने का प्रयत्न युवावस्था से ही करना चाहिए ।
भावार्थ रामायण से
Seven Kandas of Ramayana Seven steps of human progress
1 child scandal –
The child is dear to the Lord because there is no deceit, hypocrisy in him, even after the increase in knowledge, wealth and prestige, the one who keeps his heart innocent and viceless, only he gets God. Boy
like having an innocent vision
But only you can recognize the form of Ram. Simplicity comes in life through restraint and celibacy. Like a child,
by forgetting the honor and insult
Simplicity comes in life, if you become selfless and viceless like a child, the body will become Ayodhya. Where there is no war, enmity, jealousy, that is Ayodhya.
2 Ayodhya incident –
this scandal man
Makes one viceless. When the soul always resides on the banks of Sarayu river in the form of devotion, then only man becomes viceless. Devotion means love, Ayodhya scandal gives love. Ram’s love for Bharat, Ram’s love for his stepmother
Adi, all are in this scandal. Ram
The depravity of is visible in this only. Lesson of Ayodhya scandal
Doing this increases love in the family. There are no fights and quarrels in his house. His home becomes Ayodhya. The root cause of discord is money and
There is prestige. The fruit of Ayodhya scandal is fearlessness. First of all
God should be kept in all the creatures of our house.
3. Aranya Kand –
grant it exile
does. By meditating on this lust will be destroyed. Without Aranyavas (forest) in life
Divinity does not come. Ramchandra went into exile with Sita even after being king. Man in exile
Makes the heart soft. Ravana killed by penance
Will happen . In this Suparnakha (Enchantment) and
Shabari (devotion) is both. Lord Rama gives the message that abandoning attachment, adopt devotion.
Kishkindha Kand –
When a human being is free from vices and fearless, only then will the creature have friendship with God. In this, there is a description of the friendship between Sugriva and Rama, that is, the creature and God. When the creature takes shelter of Hanuman i.e. celibacy like Sugriva, only then it will get Rama. The one whose throat is beautiful is Sugriva. The beauty of the throat is not by ornaments but by chanting the name of Ram. The one whose voice is beautiful, he has friendship with Ram but he will have to take the help of Hanuman i.e. celibacy.
5. Sundarkand –
When Jiva’s friendship with Ram
If it becomes beautiful then it becomes beautiful. Hanuman has darshan of Sita in this episode. One who takes shelter of celibacy and the name of Ram crosses the ocean of the world. While crossing the ocean of the world
Sugar comes to obstruct the way, only good juices are sugar, the tongue that lusts for new juices is only sugar. To the one who wishes to cross the ocean of the world, control the tongue
Have to keep it. Where devotion sits, there is no sorrow, where it sits, there is Ashokvan.
6. Lanka scandal –
Demons are killed when life is devotional. Work, anger and anger are demons. Those who kill them
He can kill Kaal as well. Kaal also kills the one who is killed by work, by moving the letters of the word Lanka, it will be Kaal. Kaal kills everyone but Hanuman ji kills Kaal as well. Because he We follow celibacy and see Parabhakti.
7 Uttarkand –
Kakbhusundi and Garuda dialogue should be read again and again in this episode. It has everything. As long as the demon, the destruction of time
Until then you will not get admission in Uttarakand. There is a story of devotion in this. Who is the devotee? The one who cannot be separated from God even for a moment is a devotee, the one who kills Ravana in the form of lust in the first half
becomes beautiful in old age
Reigns. When working in youth in the first half of life
There will be an attempt to kill him, only then the latter-Uttarkand will be able to improve. Therefore, efforts should be made to improve life from youth itself.
Meaning from Ramayana