‘सहनशीलता किसे कहते हैं?’ किसीने हुसेन मंसूरसे प्रश्न किया। उन्होंने उत्तर दिया- ‘हाथ-पैर काटकर शरीरको शूलीपर लटका दिया जाय, फिर भी जिसके मुँहसेउफ् तक नहीं निकले, उसे सहनशील समझना चाहिये।’ इतिहास साक्षी है, जीवनके अन्तिम कालमें इन्होंने इसी प्रकारकी सहनशीलताका परिचय दिया था। मंसूरकी शूली प्रसिद्ध है। – शि0 दु0
‘What is tolerance?’ Someone asked Hussain Mansoor a question. He replied- ‘The body should be hanged on the cross by cutting off hands and feet, yet the one who does not even exhale should be considered tolerant.’ History is the witness, in the last period of his life, he showed the same type of tolerance. Mansoor’s Shooli is famous. – Shi0 Du0