प्रभु_प्रेम

दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी न धन था, न रूप

किन्तु दुनिया की दृष्टिसे नगण्य उस बालिका को रहती थी |

वह घर का सारा काम करती, पिता-माता की सेवा करती और दिनभर जयदेव जी का पद गुनगुनाया करती और भगवान की याद में मस्त रहती |

पूर्णिमा की रात थी, पिताजी ने प्यारी बच्ची को जगाया और आज्ञा दी कि बेटी ! अभी चाँदनी टिकी है, ईसी प्रकाश में बैंगन तोड़ लो जिससे प्रातः मैं बेच आऊँ | वह गुनगुनाती हुई सोयी थी और गुनगुनाती हुई जाग गयी | जागने पर इस गुनगनाने में उसे बहुत रस मिल रहा था |
वह गुनगुनाती हुई बैंगन तोड़ने लगी, कभी इधर जाती, कभी उधर; क्योंकि चुन-चुनकर बैंगन तोड़ना था |

उस समय एक ओर तो उसके रोम-रोम से अनुराग झर रहा था और दूसरी ओर कण्ठ से गीतगोविन्द के सरस गीत प्रस्फुटित हो रहे थे |
प्रेमरूप भगवान् इसके पीछे कभी इधर आते, कभी उधर जाते | इस चक्कर में उनका पीताम्बर बैंगन के काँटों में उलझकर चिथड़ा हो रहा था, किन्तु इसका ज्ञान न तो बाला को हो रहा था और न उसके पीछे-पीछे दौड़नेवाले प्रेमी भगवान को ही |

विश्व को इस रहस्य का पता तब चला जब सबेरे भगवान् जगन्नाथ जी का पट खुला और उस देशके राजा पट खुलते ही भगवान की झाँकी का दर्शन करने गये | उन्हें यह देखकर बहुत दुःख हुआ कि पुजारी ने नये पीताम्बर को भगवान को नहीं पहनाया था, जिसे वे शाम को दे गये थे | वे समझ गये कि नया पीताम्बर पुजारी ने रख लिया है और पुराना पीताम्बर भगवान को पहना दिया है | उन्होंने इस विषय में पुजारी से पूछा |

बेचारा पुजारी इस दृश्य को देखकर अवाक था | उसने तो भगवान को राजाका दिया नया पीताम्बर ही पहनाया था, किन्तु राजा को पुजारी की नीयत पर संदेह हुआ और उन्होंने उसे जेल में डाल दिया |

निर्दोष पुजारी जेलमें भगवान के नाम पर फूट-फूटकर रोने लगा |

इसी बीचमें राजा कुछ विश्राम करने लगा और उसे नींद आ गयी | स्वप्न में उसे भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन हुए और सुनायी पड़ा कि पुजारी निर्दोष है, उसे सम्मान के साथ छोड़ दो | रह गयी बात नये पीताम्बरकी तो इस तथ्य को बैंगन के खेत में जाकर स्वयं देख लो, पीताम्बर के फटे अंश बैंगन के काँटों में उलझे मिलेंगे |

मैं तो प्रेम के अधीन हूँ, अपने प्रेमीजनों के पीछे-पीछे चक्कर लगाया करता हूँ | बैंगन तोड़नेवाली बाला के अनुराग भरे गीतों को सुनने के लिये मैं उसके पीछे-पीछे दौड़ा हूँ और इसीमें मेरा पीताम्बर काँटों में उलझकर फट गया |
जगन्नाथ-मन्दिर की देख-रेख, भोग-आरती आदि सभी तरह व्यवस्था करने वाले राजा के जीवन में इस अद्भुत घटना ने रस भर दिया और भगवान के अनुराग में वे भी मस्त रहने लगे | बैंगन तोड़नेवाली एक बाला के पीछे-पीछे भगवान् उसके प्रेम में घूमते रहे |

यह कहानी फूस की आग की तरह फैल गयी | जगत के स्वार्थी लोगों की भीड़ उसके पास आने लगी | कोई पुत्र माँगता तो कोई धन |
इस तरह भगवान के प्रेम में बाधा पड़ते देख राजा ने जगन्नाथ मन्दिर में नित्य मंगला आरती के समय गीत गोविंद गाने के लिए उस बालिका को मंदिर में संरक्षण दिया और उसकी सुरक्षा-व्यवस्था की | तब से नित्य मंगला आरती में गीत गोविंद का गान श्री जगन्नाथ मन्दिर में होता आ रहा है……!!



From the point of view of the world, there was no goodness in him, no wealth, no form.

But from the point of view of the world, that girl used to be insignificant.

She used to do all the household chores, serve her father and mother, and throughout the day used to hum the words of Jaidev ji and was engrossed in the remembrance of God.

It was full moon night, father woke up the lovely girl and ordered that daughter! Right now the moonlight is set, pluck brinjals in this light so that I can sell in the morning. She went to sleep humming and woke up humming. He was getting a lot of juice in this humming on waking up. She started plucking brinjal humming, sometimes she goes here, sometimes there; Because the brinjals had to be plucked selectively.

At that time, on the one hand, Anurag was flowing from his every pore and on the other hand, the songs of Geet Govind were blooming from his voice. God in the form of love sometimes comes here, sometimes goes there behind him. In this affair, his Pitambar was getting entangled in brinjal thorns, but neither Bala nor the lover God who was running behind him was getting any knowledge of this.

The world came to know about this secret only when Lord Jagannath ji’s curtains were opened early in the morning and the king of that country went to see the Lord’s tableau as soon as the curtains were opened. He was very sad to see that the priest had not put on the new Pitambar to the Lord, which he had given in the evening. They understood that the new Pitambar was kept by the priest and the old Pitambar was worn by God. He asked the priest about this.

The poor priest was speechless seeing this scene. He had worn the new Pitambar given by the king to God, but the king suspected the intention of the priest and put him in jail.

The innocent priest started crying bitterly in the name of God in the jail.

Meanwhile, the king started taking some rest and fell asleep. In the dream he saw Lord Jagannath and was told that the priest is innocent, leave him with respect. As far as the matter of new Pitamber is concerned, go to the brinjal field and see for yourself, the torn pieces of Pitamber will be found entangled in brinjal thorns.

I am under love, I go round behind my lovers. I ran after the brinjal plucker Bala to listen to her songs filled with affection and in this my Pitambar got entangled in the thorns and burst. This wonderful incident filled the life of the king who arranged for Jagannath-temple maintenance, Bhog-Aarti etc. The Lord kept following a girl plucking brinjals in her love.

This story spread like wildfire. The crowd of selfish people of the world started coming to him. Some ask for a son, some ask for money. In this way, seeing the obstacle in the love of God, the king protected that girl in the temple and arranged for her security to sing Geet Govind during the daily Mangala Aarti in the Jagannath temple. Since then Geet Govind’s song is being sung daily in Mangala Aarti in Shri Jagannath Temple……!!

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *