कमजोरी बन गयी उसकी ताकत
एक पन्द्रह-सोलह सालके लड़केने फैसला किया कि वह जूडो सीखेगा, यह जानते हुए भी कि उसका बाय हाथ एक्सीडेंटमें जा चुका है। लड़केने एक अनुभवी ट्रेनरसे जूडो सीखना प्रारम्भ किया। उसने अच्छी तरहसे सीखा, पर उसकी समझमें नहीं आ रहा था कि गुरुने तीन महीनोंमें सिर्फ एक ही पैंतरा (दाँव-पेंच) क्यों बताया। उसने अपने गुरु सेंसीसे कहा-‘मैं कुछ ज्यादा सीखना चाहता हूँ।’ सेंसीने जवाब दिया- ‘तुम्हारे लिये इतना ही काफी है।
लड़के को अपने गुरुपर पूरा भरोसा था। कुछ महीनों बाद सेंसी उस लड़केको टूर्नामेण्ट खिलाने ले गया। लड़का आसानीसे दो मैच जीत गया। तीसरा मैच काफी कठिन था, लेकिन थोड़ी देर बाद उसका प्रतिद्वंद्वी व्यग्र हो गया। लड़केने इसका फायदा उठाया और अपने पैंतरेसे तीसरा मैच भी जीत लिया। उसे आश्चर्य हुआ, जब वह फाइनलमें पहुँच गया।
इस बार प्रतिद्वंद्वी मोटा, ताकतवर और
अनुभवी था। लग रहा था इस बार उसे मुँहकी खानी पड़ेगी। रेफरी भी यह सोच रहा था कि लड़का कहीं घायल न हो जाय। उसने सीटी बजाकर खेल रोकना चाहा, लेकिन सेंसीने मना कर दिया।
मैच चालू होनेके थोड़ी देर बाद प्रतिद्वंद्वीने एक गलती कर दी। उसका कवच गिर गया और लड़केने वही पैंतरा लगाकर फाइनल भी जीत लिया। वापस जाते समय सेंसीने मैचका पूरा विश्लेषण किया। लड़केने अपने गुरु सेंसीसे पूछा-‘मैंने सिर्फ एक पैंतरा सीखा है, फिर भी मैं टूर्नामेण्ट कैसे जीत गया ?’
गुरु सेंसीका जवाब था- 1. तुमने इस पैंतरेमें इतनी निपुणता हासिल कर ली है, जो कि एक कठिन चाल है। 2. तुमसे बचनेके लिये उसके पास एक ही रक्षक चाल थी और वह थी तुम्हारी बायीं भुजा, जो तुम्हारे पास नहीं थी। इस तरह तुम्हारी कमजोरी ही तुम्हारी ताकत बन गयी और तुम टूर्नामेण्ट जीत गये। [ श्रीबंकटलालजी आसोपा ]
weakness became his strength
A fifteen-sixteen-year-old boy decided that he would learn Judo, despite knowing that he had lost his left hand in an accident. The boy started learning judo from an experienced trainer. He learned well, but he could not understand why the teacher told only one trick in three months. He said to his teacher Sensei – ‘I want to learn more.’ Sensei replied- ‘This much is enough for you.
The boy had full faith in his teacher. After a few months, Sensei took the boy to feed the tournament. The boy easily won two matches. The third match was tough, but after a while his opponent got restless. The boy took advantage of this and won the third match with his tricks. To his surprise, he reached the finals.
This time the opponent is fatter, stronger and
Was experienced. It seemed that this time he would have to eat his mouth. The referee was also thinking that the boy might get injured. He tried to stop the game by blowing his whistle, but the sensei refused.
Shortly after the start of the match, the opponent made a mistake. His armor fell and the boy won the final by applying the same trick. On his way back, Sensei did a complete analysis of the match. The boy asked his teacher Sensei – ‘I have learned only one trick, yet how did I win the tournament?’
Guru Sensei’s reply was- 1. You have achieved so much mastery in this maneuver, which is a difficult trick. 2. The only defense he had to avoid you was your left arm, which you didn’t have. In this way your weakness became your strength and you won the tournament. [Shribankatlalji Asopa]