ईश्वरका सच्चा भक्त
एक महापुरुषने रातको स्वप्नमें एक देवदूतको कुछ लिखते देखा। उसने पूछा-‘देव! आप इस सुन्दर ग्रन्थमें क्या लिख रहे हैं ?’
देवदूतने कहा-‘मैं भगवान्के उन भक्तोंकी सूची बना रहा हूँ, जो उनकी सच्ची उपासना करते हैं और जिन्हें भगवान्के निकट आसन पानेका अधिकार है।’
महापुरुषने लम्बी साँस लेते हुए कहा-‘खेद है! मैं कभी प्रभुकी उपासना नहीं करता, कोई व्रत नहीं रखता, दूसरोंकी तरह कभी मन्दिरमें नहीं जाता। मुझे स्वर्गमें कैसे स्थान मिलेगा ?’ अच्छा, कभी ऐसी सूची बनाओ, जिसमें मनुष्यमात्रसे प्रेम करनेवालोंका नाम लिखो, तो मेरा नाम भी लिख देना।’
देवदूत चला गया। महापुरुषकी नींद भंग हुई। थोड़ी देरमें फिर आँख लगी तो उसने दूसरा स्वप्न देखा। उसमें भी वह देवदूत उसी पुरानी पुस्तकके साथ सामने खड़ा था।
महापुरुषने पूछा- ‘देव! क्या कर रहे हैं?”
देवदूतने कहा- ‘जो सूची बनायी थी, उसमें
ईश्वरकी आज्ञासे संशोधन कर रहा हूँ।’
महापुरुषने वह सूची देखनी चाही देने पुस्तक उसके हाथमें दे दी। महापुरुषने आश्चर्यसे देखा ईश्वरके परमप्रिय भक्तोंको सूचीमें सबसे ऊपर उसीका नाम था। उसने चकित होकर पूछा-‘यह क्या? मुझे तो लोकसेवा कार्यों व्यस्त रहनेके कारण कभी इतना समय ही नहीं मिलता कि मैं माला लेकर कुछ देर भगवान्का भजन कर सकूँ।
देवदूतने कहा- ‘भगवान् उसीको अपना सच्चा भक्त मानते हैं, जो एक-एक जीवमें उनको व्याप्त मानकर उनकी सेवा करता है। तुम मनुष्यमें देवत्व देखकर ही उसकी उपासना करते हो, इसलिये सच्ची ईश्वर उपासना यही है। पत्थर में देवताका वास मानने से अच्छा है कि मनुष्य जीवित मनुष्य में देवताका वास माने।’
महापुरुषको यह जानकर परम
आत्मसन्तोष हुआ कि ईश्वरको दृष्टिमें उसकी लोकसेवा निष्फल नहीं हुई।
हर आत्मा परमात्मा निवास है।
true devotee of god
A great man saw an angel writing something in his dream at night. He asked – ‘ God! What are you writing in this beautiful book?’
The angel said – ‘I am making a list of those devotees of God, who worship Him truly and who have the right to get a seat near God.’
The great man took a long breath and said – ‘Sorry! I never worship the Lord, do not keep any fast, never go to the temple like others. How will I get a place in heaven?’ Well, sometime make such a list, in which you write the names of those who love human beings, then write my name too.’
The angel is gone. The great man’s sleep was disturbed. After a while, when he regained his sight, he saw another dream. In that also that angel was standing in front of him with the same old book.
The great man asked – ‘ God! What are you doing?”
The angel said- ‘In the list that was made,
I am making amends by the order of God.
The great man wanted to see that list and gave the book in his hand. The great man saw with surprise that his name was at the top of the list of the most beloved devotees of God. He was surprised and asked – ‘ What is this? Due to being busy with public service, I never get enough time to take the garland and worship God for some time.
The angel said- ‘God considers him as his true devotee, who serves him considering him as pervaded in each and every living being. Seeing divinity in man, you worship him, that’s why this is the true worship of God. It is better to believe that God resides in a living man than to believe that God resides in a stone.’
knowing the great man
He was satisfied that in the eyes of God his public service was not in vain.
Every soul is the abode of God.