एक राजाके पास दो शिकारी कुत्ते थे। वे एक दूसरेसे थोड़ी दूरपर रखे गये। उनमें प्रायः लड़ाई हुआ करती थी। राजाने अपने सम्मतिदातासे पूछा कि क्या उपाय है जिससे दोनों मित्रकी तरह एक साथ रहने लगे। उसने कहा कि आप इन्हें जंगलमें ले जाइये। जब कोई भेड़िया दीख पड़े तो इनमेंसे एकको उसपर छोड़ दीजिये। जब एक कुत्ता लड़ते-लड़ते थकने लगे तब उसकी सहायताके लिये दूसरेको छोड़ दीजियेगा; दोनों मिलकर भेड़ियेको समाप्त कर देंगे और एक-दूसरेके कृतज्ञ हो जायँगे ।
बादशाहने ऐसा ही किया। भेड़िया आया, पर दोनों कुत्तोंने उसे समाप्त कर दिया। पहले कुत्तेने दूसरे कुत्तेका बड़ा आभार माना; क्योंकि उसकी कृपासे प्राणरक्षा हुई थी। दोनों कुत्ते साथ-साथ रहने लगे और एक दूसरेके मित्र हो गये ।
A king had two hunting dogs. They were placed at a distance from each other. There used to be a fight between them. The king asked his advisor that what is the solution so that both of them start living together like friends. He said that you take them to the forest. When you see a wolf, leave one of these on it. When one dog gets tired of fighting, then leave the other to help it; Together they will kill the wolf and will be grateful to each other.
The emperor did the same. The wolf came, but the two dogs finished him off. The first dog expressed great gratitude to the second dog; Because life was saved by his grace. Both the dogs started living together and became friends with each other.