गिद्ध और कौवे
भयंकर गर्मी पड़ रही थी। एक नदीके किनारेपर पानी पीनेके लिये एक तरफसे शेर आया, दूसरी तरफसे रीछ 1
दोनों ही प्याससे व्याकुल थे, दोनोंके सामने नदीका ठण्डा पानी बह रहा था और किनारा इतना बड़ा था कि उसपर खड़े होकर हजारों जानवर एक साथ पानी पी लें, पर दोनों घमण्डमें चूर थे।
शेरने कड़ककर कहा-‘ओ रीछके बच्चे, जानता नहीं, मैं जंगलका राजा हूँ। तू पीछे हट, पहले मैं पानी पीऊँगा, तब मेरा जूठा पानी तू पीना।’
रीछ शेरकी बात सुनकर जल-भुन गया और
अकड़कर बोला-‘अरे जा, बड़ा आया जंगलका राजा बननेवाला ! पता भी है कि तू तो केवल जमीनपर ही उछल-कूद सकता है, पर मैं तो पेड़पर भी चढ़ जाता हूँ। इसलिये मैं जमीन और आसमान दोनोंका राजा हूँ। पीछे हट और पहले मुझे पानी पीने दे।’
रीछकी बात सुनकर शेर आपेसे बाहर हो गया। और उसने उछलकर ऐसा पंजा मारा कि रीछ गिरते गिरते बचा। अब रीछकी बारी थी। उसने भी शेरपर ऐसा झपट्टा मारा कि शेर मुश्किलसे ही सँभल सका।
बस, फिर क्या था, दोनोंमें पूरी तरह युद्ध छिड़ गया। दोनोंमें ताकत थी। दोनों ही घमण्डमें चूर थे।चोट पर चोट होने लगी। दोनों पंजे तथा दाँतोंसे लगे एक-दूसरेको घायल करने।
कुछ देर गुत्थमगुत्था होकर वे अपना-अपना मोर्चा ठीक करनेको पीछे हटे, तो उनका ध्यान इस बातपर गया कि उनके ऊपर बहुत-से कौवे काँव-काँव करते हुए मँडरा रहे हैं और आसपासके वृक्षोंपर बहुत-से गिद्ध बैठे हैं।
शेर और रीछ दोनों समझ गये कि ये कौवे और गिद्ध यही सोचकर खुश हो रहे हैं कि लड़ते-लड़ते जब हम मर जायेंगे तो वे कई दिनतक हमारा मांस नोचकर खायेंगे और आनन्द मनायेंगे।
कौवों और गिद्धोंकी बात सोचकर शेर और रीछ दोनोंका गुस्सा ठण्डा पड़ गया और दोनों आपसमें कहने लगे कि इन लोगोंका भोजन बननेके लिये आपसमें लड़ना बेवकूफी है। आओ, हम दोनों पास-पास खड़े होकर ठण्डा पानी पीयें।
दोनोंने भरपेट पानी पिया और जिधरसे आये थे, उधर चले गये। उनके जानेपर कौवे और गिद्ध भी निराश होकर इधर-उधर उड़ गये।
यह कहानी बताती है कि ‘आपसकी ज्यादातर लड़ाइयाँ बिना बातकी होती हैं या छोटी-छोटी बातोंपर हो जाती हैं। अक्ल और समझसे काम लें तो वे इसी तरह आसानीसे रुक सकती हैं, जैसे-शेर और रीछकी लड़ाई रुक गयी। सोचनेकी बात यह है कि इन लड़ाइयोंमें दोनों एक-दूसरेको नुकसान पहुँचाना चाहते हैं, पर नुकसान सिर्फ एकका नहीं, दोनोंका होता है। एक कहावत है कि लड़ाईमें जो हारता है, वह मरता है और जो जीतता है, वह हार जाता है।’
vultures and crows
It was getting very hot. A lion came from one side to drink water on the bank of a river, and a bear from the other side.
Both were distraught with thirst, the cold water of the river was flowing in front of both and the bank was so big that thousands of animals could stand on it and drink water together, but both were proud.
The lion roared – ‘O bear cub, don’t you know, I am the king of the jungle. You step back, first I will drink water, then you drink my fake water.’
The bear was furious after listening to the lion and
Arrogantly said – ‘Hey go, the one who is going to be the king of the jungle has come big! I also know that you can jump and jump only on the ground, but I also climb trees. That’s why I am the king of both earth and sky. Step back and let me drink water first.’
The lion lost his temper after listening to the bear. And he jumped and hit his paw in such a way that the bear was saved from falling. Now it was the bear’s turn. He also pounced on the lion in such a way that the lion could hardly recover.
What was it then, a full-scale war broke out between the two. There was power in both. Both were shattered in pride. Injury after injury started. To injure each other with both claws and teeth.
After getting confused for some time, they retreated to fix their front, then their attention was drawn to the fact that many crows were hovering over them and many vultures were sitting on the surrounding trees.
Both the lion and the bear understood that these crows and vultures are happy thinking that when we die while fighting, they will eat our flesh for many days and enjoy.
Thinking of crows and vultures, the anger of both the lion and the bear cooled down and both started saying to each other that it is foolish to fight with each other to become food for these people. Come, let us stand side by side and drink cold water.
Both of them drank a lot of water and went back from where they had come. On his departure, crows and vultures also flew away disappointed.
This story tells that ‘Most of your fights happen without talking or on small things. If you work with wisdom and understanding, they can easily stop like this, like the fight between a lion and a bear. The thing to think is that in these battles both want to harm each other, but the harm is done not only to one, but to both. There is a saying that the one who loses in a fight dies and the one who wins loses.’