मृत्युकी घाटी

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उन्नीसवीं शताब्दीके दूसरे चरणके कुछ साल बाद हो अंग्रेजी और तुर्की सेना तथा रूसी सेनामें कालेसागर के तटपर युद्ध आरम्भ हो गया। उमर पाशा और अंग्रेजी सेनापति रेगलनकी सम्मिलित सेनाएँ बालकलावा स्थानपर एकत्र होकर सेबस्टपूल किलेका भाग्य निर्णय कर रही थीं और रूसी सेनाध्यक्ष मेन्सीकाफके सैनिक रक्षात्मक कार्यमें संलग्न थे।

“कोई आ रहा है!’ सैनिकोंने धीरेसे कारडीजनके सामन्तसे कहा। वह बालकलावाकी एक खाईमें छः सौ सात सैनिकोंके साथ अस्त्र-शस्त्रसे सज्जित होकर आक्रमणको प्रतीक्षा कर रहा था। सामन्त इस टुकड़ीका नायक था। वह सावधान हो गया।

‘अभी इसी समय आक्रमण करना होगा।’ नायक नोलनने सामन्तको लुसनका आदेश सुनाया। लुसन उसका उच्च अधिकारी था। सामन्तसे मन-ही-मनमें दाह करता था। उसकी हार्दिक इच्छा थी कि रूसी तोपचियोंके बारूदसे उसका प्राणान्त हो जाय।

‘मोरचा कठिन है, सामन्त ! सैनिक दृष्टिसे इस आज्ञा का पालन करना हमारा कर्तव्य है, पर हमारी संख्या बहुत कम है और अचानक आक्रमण करनेका अर्थ है पूरी की पूरी रूसी सेनासे भिड़ना।’ सैनिकोंने अपने नायकको समझाया। ‘मुझे तो यह आदेश धोखा लगता है। लुसन तुमसेबदला लेना चाहता है नायक!’ कप्तान नोलनने आदेशकी निरर्थकताकी पुष्टि की।

“चाहे धोखा हो, चाहे असत्य हो या निरर्थक हो, इस समय हमारे लिये यह महान् सत्य है। हमारे उच्च अधिकारीका आदेश है। हम रूसी बारूदमें अपने प्राण स्वाहाकर सेनानायकके आदेशका पालन करेंगे।’ कारडीजनके सामन्तने अपनी टुकड़ीको आगे बढ़नेका आदेश दिया।

‘बढ़े चलो! देशके स्वाभिमानकी रक्षाका प्रश्न है। पीछे पैर पड़ेंगे तो दुनियामें महारानी विक्टोरियाका नाम कलङ्कित हो उठेगा। यूरोप हमारी काली करनीपर थूकेगा और इंगलैंडके निवासी लज्जासे नतमस्तक हो जायेंगे।’ सामन्त आगे बढ़नेवाली टुकड़ीको प्रोत्साहित कर रहा था। रूसी सैनिक बड़ी निर्दयतासे गोली बरसा रहे थे। इंगलैंडके वीर सैनिक बालकलावाकी खाईमें-मृत्युकी घाटीमें आज्ञापालनकी पवित्र बलिवेदीपर आत्मयज्ञ कर रहे थे। लुसन यह सुनकर आश्चर्यचकित हो गया कि सामन्त बच गया।

‘कारडीजनका सामन्त वीर आत्मा है।’ लुसनके अधर उसकी प्रशंसामें स्पन्दित थे। उसकी आज्ञाके परिणामस्वरूप मृत्युकी घाटीमें पाँच सौ वीर सैनिकोंने प्राण निछावर कर दिये।

-रा0 श्री0

A few years after the second phase of the nineteenth century, the war between the English and the Turkish army and the Russian army started on the banks of the Black Sea. The combined forces of Umar Pasha and English General Raglan were gathering at the Balaclava place to decide the fate of the Sebastpool Fort and the troops of the Russian Army Chief Menshikaf were engaged in defensive work.
“somebody is coming!’ The soldiers softly said to Samanta of Kardijan. He was waiting for the attack with six hundred and seven soldiers in a trench of Balaclava, armed with weapons. Samanta was the leader of this detachment. He became alert.
‘We have to attack right now.’ Hero Nolan tells Samantha about Lucan’s order. Lucan was his superior officer. He used to burn with Samantha in his heart. It was his heart’s desire that he should be killed by the gunpowder of the Russian gunners.
‘The front is tough, Samant! It is our duty to obey this order from a military point of view, but our numbers are very few and to attack suddenly means to fight with the entire Russian army.’ The soldiers explained to their hero. ‘I find this order cheating. Lucan wants revenge on you, hero!’ Captain Nolan confirmed the futility of the order.
“Whether deception, untruth or nonsense, this is the great truth for us at this time. Our higher authority orders. We will obey the commander’s order by dying with Russian gunpowder.’ The chieftain of Kardijan ordered his troop to move forward.
‘Come on! It is a question of protecting the country’s self-respect. If you fall behind, the name of Queen Victoria will be tarnished in the world. Europe will spit on our black face and the people of England will bow down in shame.’ Samant was encouraging the advancing troop. Russian soldiers were firing mercilessly. The brave soldiers of England were sacrificing themselves on the holy altar of obedience in the trench of Balaclava – in the valley of death. Lucan is surprised to hear that Samantha has survived.
‘Kardijn’s feudal lord is a heroic soul.’ Lucy’s lips quivered in his admiration. As a result of his order, five hundred brave soldiers laid down their lives in the valley of death.
-Ra0 Mr.0

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