एक ग्रामीण बैलगाड़ी लिये कहीं जा रहा था। एक नालेके कीचड़में उसकी गाड़ीके पहिये धँस गये। ग्रामीण बैलगाड़ीसे उतर पड़ा और पासकी भूमिपर बैठकर हनुमानचालीसा का पाठ करने लगा। वह एक पाठ करता और फिर प्रार्थना करता- ‘हनुमान्जी ! मेरी गाड़ी कीचड़से निकाल दीजिये!’ फिर पाठ करता और फिर प्रार्थना करता ।
ग्रामीणकी श्रद्धा सच्ची थी। उसका पाठ प्रार्थनाकाक्रम पर्याप्त समयतक चलता रहा । अन्तमें हनुमान्जीने दर्शन दिया उसे। वे बोले-‘भले आदमी! देवता आलसी और निरुद्योगीकी सहायता नहीं किया करते। मैं इस प्रकार लोगोंके छकड़े निकाला करूँ तो संसारके लोग उद्योगहीन हो जायँ दैवी सहायता पानेके लिये श्रद्धाके साथ श्रम भी चाहिये। तू बैलोंको ललकार और कीचड़ में उतरकर पूरी शक्तिसे पहियोंको ठेल । तब मेरा बल तुझमें प्रवेश करके तेरी सहायता करेगा।’ –सु0 सिं0
A villager was going somewhere with a bullock cart. The wheels of his car got stuck in the mud of a drain. The villager got down from the bullock cart and started reciting Hanuman Chalisa sitting on the nearby land. He recites a lesson and then prays – ‘Hanumanji! Get my car out of the mud!’ Then recite and then pray.
The faith of the villagers was true. His recitation prayer program went on for a long time. At last Hanumanji appeared to him. They said – ‘Good man! The gods do not help the lazy and the industrious. If I get rid of people in this way, then the people of the world will become industryless. To get divine help, labor is needed along with devotion. You challenge the oxen and get down in the mud and push the wheels with all your might. Then my strength will enter you and help you.’ – Su 0 Sin 0