एक गँवार गड़रिया पर्वतकी चोटींपर बैठा प्रार्थना कर रहा था – ओ खुदा! यदि तू इधर पधारे, यदि तू मेरे पास आनेकी कृपा करे तो मैं तेरी सेवा करूँगा । मैं तेरी दाढ़ीमें कंघी करूँगा, तेरे सिरके केशोंसे जुएँ निकालूँगा, तेरे शरीरमें तेलकी मालिश करके तुझे स्नान कराऊँगा। मैं अपने-आपको तुझपर न्योछावर कर दूँगा । तेरे पैर मैं अपनी दाढ़ीसे पोंछूंगा। तू सोना चाहेगा तो तेरे लिये बिछौना बिछाऊँगा। तू बीमार पड़ेगा तो तेरी सेवामें रात-दिन खड़ा रहूँगा। मेरे पास आ, मेरे अच्छे खुदा! मैं तेरा गुलाम बनकर रहूँगा ।’
हजरत मूसा उधरसे कहीं जा रहे थे। उन्होंने उस गड़रियेसे पूछा-‘अरे मूर्ख! तू किससे बातें कर रहा है ? किस बीमारकी सेवा करना चाहता है ?’ गड़रियेने कहा- ‘मैं खुदासे बातें कर रहा था औरउन्हींकी सेवा करना चाहता हूँ।’
मूसाने उसे डाँटा–’अरे बेवकूफ ! तू तो गुनाह कर रहा है। खुदाके कहीं बाल हैं और वह सर्वशक्तिमान् कहीं बीमार पड़ता है। वह तो अशरीरी, अजन्मा, सर्वव्यापक है। उसे मनुष्योंके समान सेवा चाकरीकी क्या आवश्यकता ? ऐसी बेवकूफी फिर मत करना।’ बेचारा गड़रिया चुप हो गया। मूसा-जैसे तेजस्वी फकीरसे वह क्षमा माँगनेके अतिरिक्त कर क्या सकता था। परंतु उस दिन मूसा स्वयं जब प्रार्थना करने लगे, आकाशवाणी हुई- ‘मूसा! मैंने तुम्हें मनुष्योंका चित्त मुझमें लगानेको भेजा है या उन्हें मुझसे दूर करनेको ? उस गड़रियेका चित्त मुझमें लगा था, तुमने उसे मना करके अपराध किया है। तुम्हें इतना भी पता नहीं कि सच्चा भाव ही सच्ची उपासना है।’
An illiterate shepherd was praying sitting on the top of the mountain – O God! If you come here, if you please come to me, I will serve you. I will comb your beard, remove lice from the hairs on your head, massage your body with oil and give you a bath. I will sacrifice myself on you. I will wipe your feet with my beard. If you want to sleep, I will spread the bed for you. If you fall ill, I will stand day and night in your service. Come to me, my good Lord! I will be your slave.’
Hazrat Musa was going somewhere from there. He asked that shepherd – ‘You fool! who are you talking to? Which sick person does he want to serve? The shepherd said- ‘I was talking to God and I want to serve him.’
Musa scolded him – ‘You idiot! You are committing a crime. God has hair somewhere and that Almighty falls ill somewhere. He is bodiless, unborn, omnipresent. Why does he need a service servant like humans? Don’t do such stupidity again. The poor shepherd became silent. What could he do other than apologize to a bright fakir like Moses. But that day when Moses himself started praying, a voice came from the sky – ‘ Moses! Have I sent you to fix the mind of men in me or to take them away from me? That shepherd’s mind was on me, you have committed a crime by refusing him. You don’t even know that true devotion is true worship.’