एक धनी सेठने सोनेसे तुलादान किया। गरीबोंको खूब सोना बाँटा गया। उसी गाँवमें एक संत रहते थे। सेठने उनको भी बुलाया। वे बार-बार आग्रह करनेपर आ गये। सेठने कहा-‘आज मैंने सोना बाँटा है, आप भी कुछ ले लें तो मेरा कल्याण हो।’ संतने कहा- ‘भाई! तुमने बहुत अच्छा काम किया, परंतु मुझको सोनेकी आवश्यकता नहीं है।’ धनीने फिर भी हठ किया। संतने समझा कि इसके मनमें धनका अहंकार है। संतने तुलसी के पत्तेपर राम नाम लिखकर कहा- ‘भाई! मैं कभी किसीसे दान नहीं लेता। मेरा स्वामी मुझे इतना खाने पहनने को देता है कि मुझे और किसीसे लेनेकी जरूरत ही नहीं होती। परंतु तुम इतना आग्रह करते हो तो इस पत्तेके बराबर सोना तौल दो।’ सेठने इसको व्यंग समझा और कहा ‘आप दिल्लगी क्यों कर रहे हैं, आपकी कृपासे मेरेघरमें सोनेका खजाना भरा है, मैं तो आपको गरीब जानकर ही देना चाहता हूँ।’ संतने कहा- ‘भाई! देना हो तो तुलसीके पत्तेके बराबर सोना तौल दो।’ सेठने झुंझलाकर तराजू मँगवाया और उसके एक पलड़ेपर पत्ता रखकर वह दूसरेपर सोना रखने लगा। कई मन सोना चढ़ गया; परंतु तुलसीके पत्तेवाला पलड़ा तो नीचे ही रहा । सेठ आश्चर्यमें डूब गया। उसने संतके चरण पकड़ लिये और कहा-‘महाराज ! मेरे अहंकारका नाश करके आपने बड़ी ही कृपा की। सच्चे धनी तो आप ही हैं।’ संतने कहा- ‘भाई! इसमें मेरा क्या है । यह तो नामकी महिमा है। नामकी तुलना जगत्में किसी भी वस्तुसे नहीं हो सकती। भगवान्ने ही दया करके तुम्हें अपने नामका महत्त्व दिखलाया है। अब तुम भगवान्का नाम जपा करो; तुम्हारा जीवन सफल हो जायगा।’
A rich Seth made a donation of gold. Lots of gold was distributed to the poor. A saint lived in the same village. Seth called them too. They came on repeated requests. Seth said – ‘Today I have distributed gold, if you also take some then I will be well.’ The saint said – ‘Brother! You did a great job, but I don’t need to sleep.’ Dhani still insisted. The saint understood that there is ego of money in his mind. The saint wrote Ram’s name on a Tulsi leaf and said – ‘Brother! I never take donations from anyone. My master gives me so much to eat and wear that I don’t need to take it from anyone else. But if you insist so much, then weigh the gold equal to this leaf.’ Seth understood this as sarcasm and said, ‘Why are you playing pranks, by your grace my house is full of gold, I want to give it to you knowing that I am poor.’ The saint said – ‘Brother! If you want to give, weigh the gold equal to a basil leaf.’ Annoyed, Seth asked for the scales and placing a leaf on one pan, he started placing gold on the other. Many hearts became gold; But the pan with basil leaves remained at the bottom. Seth was stunned. He held the feet of the saint and said – ‘ Maharaj! You have done a great favor by destroying my ego. You are the true rich. The saint said – ‘Brother! What is mine in this? This is the glory of the name. The name cannot be compared to anything in the world. By God’s mercy, you have shown the importance of your name. Now you chant the name of God; Your life will be successful.