स्वागतका तरीका

sunrise woman morning

कहा जाता है कि किसी नगरका एक नागरिक अतिथियों तथा अभ्यागतोंको अधिक परेशान करनेके लिये विख्यात हो गया था। कहते हैं कि वह अभ्यागतोंको स्वागत-सत्कारकी पूछताछ और आवभगतमें ही पूरा तंग कर देता था ।

इसपर एक दिन एक दूसरे व्यक्तिने, जो अपनी धुनका बड़ा पक्का था, उस मनुष्यको स्वयं अपनी आँखों देखना चाहा और चलकर उसकी परीक्षा लेनेकी ठानी। उसके मनमें यह बात जमती ही न थी कि ‘कोई पुरुष स्वागत और आवभगतमें किसीको परेशान कैसे कर सकेगा?”

इन सब बातोंको सोचकर वह पुरुष पूर्वोक्त अरब सज्जनके दरवाजेपर उपस्थित हुआ और उसे नमस्कारकिया। गृहपतिने भी उससे पधारनेकी प्रार्थना की। वह भीतर गया।

अब जब गृहपतिने उसे स्वागतमन्दिरमें ले जाकर सर्वोत्तम पलंगपर विराजनेकी प्रार्थना की तो यह अभ्यागत बिना किंचिदपि ननु नच किये उसपर चुपचाप बैठ गया। अब थोड़ी देरमें वह एक बड़ा मुलायम मसनद उस आगन्तुकके लिये लाया और यह नवागत व्यक्ति भी पूर्ववत् बिना किसी आनाकानीके उसके सहारे बैठ रहा। थोड़ी देरमें गृहपतिने अतिथिको चौपड़ खेलनेके लिये निमन्त्रित किया और वह तुरंत उस खेलमें शामिल हो गया। अब उसने आगन्तुकके पास भोजन लाकर रख दिया। इस भले आदमीने भी तुरंत उसे खा ही लिया। अब उसने उसके हाथ-पैरधोते ही फुलवाड़ीमें टहलनेका अनुरोध किया और वह भी सीधे वहाँ जाकर टहलने लगा।

अब अभ्यागतने उस गृहपतिसे कहा- ‘मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ।’ ‘वह क्या’ गृहपतिने पूछा।

‘मुझे यह पता चला है कि आप अतिथियोंको इस लिये अधिक परेशान कर देते हैं कि वे जो नहीं चाहते उसे आप उनके सामने उपस्थित कर देते हैं और वे जो चाहते हैं उसे आप ध्यानमें भी नहीं लाते।’

‘हाँ, हाँ, मैं आपकी बात समझ गया। मेरे घर जब कोई आता है तो जब मैं उसे उत्तम शय्या, उत्तम आसन देने लगता हूँ तो प्रायः वह सबको अस्वीकार करता है। जब मैं भोजन लाता हूँ तो वह कहता है ‘नहीं; नहीं; धन्यवाद ।’ जब मैं उन्हें शतरंज खेलनेके लिये आमन्त्रितकरता हूँ तो वह उसे भी स्वीकार नहीं करता। ऐसी दशामें ठीक विरुद्ध बुद्धिके लोगोंको हम कैसे प्रसन्न करें। मनुष्यको यह चाहिये कि वह जब मित्रोंके साथ मिले तो उसके विचारोंका भी ध्यान रखे’ गृहपति बोल गया एक ही स्वरमें।

‘और यही बात आपको भी चाहिये। एक दूसरेके ध्यानसे ही निर्वाह सम्भव है। जो अपनेको बुरा प्रतीत हो वह दूसरेके साथ न करे, जो अपनेको रुचे वह दूसरोंको भी मिले, यह बड़ा व्यापक नियम है तथापि रुचिवैचित्र्यको जानकर भिन्न रुचिवाले व्यक्तिके मनोनुकूल व्यवहार-स्वागत-मिलन ही स्वागतकी विशेषता है।’ आगन्तुकने? कहा।

-जा0 श0

It is said that a citizen of a city had become famous for giving much trouble to the guests and visitors. It is said that he used to trouble the visitors completely in the inquiry and hospitality itself.
On this, one day another person, who was very sure of his tune, wanted to see that man with his own eyes and decided to test him by walking. This thing did not fit in his mind that ‘ how can a man disturb someone in reception and hospitality?
Thinking all these things, the man appeared at the door of the aforesaid Arab gentleman and greeted him. The householder also requested him to come. He went inside.
Now when the householder took him to the welcome temple and requested him to sit on the best bed, this visitor sat quietly on it without dancing. Now in a short while he brought a big soft chair for that visitor and this newcomer also sat on it without any hesitation as before. After a while the host invited the guest to play chaupad and he immediately joined in the game. Now he brought food to the visitor and kept it. This good man also immediately ate it. Now he requested to take a walk in the flower garden as soon as he washed his hands and feet and he also went straight there and started walking.
Now the visitor said to that householder – ‘I want to tell you one thing.’ ‘What is that?’ asked the householder.
‘I find that you annoy your guests more by presenting to them what they do not want and not even noticing what they do want.’
‘Yes, yes, I get your point. When someone comes to my house, when I start giving him the best bed, the best seat, he often rejects everyone. When I bring food he says ‘No; No; Thank you .’ When I invite him to play chess, he does not accept that either. In such a situation, how can we please people with completely opposite intellect. A man should take care of their thoughts when he meets with friends,’ said the householder in one voice.
‘And you want the same thing. Survival is possible only by taking care of each other. He should not do to others what he thinks is bad, he should get what he likes to others, this is a very general rule, however, knowing the diversity of interests, friendly behavior-welcoming-meeting a person with different interests is the specialty of welcome.’ Visitors? Told.

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