रसोपासना – भाग-10 जब बसन्त भी पगलाया


रंग दो ना बसन्त में अपने “मन” को आज…

हो जाने दो ना… चित्त को उद्वेलित आज… देखो ! वसन्त, निकुञ्ज में पगलाया है… जगत को पागल बनाता है ये ऋतुराज… पर यहाँ युगल की छवि देखकर सखियों का आनन्द देखकर बसन्त भी मोहित हो गया…

पर अभी ऋतु तो बसन्त नही है… आप पूछ सकते हैं मुझसे ।

करना ही है तो “शरद ऋतु” का वर्णन कीजिये महाराज !

ऐसा आप सोच रहे हैं… तो रुकिये !

निकुञ्ज में यहाँ की तरह ऋतुएँ नही आतीं… वहाँ तो सखियों की जब इच्छा हो… तब वही ऋतु उपस्थित है सेवा के लिये ।

पर सखियों का अपना मन तो है ही नही… “मन” तो केवल युगल का है… इच्छा युगल की ही है… और युगल की इच्छा ही यहाँ सखियों की इच्छा होती हैं… फिर युगल की इच्छानुसार ही वो उत्सव का आयोजन करती रहती हैं… उद्देश्य – मात्र “युगल” को सुख पहुँचाना है ।

“युगल प्रेम” ही सखियों के प्रेम का आधार है… और इनका प्रेम, श्रृंगार रस से भरपूर है… इसलिये तो इस प्रेम का रसास्वादन करने के लिये “सखी भाव” की आवश्यकता बताई गयी है… सखी भाव यानि देहभाव से परे जाना… “मैं शरीर हूँ” इस बात को धीरे-धीरे कम करना… और चिन्मय सखी भाव से भावित होकर इन लीलाओं का ध्यान करना… चिन्तन करना… उसी भाव राज्य में अपने आपको पहुँचाना… किसी कोने में खड़े होकर निकुञ्ज में… युगल की इन लीलाओं को देखना ।

बसन्त का अर्थ इतना ही है कि चित्त में उत्कण्ठा का उदय हो जाये… मन तड़फ़ उठे… कि कोई रंग दे बसन्ती रंग में ।

“कोई” और नही… हमारे सनातन मीत युगल रंग दें ! आहा !

सारा खेल मन का ही तो है… कि नही ? करो भावना युगल के नित्य निकुञ्ज की ।

चलिये चलिये… इन बेकार की बातों में मत उलझिये… चलिये निकुञ्ज में आज बहुत कुछ हो रहा है ।


” देखो सखी ! आज बसन्त लुभाये “

यमुना जी की सेवा स्वीकार करके युगल सरकार आगे वन की शोभा देखते हुए चल रहे हैं… सखियाँ सब आनन्दित हैं ।

चलते हुये “श्रीजी” की नुपुर बज रही है… उन नुपुर की ध्वनि श्रीधाम वृन्दावन में गूँज रही है… पक्षी कलरव कर रहे थे… वो शान्त हो गए हैं… नुपुर की ध्वनि ने उन्हें भी चकित कर दिया है… कोयली कितना बोल रही थी… पर नुपुर की ध्वनि सुनते ही वो भी चुप हो गयी और स्वयं शान्त होकर सुनने लगी थी… नुपुर की मधुर ध्वनि से वनराज श्रीधाम वृन्दावन एकाएक बदल रहा था ।

सखी ! कितना अच्छा हो कि इसी समय बसन्त ऋतु यहाँ छा जाए ।

रंगदेवी सखी ने ललिता जु से कहा ।

बस… “सखियन के उर ऐसी आई”… कामना उठी सखियों के उर में – बसन्त तो सेवा के लिये तैयार ही था… छा गया पूरे श्रीधाम वृन्दावन में बसन्त ।

श्रीजी के अंग का रंग जहाँ सुवर्ण के समान है… पीला… वही प्रभा पूरे वन में दिखाई देने लगा… पीत प्रभा से कुञ्ज निकुञ्ज जगमगा उठा… पक्षी चकित भाव से देखने लगे थे कि – ये क्या हुआ !

सखियों के मन में आनन्द की लहरें दौड़ पड़ीं… व्याकुलता सखियों के मन में बढ़ गयी थी “बसन्त कुञ्ज” में युगल के दर्शन की ।

पपीहा, तोता, मैना ये उड़-उड़ कर युगल के आगे आने लगे थे ।

सामने देखा युगल सरकार ने…

दिव्य बसन्त कुञ्ज है… नाना प्रकार के फूल उनमें खिले हुए हैं… पीले फूलों की भरमार है… आमों में बौर आने लगे हैं… कोयल कूकने में मस्त हो रही है… .युगल के मन में रस की सृष्टि प्रारम्भ हो गयी थी…

बसन्त कुञ्ज में एक “वासन्ती सिहांसन” है… वहीं युगल सरकार को विराजमान कराया सखियों ने… और अति आनन्दित होती हुयी सेवा में जुट गयीं


🙏हे प्यारे ! आज ये श्रीधामवृन्दावन को क्या हो गया है ?

कैसी अद्भुत पीतिमा फ़ैल रही है… यहाँ की भूमि में पीले-पीले फूल चारों ओर दिखाई दे रहे हैं… श्रीजी ने श्यामसुन्दर से कहा ।

🙏हे प्यारी ! ये पीला प्रकाश किसी और का नही… आपके अंग का ही तो प्रकाश है… आपका अंग सुवर्ण की तरह पीला चमकता हुआ है… उसी का तेज़ इस श्रीधाम में पड़ रहा है… जिसके कारण ये सब पीला दिखाई दे रहा है ।

ये कहते हुये एकटक अपनी श्रीराधारानी को श्याम सुन्दर देखने लगे ।

ये क्या कर रहे हो आप ?

श्याम ! आप तो मुझे ऐसे देख रहे हो… जैसे पहली बार देख रहे हो… हँसी ये कहते हुये श्रीजी ।

हाँ… बात ही कुछ ऐसी है… कि हमारी दृष्टि आपसे हट ही नही रही ।

ये कहते हुए भी श्रीजी को अपलक देखते ही रहे श्यामसुन्दर ।

ऐसी क्या बात है प्रियतम ! हमें भी बताओ ! श्रीजी सुनना चाहती हैं ।

🙏प्यारी ! आज आपके तन रूपी वन में बसन्त विहार कर रहा है… बड़े प्रेम से रसिक शिरोमणि ये बात बोले थे ।

मैं समझी नही प्यारे ! स्पष्ट कहो ! श्री जी ने फिर पूछा ।

🙏हे प्रिया जु ! आपके लाल-लाल होठों की शोभा तो ऐसी लग रही है… जैसे मानो – कंचनमय कुच-कलश से निकले लता में नई कोमल कोंपल फूटी हों ।

🙏और आपके सुन्दर नासिका की शोभा तो ऐसी है… जैसे रूप लता की मञ्जरी… आहा ! रसिक शिरोमणि तो गदगद् हो रहे हैं आज अपनी प्यारी के अंग की उपमा बसन्त के वैभव से करते हुए…

🙏और आपकी जो साँसें मन्द चल रही है ना… वो तो बस ऐसी लग रही है जैसे – सुरभित बसन्त की वयार चल रही हो ।

ये कहते हुए श्रृंगार रस में डूब गये श्यामसुन्दर…

और और ! कुछ सोचने लगे…

और क्या प्यारे ? मुस्कुराते हुए श्रीजी ने फिर पूछा ।

कोयल के समान आपकी बोली… और मनोहारी कदली खम्भ की तरह आपकी जंघा… और !

और क्या बोलूँ ! अब और इस बसन्त का वर्णन मुझ से नही होगा… आपका सम्पूर्ण स्वरूप ही बसन्त हो रहा है… शायद बसन्त भी लज्जित हो रहा होगा प्यारी ! श्याम सुन्दर ये बोलते हुए आह भर रहे थे ।

श्याम सुन्दर की दशा बड़ी अद्भुत हो रही थी… नयनों में लाल-लाल डोरे पड़ रहे थे… प्रेम के… श्री जी ने जब ये दशा श्याम सुन्दर की देखी तो उन्हें अपने हृदय से लगा लिया… और बहुत देर तक लगाये रखीं ।

इस स्वरूप झाँकी का दर्शन करके सखियाँ आनन्दित हो रही हैं… बस उसी समय झाँझ-मृदंग बजने शुरू हो गए… सखियों ने बसन्त राग गाना शुरू किया… रंगदेवी सखी… सुवर्ण की थाली में अबीर, केशर, गुलाल, फूलों की पंखुडियाँ… सरसों की डाली आदि सजाकर लाईं… कोई नाच रही हैं… कोई वाद्य बजा रही हैं… कोई रंग अबीर युगलवर के कपोल में लगा रही हैं ।

चारों ओर से आनन्द की वर्षा होने लगी… रस ही रस छा गया निकुञ्ज में… युगल एक दूसरे को अंक माल करके… रस में सराबोर हो रहे हैं… श्रीधाम वृन्दावन बसन्त के रंग में रंग गया था आज ।

चारों ओर इत्र फ़ैला दिया था सखियों ने… उसकी सुगन्ध से पूरा श्रीधाम महक उठा ।

अरे ! ये क्या ?

ललिता सखी अपनी अष्ट सहचरियों के साथ सिर में सुन्दर कलश लिये… नाचती गाती हुयी आरही थीं… ये देखकर युगल सरकार आनन्दित हो उठे… जय हो… जय हो की ध्वनि से पूरा श्री धाम गूँज उठा था ।

सच में ऋतुराज बसन्त भी ये दृश्य देखकर पगला गया था ।

देखो सखी ! आज वसन्त लुभाये !
रंग बाग़ के मध्य चौक बिच, चहुँ दिसि फूलन छाये !!
अंब- मौर जौ केसर क्यारी, कनक कलस धरवाये !!
अंग संग नित श्रीरंगदेवी, निरखि हरखि सचुपाये !!

शेष “रसचर्चा” कल –

🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷



Give color to your “mind” in spring today…

Let it happen… today the mind is agitated… look! Basant has gone mad in Nikunj… This Rituraj makes the world mad… But seeing the image of the couple here, seeing the joy of the friends, Basant was also fascinated…

But it is not spring now… you can ask me.

If you have to do, then describe the “autumn” Maharaj!

So you are thinking… then wait!

Seasons don’t come in Nikunj like here… There, whenever there is a desire of the friends… then the same season is present for service.

But the friends don’t have their own mind… “mind” is only of the couple… the desire is of the couple only… and here the desire of the couple is the desire of the friends… then they keep organizing the festival according to the wish of the couple… Purpose – only to bring happiness to the “couple”.

“Couple love” is the basis of the love of friends… and their love, makeup is full of rasa… That is why the need of “Sakhi Bhav” has been told to taste this love… Sakhi Bhav means to go beyond body… ” “I am the body” slowly reducing this thing… and meditating on these pastimes with the feeling of being a loving friend… thinking… taking yourself to the state of the same feeling… standing in a corner in Nikunj… watching these pastimes of the couple. Look .

The meaning of spring is only that the yearning arises in the mind… the mind yearns… that someone give color in the color of spring.

No one else… Color our eternal sweet couple! Ouch!

The whole game is of the mind only… isn’t it? Do the feeling of Nitya Nikunj of the couple.

Let’s go… don’t get entangled in these useless things… Let’s go A lot is happening in Nikunj today.

“Look friend! Today spring is tempting”

Accepting the service of Yamuna ji, the couple government is walking ahead seeing the beauty of the forest… All the friends are happy.

Shreeji’s nupur is ringing while walking… the sound of that nupur is resonating in Shridham Vrindavan… birds were chirping… they have become calm… Nupur’s sound has surprised them too… Koyli was speaking so much … But as soon as she heard the sound of Nupur, she also became silent and herself started listening quietly… Vanraj Shridham Vrindavan was suddenly changing with the sweet sound of Nupur.

Friend! How good it would be that spring should cover here at this time.

Rangdevi Sakhi said to Lalita Ju.

That’s all… “Sakhian ke Ur Aisi Aayee”… The desire arose in the heart of the friends – Spring was already ready for service… Spring enveloped the entire Sridham Vrindavan.

Where the color of Shreeji’s body is like gold… yellow… the same light started appearing in the whole forest… the yellow light lit up Kunj Nikunj… The birds were surprised to see – what has happened!

Waves of joy ran in the hearts of the friends… Distraction increased in the minds of the friends after seeing the couple in “Basant Kunj”.

Papiha, Tota, Myna started coming in front of the couple by flying.

The couple government saw in front…

Divya Basant is Kunj…various types of flowers are blooming in them…yellow flowers are in abundance…mangoes have started blooming…cuckoo is busy in cooing….the creation of juice had started in the mind of the couple…

There is a “Vasanti throne” in Basant Kunj… where the friends got the couple Sarkar seated… and got involved in the service with great joy

🙏 Hey dear! What has happened to Shridham Vrindavan today?

What a wonderful Pitima is spreading… Yellow-yellow flowers are visible everywhere in the land here… Shreeji said to Shyamsundar.

🙏 Oh dear! This yellow light does not belong to anyone else… It is the light of your body only… Your body is shining yellow like gold… Its glory is falling in this Shridham… Because of which everything is looking yellow.

Saying this, Shyam started seeing his Shriradharani as beautiful.

what are you doing

Shyam! You are looking at me like this… as if you are seeing me for the first time… Shreeji said this with a smile.

Yes… the thing is such… that our vision is not diverted from you.

Even while saying this, Shyamsundar kept looking at Shreeji.

What’s the matter dear! Tell us too! Shreeji wants to listen.

🙏 Dear! Today Basant is roaming in the forest like your body… With great love, Rasik Shiromani had said these things.

I don’t understand dear! Say it clearly! Shri ji asked again.

Hey Priya Ju! The beauty of your red-red lips is looking like this… as if new soft buds have sprouted in the creeper that came out of the Kanchanmay Kuch-Kalash.

🙏 And the beauty of your beautiful nasika is such… like the manjari of Roop Lata… Aha! The lovers of the head are getting giddy today while comparing the body of their beloved with the splendor of spring…

🙏 And your slow breathing, isn’t it? It just looks as if you are in the mood of a beautiful spring.

Saying this, Shyamsundar got drowned in Shringar juice…

and and ! Started thinking something…

What else dear? Smiling Shreeji asked again.

Your speech like a cuckoo… and your thigh like a graceful Kadli pillar… and!

What else to say! Now I will not be able to describe this spring… Your whole form is becoming spring… Perhaps even spring must be feeling ashamed, dear! Shyam Sundar was sighing while saying this.

The condition of Shyam Sundar was becoming very wonderful… there were red threads in the eyes… of love… when Shri ji saw this condition of Shyam Sundar, he hugged him to his heart… and kept hugging him for a long time.

The sakhis are rejoicing on seeing this form of tableau… Just at the same time cymbals and drums started playing… The sakhis started singing Basant Raag… Rangdevi Sakhi… Abir, saffron, gulal, flower petals… mustard in a golden plate. Brought decorated branches etc… Some are dancing… some are playing instruments… some are applying color to the cheeks of Abir Yugalvar.

Happiness started raining from all sides… Nikunj was filled with happiness… Couples showered each other with happiness… Shridham Vrindavan was colored in the colors of spring today.

Friends had spread perfume all around… The whole Shridham was filled with its fragrance.

Hey ! What is it ?

Lalita Sakhi with her eight companions carrying a beautiful urn on her head… was dancing and singing… Seeing this, the couple Sarkar became happy… Jai ho… Jai ho, the whole Sri Dham echoed with the sound.

In fact, Rituraj Basant also went mad after seeing this scene.

Look friend! Let spring tempt you today! In the middle of the Rang Bagh, in the middle of the square, there are flowers everywhere!! Amb-Peacock Barley Kesar Kyari, Kanak Kalas Dharwaye!! Shrirangdevi always with organ, Nirkhi Harkhi Sachupaye!!

The rest of the “Ruscharcha” tomorrow –

🚩Jai Shri Radhe Krishna🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷

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