मईया ऐसी रंगा दो मोरी चुनरी हो माँ,
कोर कोर पे कान्हा रे बैठे मुरली भजाये,
मईया सखियों के संग में कान्हा नित रास रचाये,
मईया ऐसी रंगा दो मोरी चुनरी हो माँ,
सिंधु के वो वासी रे विष्णु भगवन,
लक्ष्मी चरण दबाबे नागो की छा,
ऐसी रंगा दो मोरी चुनरी हो माँ….
गंगा यमुना लिखियो रे दर्शन के जाये,
गंगा और कावेरी हे नर्मदा माये,
ऐसी रंगा दो मोरी चुनरी हो माँ…
बीच में मइयां लिखियो रे शृंगार शिवार,
जग तारण के लाने ओ माई लइ अवतार,
मईया ऐसी रंगा दो मोरी चुनरी हो माँ,
Maya aisi aisi ranga do mori chunari ho mother,
Kanha re sitting on the core core, Bhajaye the murli,
In the company of Mayya sakhis, Kanha raas always.
Maya aisi aisi ranga do mori chunari ho mother,
That resident of Sindhu, Lord Vishnu,
Laxmi Charan suppressed the shadow of the serpent,
Aisi Ranga Do Mori Chunari Ho Maa….
Go for darshan of Ganga Yamuna Likhyo Ray,
Ganga and Kaveri O Narmada Maye,
Aisi Ranga Do Mori Chunari Ho Ma…
In the middle of my life, write re Shringar Shivar,
Lane O My Lai Avatar of Jag Taran,
Maya aisi aisi ranga do mori chunari ho mother,