दिल दर्शन करना चाहता

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आज भगवान ने हमारे दिलों में दर्शन की तङफ जागृत की है।तङफ बढने पर दर्शन का मजा ही कुछ ओर हैं।  भक्त भगवान को कैसे निहारेगा एक क्षण भर में दिल ही दिल में बात बन जाएगी ।कोई समझ नहीं पाएगा ये मेरा सांवरा दिल में कितना समाया है ।
भगवान का यह हमारे लिए सबसे बड़ा प्रसाद है । भगवान ही हमारी मनोकामना को पुरण करेंगे। किसी न किसी जन्म में भगवान  प्रकट होकर हमारे दिल की तङफ को मिटाएगे।हमे साक्षात दर्शन देंगे। कितनी मनोहर घङी होगी जब हम दर्शन पाएंगे।

अध्यात्म चिन्तन का अर्थ यह नहीं है कि हम सबकुछ छोड़ कर बैठ जाएं अपने जितने भी महान संत हुए हैं। उन्होंने इस संसार में गृहस्थ धर्म के सब कर्तव्यों का पालन करते हुए भी मन ही मन भगवान को ध्याते थे। भगवान् को भजते हुए और प्रत्येक कार्य को करते हुए अध्यात्मवाद का प्रवेश हो जाता है। कर्तव्य धर्म नीति सत्यता गृहस्थ धर्म और अध्यात्मवाद की नीवं है।

भगवान के अनेक रूप जो दिल को भाते है अध्यात्मवाद में हमे अन्तर्मन में झांक कर देखते रहे। वे सब भाव मेरे अपने दिल में कितना भाव बनाते मेरा अन्तर्मन कितने समय तक उन भावों में छुप जाता है मै उन भाव में खो जाता हूँ। मै भगवान को निहारते हुए अपने आप को भुल जाता हूँ ।देखो इस रूप में भगवान मुझे देख रहे हैं। भगवान का एक भाव हमारे दिल को छू जाता है। तब उस भाव में दो तीन दिन डुब जाए। अध्यात्मवाद हमारे अन्तर्मन में समा जाए जय श्री राम
अनीता गर्ग



Today God has awakened the yearning for Darshan in our hearts. When the yearning increases, the fun of Darshan is something else. How the devotee will look at God, in a moment the matter will become heart-to-heart. This is the biggest prasad of God for us. Only God will fulfill our wishes. God will appear in one or the other birth and remove the yearning of our heart. He will give us a real darshan. What a beautiful time it will be when we will get darshan.

Spiritual thinking does not mean that we leave everything and sit as great saints have become. While performing all the duties of a householder in this world, he used to meditate on God in his mind. While worshiping the Lord and doing every work, spiritualism enters. Duty, religion, policy, truthfulness is the foundation of household religion and spiritualism.

Many forms of God which are pleasing to the heart kept peeping into our inner heart in spiritualism. All those feelings create so much emotion in my own heart, for how long my inner soul hides in those feelings, I get lost in those feelings. I forget myself while looking at God. See in this form God is looking at me. An emotion of God touches our heart. Then get immersed in that feeling for two-three days. Spiritualism should be absorbed in our heart Jai Shri Ram Anita Garg

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