भगवान नाम विकारों की जङ को जङ से खत्म कर देता है 2

radha4 2390997 640 13625835630644881542.

परमात्मा जी को हाथ जोड़ कर अन्तर्मन से प्रणाम करता है। नैनो में नीर समा जाता है। वाणी गद गद हो जाती है। भक्त नैन बन्द करके जहाँ कहीं प्रभु प्राण नाथ से बात कर लेता है। भक्त हर क्षण भगवान के भाव मे लीन रहता है। प्रभु प्रेम के लिए वाणी गोण है। शरीर भी गोण है। भक्ति मार्ग में आने पर हर घङी आन्नद है। भक्त आनंद सागर में गहरा गोता लगाता है। उसका चलना चलना नहीं रहता, सोना सोना नहीं रहता भक्त की क्रिया और कर्म दोनों बदल जाते हैं। भक्त का आनंद संसार और परिवार के माध्यम का आनंद नहीं है। भक्त का आनंद अन्तर्हृदय में परम प्रभु का आनंद है। भक्त भगवान से प्रार्थना करता है मेरे स्वामी ये आनंद दीन दुखी को प्रदान करदो मै बस निर्लेप भाव से तुम्हारे चरणों में नतमस्तक रहना चाहता हूं मैं बार अपने स्वामी भगवान् नाथ के चरणों में अन्तर्मन से प्रणाम करता रहूं ।भक्त बहता हुआ झरना है।  भक्त की भक्ति से अनेकों जीव तर जाते हैं। भक्त का भगवान हर चीज में समाया है।  मै  परमात्मा बोलती हूं तब मेरे दिल में आन्नद समा जाता है।भगवान का ओझल होना एक क्षण भी नैनो को स्वीकार नहीं होता है जैसे भगवान अनेक लीला कर रहे हो मै खो जाती हूं।  पल पल परम पिता परमात्मा मुझे आन्नद प्रेम शान्ति से तृप्त कर जाते हैं। अब मै कुछ भी नहीं करती मेरे भगवान् आकर सब करते हैं। मेरे भगवान् दिल मे विराजमान हो जाते हैं। भगवान के ध्यान में खोई हुई जब मै रोटी बना रही होती तब ऐसे लगता भगवान खङे है भगवान के दिल में आने पर अन्दर बाहर भगवान् ही है।
अनीता गर्ग



Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *