परमात्मा अन्दर बैठा है और हम उसे बाहर ढुढते है हम यह नहीं समझते हैं भक्ति प्रेम श्रद्धा शान्ति तृप्ति प्राणी के अन्तर्मन से जागृत होती है। भगवान से मिलन की तङफ में प्रार्थना की जागृति कहा से आयी हृदय की तङफ से प्रार्थना के बोल फुट पङे। हम कहते हैं कि मुर्ति में भगवान हैं। हम मन से यह नहीं सोचते हैं। कि अमुक रूप में भगवान समाए हुए है ।तब तक मन्दिर में भगवान का रूप दिखाई नहीं दे सकता है। हमारी अन्तर्मन की सोच में भगवान छिपे बैठे हैं। भगवान शरीर नहीं है। भगवान ज्योति रूप है ।जब हम भगवान को बहुत पुकारते हैं ध्यान धरते जप करते कीर्तन करते हैं तब हमें आनंद की अनुभूति होती है आनंद बाहर से प्रकट नहीं होता है आनंद अन्तर्मन की खेती है आनंद दो प्रकार का है एक हमे सबके साथ कीर्तन करते हुए खुशी महसूस हुई। दुसरा हम भगवान के साथ अकेले में अन्तर्मन की प्रार्थना से जुड़ कर हमे शरीर गोण लगने लगा और हम प्रभु प्रेम में डुब कर ऐसे लगा मानो साक्षात भगवान ही हो। इस परिस्थिति को मै आगे शब्द नहीं दे सकती हूं। सत्संग हमे भव से पार तो करता ही है।एक सत्संगी जीवन में आने वाली किसी भी परिस्थिति से घबराता नहीं है। भगवान का नाम जप करते कीर्तन हमारे अन्दर प्रभु प्रेम को जाग्रत करता है। एक दिन भक्त कहता है कि आज मैं अकेला नहीं रहा मेरा भगवान मेरे अंग संग है। मै मेरे स्वामी भगवान नाथ को दिल में बिठाकर बन्द और खुली आंखों से निहारता रहु। जय श्री राम अनीता गर्ग
God is sitting inside and we seek Him outside, we do not understand that devotion, love, faith, peace, fulfillment arise from the soul of the creature. Awakening of prayer in the side of meeting with God Where did the words of prayer come from the side of the heart. We say that there is God in the idol. We don’t think with our mind. That God is contained in such a form. Till then the form of God cannot be seen in the temple. God is sitting hidden in the thinking of our conscience. God is not a body. God is the form of light. When we call out to God a lot while chanting and chanting, then we feel bliss. Bliss does not appear from outside. Felt happy Secondly, by joining the prayer of inner soul alone with God, we began to feel like a body and we felt as if we were the only God by being immersed in the love of God. I cannot describe this situation further. Satsang does not only cross us from the universe. A satsangi is not afraid of any situation that comes in life. Kirtan chanting the name of the Lord awakens the love of GOD in us. One day the devotee says that today I am not alone, my God is with me. Keeping my lord Bhagwan Nath in my heart, keep looking at me with closed and open eyes. Jai Shri Ram Anita Garg