भगवान की भक्ति मे भाव बहुत बनते हैं। भक्त भाव से भगवान की वन्दना करता है। भाव में अपने अराध्य के चरणो में समर्पित है। भाव के बनने पर भक्ती की दृढता हैं भक्त अन्तर्मन से प्रभु चरणों में समर्पित है। भक्त की भक्ति भाव प्रधान हैं। भक्त कहता है भगवान की पूजा कुछ समय की है भाव हर समय है भक्त अपने अन्तर्मन मे देखता है कि दिन भर मेरे प्रभु प्राण प्यारे के साथ कितने भाव बने एक भाव ने दिल पर कितनी दस्तक दी। एक भाव ने भक्ती मार्ग को कितना दृढ किया। एक भगवान के भाव में कितनी प्रेम और समर्पण भाव की जागृति हुई। भक्त देखता है भाव की दृढता से मै भगवान के कितने नजदीक आया। दिन भर में मेरे अन्दर भगवान के कितने भाव उठे। उस भाव में कितनी गहराई थी। दिल कैसे भगवान से मिलने के लिए आतुर हुआ। भगवान के भाव में शरीर मन बुद्धि गोण हुए। मै दिन भर कितना परम तत्व परमात्मा से जुड़ा। हमारे अन्तर करण में जितने भाव बनेंगे उतने ही हम भगवान के नजदीक होगें। भगवान की विनती और स्तुति करेंगे।भक्त के हृदय में कई बार एक भाव वर्षों तक बना रहता है भाव जितना गहरा होगा उतनी ही भक्ति मे शुद्धता और समर्पण भाव जाग्रत होगा। भाव के द्वारा भक्त ध्यान मार्ग में प्रविष्ट होता है। ध्यान मार्ग आत्म तत्व का मार्ग है ।भक्ती की गहराई है। जय श्री राम अनीता गर्ग
Many feelings are created in the devotion of God. The devotee worships the Lord with devotion. Devoted to the feet of his worship in spirit. When the feeling is formed, there is the firmness of devotion, the devotee is devoted to the Lord’s feet from the heart. The devotion of the devotee is predominant. The devotee says that the worship of God is for some time, the feeling is there all the time, the devotee sees in his heart that how many feelings have been made with my Lord Prana beloved throughout the day, how many feelings have knocked on the heart. How much one emotion has strengthened the path of devotion. How much love and devotion was awakened in the sense of one God. The devotee sees how close I have come to God with the firmness of the feeling. How many feelings of God arose in me during the day. How deep was that feeling. How did the heart yearn to meet God. The body, mind and intellect got absorbed in the sense of God. Throughout the day, I connected with the Supreme Soul, the Supreme Soul. The more feelings we create in our inner being, the closer we will be to God. Will pray and praise God. Many times a feeling remains in the heart of the devotee for years, the deeper the feeling, the more will be the purity and dedication in devotion. Through Bhava the devotee enters the path of meditation. The path of meditation is the path of the Self. There is depth of devotion. Jai Shri Ram Anita Garg