इस सृष्टि के जंहा मे तु ही समाया
जीधर नजर जाती है तु ही तु नजर आता है
बाहर और भीतर तेरा ही वास है।
तुझ से भिन्न नहीं कोई है
तु ब्रह्म है तु परमात्मा है
तु कृष्ण है तु राम है,
शिव और सत्य तु ही है।
इस सृष्टि के जंहा मे तु ही समाया
धर्म तु है तु ही भक्ती है, भक्त के भीतर भक्ती की धारा तु ही प्रवाहित करता है
भक्त के हदय का प्रेम तु है। राग भी तु है
तुझ से भिन्न नहीं है कुछ ।
इस सृष्टि के जंहा मे तु ही समाया
मौन में तु हृदय मंदिर सजाता है। ऋषि मुनि भी तुम्हारा पार नहीं पाते हैं।
प्राण तु है सांस की धड़कन तु है। एक से अनेक तु होता है तभी सृष्टि की रचना होती है। वेद ग्रंथों का सार तुही है तेरा तुझमे समा जाए।हृदय मंदिर में तु ही आता है।फिर भी तेरे दर्शन के प्यासे दो नैन है
इस सृष्टि के जंहा मे तु ही समाया
जय श्री राम अनीता गर्ग