कोठरी का उदार

हमे इस जग को छोड़ने से पहले भगवान को सांसो में बसाना है। इस कोठरी का उदार जीते जी कर के जाए। हम अनेक जन्मों से भटक रहे हैं। इस जन्म में हम पार पा जाए। हम पार तभी पा सकते हैं जब हम परमात्मा को दिल से ध्याए।  सम्पूर्ण धर्मो के त्याग से मतलब है कि जब तु यह समझ जाएगा कि परम तत्व परमात्मा निर्गुण निराकार और सगुण साकार है। परमात्मा कही और नहीं प्राणी के हृदय में समाया है।

जब प्राणी अपने अन्दर विश्वास कर लेगा। उस समय परमात्मा मिल जाएगे। तब प्राणी की हर किरया में परमात्मा समाए हुए होगे। दिल ही दिल में अपने स्वामी आन्नद सागर से खेल रहा होगा। जीवन की जिम्मेदारी निभाते हुए परमात्मा का चिन्तन करे। हम भगवान् के नाम की माला जपते हैं। एक दो घंटे माला जपने पर हमें घर के कार्य करने की जल्दी होगी। मन ही मन में परमात्मा के चिन्तन में किसी भी बात की जल्दी नहीं है।मन ही मन में भगवान राम को सुमरण करते रहे। जय श्री राम अनीता गर्ग

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