एक साधक आत्म चिन्तन करते हुए अपने आप से पुछता मै किस लिए आया हूं मेरे जीवन का क्या लक्ष्य है हम मानव जीवन मे अपने आप से कुछ प्रश्न करे हमें मनुष्य जन्म क्यो मिला है। मै किस लिए पृथ्वी पर आया हू। नाम मेरी पहचान नहीं है।
नाम शरीर के ढांचे का है। मै अपने आप को जानना चाहता हूं। मनुष्य जीवन का लक्ष्य अन्तर यात्रा करना है। परम तत्व परमात्मा
प्राणी के भीतर कैसे समाये हुए हैं। मै कोई और हूँ जो मै दिखाई देता हूँ वह मै नहीं हूँ मैं शरीर नहीं हूँ शरीर जन्मता और मरता है मै न जन्म लेता हूँ न मरता हूँ मुझमे ब्रह्म बैठा है मै ईश्वर का अंश हूं आत्मा रूप में परमात्मा जीव मे निवास करता है
अपने आप को पढते हुए मै क्या चाहता हूं। क्या मनुष्य जन्म लेकर मै खाने पीने सोने के लिए आया हूं। यह पशु वृत्ति है मेरे जीवन का लक्ष्य परमानंद को जानना है सुख भौतिकता मे है। अध्यात्म में आनंद
की धारा बहती है हमे अपने आप को जगाना है। लक्ष्य को अपने अन्तर्मन मे झांक कर जान सकते हैं
मै क्यों आया हूँ। मुझे कहा जाना हैं। अ प्राणी यदि तु लक्ष्य की खोज करना चाहता है तब तुझे हर क्षण मंथन करना होगा। अन्तर्मन में झांकना होगा। मार्ग की खोज तुझे बाहर से नहीं अन्तर्मन से ईश्वर चिंतन करते हुए सतर्क रह कर मिल सकती है। जीवन में कुछ भी प्राप्त करना सम्भव है। खुदाई तुझे अन्तर्मन मे करनी है।
अपने लक्ष्य को निर्धारित करने वाले कभी रूकते नही है। वे मार्ग को बनाने में सक्षम होते हैं। उनका अटल निशचय उनके मार्ग का साथी हैं। वे प्रायः अपने आप से प्रश्न करते हैं। तेरे जीवन का लक्ष्य क्या है तु क्यों आया है। वह फिर प्रशन करता है प्रतिदन प्रशन का करना ही मार्ग की खुदाई है। आप जितने अपने आप से प्रशन करते हो उतने आपके मार्ग दृढ होगे । मानव जीवन का लक्ष्य आत्म चिन्तन करते हुए मै तत्व से ऊपर उठना है। मै मर गया विकार जल गए । परम पिता परमात्मा कैसे कण-कण में विराजमान है ।जय श्री राम अनीता गर्ग
एक साधक आत्म चिन्तन करते हुए अपने आप से पुछता मै किस लिए आया हूं मेरे जीवन का क्या लक्ष्य है हम मानव जीवन मे अपने आप से कुछ प्रश्न करे हमें मनुष्य जन्म क्यो मिला है। मै किस लिए पृथ्वी पर आया हू। मेरा नाम मेरी पहचान नहीं है। नाम शरीर के ढांचे का है। मै अपने आप को जानना चाहता हूं। मनुष्य जीवन का लक्ष्य अन्तर यात्रा करना है। परम तत्व परमात्मा प्राणी के भीतर कैसे समाये हुए हैं। मै कोई और नहीं ईश्वर है। अपने आप को पढते हुए हम मै क्या चाहता हूं। क्या मनुष्य जन्म लेकर मै खाने-पीने सोने के लिए आया हूं। मेरे जीवन का लक्ष्य सुख की प्राप्ति है सुख किस चीज में है क्या भोजन में सुख है सुख किसे प्राप्त हुआ क्या मन का खुश होने में ही सुख है। मन कितने समय खुश होता है। मन कितने समय खुश रहता है। मन तो पल भर में बदल जाता है। फिर हम खुशियों को प्राप्त करने तक ही सिमित क्यों है। क्या खुशी ही जीवन की सत्यता है। खूशी के लिए हम सब कार्य करते हैं। क्या मेरे जीवन का लक्ष्य भी खुशी ही है।खुशी सत्य नहीं है। हमे अपने आप को जगाना है। अपने लक्ष्य को हम अपने अन्तर्मन मे झांक कर जान सकते हैं मै क्यों आया हूँ। मुझे कहा जाना हैं। अ प्राणी यदि तु लक्ष्य की खोज करना चाहता है तब तुझे हर क्षण मंथन करना होगा। अन्तर्मन में झांकना होगा। मार्ग की खोज तुझे बाहर से नहीं अन्तर्मन से करते हुए सतर्क रह कर मिल सकती है। जीवन में कुछ भी प्राप्त करना सम्भव है। खुदाई तुझे अन्तर्मन मे करनी है। अपने लक्ष्य को निर्धारित करने वाले कभी रूकते नही है। वे मार्ग को बनाने में सक्षम होते हैं। उनका अटल निशचय उनके मार्ग का साथी हैं। वे प्रायः अपने आप से प्रश्न करते हैं। तेरे जीवन का लक्ष्य क्या है तु क्यों आया है। वह फिर प्रशन करता है प्रतिदन प्रशन का करना ही मार्ग की खुदाई है। आप जितने अपने आप से प्रशन करते हो उतने आपके मार्ग दृढ होगे ।मानव जीवन का लक्ष्य आत्म चिन्तन करते हुए मै तत्व से ऊपर उठना है। मै मर गया विकार जल गए ।परम पिता दिखाई देने लगे करआप के अन्तर्मन मे दृढ संकल्प की जागृति होगी। आप कर्तव्य पथ पर चल पङेगे। आपके अन्तर्मन मे विवेक और आत्मविश्वास की जागृति होगी ।जय श्री राम अनीता गर्ग












