अध्यात्मवाद दिल में छुपा हुआ है। ग्रंथ और गुरु हमे मार्ग बताते हैं मार्ग पर हमें स्वयं ही कदम बढ़ाने है। हमे प्रभु प्राण नाथ का प्रेम श्रद्धा, विस्वास, भक्ती, त्याग तृप्ति और शांति कहीं बाहर से प्राप्त नहीं होती है। भगवान के नाम सिमरण से एक एक पल भगवान के समर्पित होना होता है। कटिले रास्तों पर साथी नहीं मिलते। भगवान को भजते रहो भगवान दिल और आत्मा है। जंहा आनंद प्रेम का सागर लहराता है जय श्री राम
अनीता गर्ग
मार्ग पर हमें स्वयं ही चलना
- Tags: तृप्ति, अध्यात्मवाद, आनंद, कटिले, त्याग, प्रेम श्रद्धा, भक्ती, लहराता, विस्वास, सागर
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