सब शिव है केवल कैलाशों के दर्शन करके ही ईश्वर नहीं मिल जाते हैं साहिब, सबसे पहले मन के कैलाश को जगाना पड़ता है।फिर तो जहां नज़र जाये वहीं शिव हैं और जहां शिव दिखने लग जायें वहीं पर कैलाश है। ज़रुरी नहीं कि शिव कैलाशों में ही खोजें जाएं कभी-कभी भक्त अपनी भक्ति से अपने मन को ही कैलाश बना देता है और जहां शिव को स्थित होना पड़ता है, क्योंकि भक्त की भक्ति और उस भक्ति में ही शिव पाये जातें हैं जहाँ देखों, वहाँ शिव ही शिव जय शंकर भगवान
