-यदि हम निर्मल शब्द की व्याख्या करते हैं तो इसका अर्थ है निर्मल बिना मल का।निर्माल्य का अर्थ है मानव के मानस पटल /चित्त या मन के चित्रकार इतना निर्मल हो जाना की जब भी आंखें बंद हो , तो आंख बंद करने पर नेत्रों के शक्ति चक्र चालक या विविध रंग या विविध दिवास्वप्न के स्थान पर बिल्कुल पारदर्शी नेत्रपट /दर्पण या सीसे के समान दिखाई देना चाहिए जिस पर हम जब चाहे जहां चाहे अपनी मनचाही सूचना देख सकें। मानसपटल का सी.सी.टी.वी. की तरह से अपने हित में दूसरे लोगों के हित में जब चाहें सदुपयोग कर सकेंं । संजय ने जो महाभारत के दृश्यों का टेलीकास्ट किया था उसका मुख्य कारण संजय के साधारण मानसपटल का निर्माल्य मानसपटल में परिवर्तित होना था /बदलाव आ जाना था ।
यह निर्माल्य मानसपटल कुछ लोगों को जन्मजात सिद्ध विशेष अवस्था प्राप्त होती है । जिससे वह बिना सिद्धि किए ही दूर की बातें अपने मानस पटल पर देख कर बता सकते हैं जिससे टेलीपैथी कहा जाता है । लेकिन टेलीपैथी जनसाधारण में आसानी से उपलब्ध मानस गुण नहीं होता यह प्राकृतिक होता है जिसमें अधिकतम सिद्धि लक्षण होता है ।
यदि हम टेलीपैथी को सीखते हैं या सीखना चाहते हैं तो वह अप्राकृतिक कहा जाता ह ।उसमें न्यूनतम सिद्धि लक्षण प्राप्त होता है । ऐसे न्यूनतम सिद्धि लक्षण प्राप्त लोगों के फोरकास्ट या भविष्य अनुमान विश्वसनीय नहीं होते । लेकिन फिर भी प्रयास किया जाए तो ऐसा व्यक्ति अपना भविष्य दर्शन अपने मानस पटल के दर्शन में कर सकता है ।
2-लेकिन इसके लिए उसे साधनाएं करनी होंगी ।जिनमें सबसे पहला आता है शक्ति चक्र चालन मानव के नेत्रोंं में मानसपटल की त्रययी गति ।मानसपटल में चित्त की स्थिरता प्रथम गति है जिससे सम्मोहन विधा की शुरुआत होती है । मानसपटल की द्वितीय वामावर्त गति हैं।मानसपटल की तृतीय दक्षिणावर्त गति मुख्य हैं। मानस पटल की वामावर्त ,दक्षिणावर्त गति दर्शन नियंत्रण सिद्ध हो जाने पर मनुष्य सिद्ध हो जाता है । मानस पटल में नेत्रों के अंदर विभिन्न प्रकार के रंग दर्शन स्वभाव से होती है या शारीरिक रुग्ण स्वास्थ्य की अवस्था पर निर्भर है। शरीर की शुद्धि अवस्था में मानस पटल का रंग शुद्ध पीला , लाल, हरा या नीला होता है ।
परंतु बीमार होने पर मानस पटल कारण शुद्ध ना होकर मिश्रित रंग हो जाता है जैसे नारंगी ,बैंगनी आदि । जो लोग इस शक्ति चालन में सिद्ध हो जाते हैं वह अपनी शक्ति चक्र चालन को अपनी इच्छा के अनुसार वामावर्त या दक्षिणावर्त चला सकते हैं । विशेष बात यह है कि जिन लोगों के मानस पटल का रंग आखें बंद करने पर /मूंदने पर बिल्कुल काला होता है उनका मानस पटल शक्ति चक्र चालन अवरुद्ध /रुका हुआ होता है ।उनके लिए मानसिक पूजा में श्री कृष्ण का गीता का उपदेश करता दृष्य भी बहुत ही कल्याणकारी होता है।
इस भाव और पूरे मनोयोग से भगवान श्री कृष्ण को नमन कर उनकी मानसिक पूजा का अतुल्य पुण्य प्राप्त होता है। श्री कृष्ण की दिव्यता को प्रकट करता यह स्वरूप अत्यन्त मनोहारी है, इसी समय भगवान ने अर्जुन को अपने विराट स्वरूप के दर्शन कराये थे। जिस विराट स्वरूप में सम्पूर्ण सृष्टि समाहित थी।
– If we interpret the word Nirmal, it means pure without excrement. Nirmalya means the painter of the human mind / mind or mind to become so pure that whenever the eyes are closed, the eyes of the eyes are closed. In place of Shakti Chakra driver or various colors or various daydreams, it should appear like a transparent retina / mirror or lead on which we can see our desired information whenever and wherever we want. Manaspatal’s C.C.T.V. In this way, whenever you want, you can use it in your own interest and in the interest of other people. The main reason for telecasting the scenes of Mahabharata by Sanjay was the transformation of Sanjay’s normal psyche into Nirmalya.
Some people get this pure mental state by birth. With which he can tell things far away by looking at his mental screen without any accomplishment, which is called telepathy. But telepathy is not a mental quality easily available in the general public, it is natural which has maximum achievement characteristics.
If we learn or want to learn telepathy, then it is said to be unnatural. It has minimum achievement characteristics. Forecasts or future estimates of people with such minimum achievement characteristics are not reliable. But even if efforts are made, such a person can see his future in the vision of his mind. 2-But for this he has to do spiritual practices. The first of which comes Shakti Chakra Chalan, the triple speed of the menses in the eyes of the human. The stability of the mind in the menses is the first speed, which starts the hypnosis mode. The second counterclockwise movement of the meniscus is the main. The third clockwise movement of the meniscus is the main one. When control of counterclockwise, clockwise movement of the mental plane is proven, man becomes proven. Different types of color vision inside the eyes are due to nature or it depends on the condition of physical sick health. In the state of purification of the body, the color of the mental surface is pure yellow, red, green or blue.
But on being sick, the color of the mind becomes mixed like orange, purple etc. instead of being pure. Those who become perfect in this Shakti Chaalan can move their Shakti Chakra Chaalan either anticlockwise or clockwise as per their wish. The special thing is that the color of the mind of those people whose color becomes completely black when the eyes are closed / closed, their movement of the power cycle is blocked / stopped. It is very beneficial.
By bowing down to Lord Shri Krishna with this gesture and full attention, one gets the incomparable virtue of his mental worship. This form revealing the divinity of Shri Krishna is very attractive, at the same time God had shown Arjuna his great form. The vast form in which the whole universe was contained.