प्रभु प्रेम
हे परम पिता परमात्मा जी मै तुमको प्रणाम करता हूँ हे मेरे भगवान् नाथ हे दीनदयाल हे मेरे स्वामी तुम कब मुझे अपने दर्श दोगे। भक्त भगवान के भाव मे गहरी डुबकी लगाता है भगवान पग पग पर अपनी झलक दिखाते हैं भक्त को होश नहीं है चिन्तन मनन में लगा हुआ है भगवान् कहते हैं कि संसार की वेदना से तो सभी तङफते हैं। मै तुझे मेरे विरह का स्वाद देता हूं। भगवान् भक्त को करोड़ों बार आनंद देते हैं।भक्त भगवान् से आन्नद नहीं चाहता। भक्त भगवान् से कहता है कि हे परमात्मा जी पहले मैं तुम्हारे चिंतन मनन और समर्पण में गहरी डुबकी लगाना चाहता हूं
भगवान् फिर भक्त को आनंद विभोर करना चाहते हैं। भक्त का भाव परम पिता परमात्मा से हर क्षण जुड़े रहने का रहता है।भक्त के दिल में एक ही तमन्ना होती है कि परम प्रकाशमान की विनती और स्तुति करता रहु ।भक्त भगवान् की भक्ति में लीन होता है भक्त के दिल में भगवान् विरह वेदना जगा जाते हैं।
विरह दर्द नहीं प्रेम की परिभाषा है। परमात्मा का प्रेम विरलो को ही मिलता है। तब भक्त जागता है आज ये दिल मेरे बस का नहीं रहा। ये हर धङकन के साथ तुम्हें पुकार रहा है। दिल मे दर्द की लहर दौड़ रही है। हे परमात्मा जी आज सुबह से तुम आंखों की ओट भी नहीं हुए। हे परमात्मा जी दिल भरा जाता है। हर क्षण तुम्हारी राह ताक रहा। दिल को चैन नहीं मिल रहा है।
हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ मुझसे कोई भुल हुई होगी। अवस्य ही मेरे भाव में पवित्रता कम हुई होगी। मैंने अपनी श्रद्धा के पुष्प सच्चे भाव से समर्पित करने में कमी की होगी। मुझमें खोट पैदा हुआ होगा। प्रभु प्राण नाथ प्यारे दिल अब तुमसे रिझना चाहता है। ये पुकारे तुम चले आओ। करु मै विनती तुम्हारी कोन भाव से विनती के लिए प्रभु दो नयन कटोरे लायी हूँ। गंगा यमुना बहती है इन में। प्रभु थाम लो हाथ मेरा प्रभु थाम लो हाथ । मै तुम्हारी हूँ तुम मेरे हो।प्रभु प्राण नाथ क्या भुल गए प्रीत की रीत को। प्रीत छलकता सागर हैं।
तुम्हारी प्रित में मै मै ना रही। इसमे महकती खुश्बू तुम्हारी। मेरी साँसों में खुशबु भरकर तुम कहाँ चले गए। नैनो में तुम छाए हो स्वामी। नैनो में तुम्हारे आने पर मुझे जगत की हर चीज़ में तुम समाए हुए दिखाई देते हो। मैं पानी का गिलास उठाने लगी। तुम्हारी याद में भुली मुझे ऐसा लगा जैसे ये मेरे भगवान् नाथ स्वामी है। दिल थामे नहीं थमा। फिर प्लेट उठाई – – मेरा पल पल तुम्हारी याद में प्रभु युग के समान बीत रहा। दिल मे तङफ जब बन जाती है। तब हर क्षण ऐसा लगता है कि अब मैं मेरे स्वामी भगवान् नाथ की बन जाऊ। साउंड में भी भगवान के नाम की धुन बजती है। कि कब मेरे स्वामी भगवान् नाथ से मिलन होगा। प्रभु प्राण नाथ ये जीवन बिता जाता है। तुम मेरे दिल की प्यास कब बुझाओगे। हे मेरे स्वामी मुझे तुम्हारी वन्दना भी नहीं करनी आती।
हे मुरारी तुम गोपी के किस भाव पर रिझ गए। मुझमें गोपी का सा भाव भी नहीं है। केही विधि तुझको रिझाऊ प्रभु । तुम्ही मेरे स्वामी तुम्ही प्राण आधार हो। हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ ये प्राण अब प्राण प्यारे के बन जाना चाहते हैं। हे परमात्मा जी आज ये दिल चाहता है कि एक पल के लिए तुम ही तुम बन जाओ। कोन सी घङी होगी जब तुम मुस्कराओगे। दिल मे ठण्डक की लहर दौड़ जाएगी।जय श्री राम अनीता गर्ग