हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद 🌹🙏
जिसे सचमुच में भगवान से प्रेम है वो परमात्मा के लिए एक झटके में संसार के सभी पद, पदार्थ,भोग, ऐश्वर्य,आदि छोड़ देता है।
लक्ष्मण जी ने अपने भाई राम के लिए
एक झटके में सभी संसारिक वस्तुएं
यहां तक की अपनी पत्नी को भी छोड़कर राम के साथ चल दिए
भरत ने भी सभी राजसिक सुख, संसारिक सुख,अपनी पत्नी सबकुछ एक झटके में छोड़ दिया
सीता जी ने भी अपनू पति के लिए सभी संसारिक वस्तुओं को छोड़ दिया
गौतमबुद्ध, तुलसी दास चैतन्य महाप्रभु, आदि इस संसार में आने सत् हुए जिन्होंने परमात्मा की प्राप्ति के लिए सब संसारिक वस्तुओं को छोड़ दिया
लेकिन
आजकल के कुछ सत् ऐसे हैं जो संसार को दिखाने के लिए अपना घर, परिवार,बच्चे सब कुछ छोड़ देते हैं,और अपने आश्रमों में एक नई गृहस्थी बसा लेते हैं ।
वहां उन्हें वहीं सुख,वहीं आराम उनके आश्रम में मिलता है। फिर वो केसा त्याग और भक्ति
असली भक्त वो है जो
चार प्रश्न पूछते हैं।
मेरे जीवन का उद्धार केसे होगा
ज्ञान की प्राप्ति कैसे होगी
वैराग्य केसे होगा
ओर मुक्ति कैसे मिलेगी
इन सब प्रश्नों का उत्तर प्रेम में ही छुपा है।
जिसने परमात्मा से प्रेम किया उसे चारों प्रश्नों के उत्तर उसी के भीतर मिल जाते हैं।
वो स्वयं ही अपने आपमें गुरु है।
गुरु ही सत्य चेतन आनंद स्वरूप है
वहीं सच्चिदानंद घन रूप है।
भगवान प्रेम, परमात्मा पद, पदार्थ,भोग, ऐश्वर्य,
लक्ष्मण जी, भाई राम
संसारिक वस्तुएं