मानव शरीर एक योनी है।
ये शरीर परमात्मा को अत्यन्त प्रिय है।
क्योंकि
बाकी सभी योनियां सिर्फ एक ही कर्म करते हैं वो भोग रहे हैं
लेकिन
नये कर्म नहीं कर सकते
मनुष्य योनि में सभी कर्म कर सकते हैं।वो कर्म करने में स्वतंत्र है।
वो धन कमा सकता हैं।
भक्ति, मुक्ति, परमपद,दिक्षा,शिक्षा, सत्संग,भजन,कीर्तन,साधना उपासना समाधि तथा स्वर्ग सुख और ऐश्वर्य प्राप्त कर सकता हैं। मनुष्य धन प्राप्ति के लिए
अपने शरीर को अत्यंत कष्ट देता है।
उस धन से वो अपने परिवार की पालना उसके सुख के साधन तथा उन सबको वो अपना समझकर वो हर दुःख यातना, विपत्ति झेलता है।
लेकिन
अंत समय में उसके साथ कोई नहीं जाता
केवल उसके साथ उसके अच्छे, बुरे कर्म जाते हैं।
मनुष्य की ये इन्द्रियां मनुष्य के आत्मबल को कमजोर कर देती है।उसे अपने इशारे पर नचाती हैं।
इसलिए
मनुष्य को सबसे पहले इन्द्रियों के राजा मन को वश में कर लेना चाहिए
जिससे मनुष्य की ये इन्द्रियां उसे दुखी न करें
मनुष्य इसी देह से वो ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है।
इसलिए
हमें पशु की तरह जीवन व्यतीत न करके
इस शरीर को ईश्वर की साधना उपासना में लगाना चाहिए
वो निष्काम भाव से कर्म करें
जो भी कर्म करें वो परमात्मा को अर्पण करता रहे
जो विषय के भोगी पुरुष है वो इन विषयों को सत्य मानकर स्थाई मान कर उनका उपभोग करते हैं।
लेकिन
ज्ञानी इन विषय भोग को दुःख रूप जान कर इनको छोड़ देते हैं।
इसलिए
मनुष्य अच्छे बुरे सभी कर्मों को परमात्मा को अर्पण कर
ज्ञान की प्राप्ति करें
आत्म ज्ञान होने के बाद मन में किसी भी प्रकार की कोई कामना,वासना नहीं रहती
इसलिए
मनुष्य शरीर से हमें शिक्षा लेनी चाहिए ये अनमोल हीरा जन्म है।
The human body is a vagina. This body is very dear to God. Because All other yonis do only one karma, they are enjoying it. But can’t do new things Man can perform all actions in the vagina. He is free to act. He can earn money. One can attain bhakti, liberation, paramapad, initiation, education, satsang, bhajan, kirtana, sadhana, worship, samadhi and heaven, happiness and opulence. man to make money Hurts his body a lot. With that money, he takes care of his family as the means of his happiness and considering them all as his own, he suffers every sorrow, torture, calamity. But no one goes with him in the end times Only with him go his good and bad deeds. These senses of man weaken the self-power of man. They make him dance at his behest. So Man must first of all control the mind, the king of the senses. So that these senses of man do not make him unhappy Man can attain that knowledge from this body. So By not living us like animals This body should be used in the worship of God. act selflessly Whatever you do, keep offering it to God. Those who are the enjoyer of the subject, consider these subjects to be true and consume them as permanent. But The wise, knowing these subject pleasures as sorrow, leave them. So Man can offer all the good and bad deeds to God. gain knowledge After attaining self-knowledge, there is no desire, lust of any kind in the mind. So We should take education from the human body, this precious diamond is birth.