संसार की सारी सिद्धियां ऋद्धियां सिर्फ मनुष्य को परमात्मा के मार्ग पर आगे न बढने देने के लिए बनाई गई है ,, जो भी मनुष्य परमात्मा की राह पर आगे बढ़ना चाहता है उसे ऋद्धियां सिद्धियां स्वयं ही प्राप्त होने लगती हैं और इन सिद्धि रिद्धि के प्रभाव में आकर वह अपने मुख्य उद्देश्य को भूल बैठता है या मुख्य उद्देश्य से भटक जाता है,, जिस समाज में मान सम्मान के साथ धन प्राप्त होने लगता है फिर वह इन्हीं विषयों में अपना पूरा समय व्यतीत कर देता है ईश्वर की याद तक नहीं करता,,
इसलिए ईश्वर के मार्ग में वह मनुष्य आगे नहीं बढ़ सकता जिसमें संसार में ईश्वर के सिवाय कुछ भी देखने जानने या भोगने की इच्छा बाकी है,, ऐसे मनुष्यों की परीक्षा के लिए परमात्मा ने सारी ऋद्धियां सिद्धियां बनाया है,,
और जब मनुष्य सारी इच्छाओं का त्याग करके परमात्मा के सम्मुख खड़ा होता है तो यही ऋद्धियां सिद्धियां स्वयं ही उसकी सेवा में तत्पर रहती है,,
उस महापुरुष को कभी पता भी नहीं चलता है कि कौन सी रिद्धि सिद्धि ने कौन सा कार्य कर दिया,,
परंतु इन रिद्धि सिद्ध का पहला कार्य होता है मनुष्य को परमात्मा के मार्ग पर आगे न बढ़ने देना,, जो मनुष्य इन रिद्धि सिद्धि के चक्रव्यूह से बाहर निकल जाता है,, सारी ऋद्धियां सिद्धियां उसके नियंत्रण में आ जाती हैं और वह मनुष्य इन सब का अधिकारी बन जाता है उसे भविष्य में क्या चाहिए यह ऋद्धियां सिद्धियां पहले ही व्यवस्था कर देती हैं,, इसलिए परमात्मा की ऐसी व्यवस्था है की कोई भी अयोग्य व्यक्ति इन शक्तियों का अधिकारी ना बन जाए इसके लिए परमात्मा ने ऐसी व्यवस्था कर रखा है,, इतनी बड़ी माया फैला रखा है,,
सिद्धि रिद्धि के प्रभाव में न आये
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