आरती रघुवर लाला की,
सांवरिंया नैन विशाला की।
कमल कर धनुष बाण धारे,
सैलोने नैना रतनारे,
छवि लख कोटी काम हारे,
अलक की बलन,
पलक की चलन, पीत पट हलन,
लटक सुन्दर बन माला की।
आरती रघुवर लाला की,
सांवरिया नैन विशाला की।
संग सिया शोभा की खानी,
विराजे जगत जननी रानी
प्रेम भक्ति रस की दानी,
आरती रघुवर लाला की,
सांवरिया नैन विशाला की
भरत से वीर, लखन रणधीर,
प्रजा की भीर,
शत्रुघ्न रूप रसाला की।
आरती रघुवर लाला की,
सांवरिंया नैन विशाला की।
सदा तुम दीनन हितकारी,
अधम केवट शबरी तारी,
गीध की कर्म गति न्यारी।
सुरण को ईश, कौशलाधीश,
रक्ष जगदीश शंभू हृदय सुखपाला की।
आरती रघुवर लाला की,
सांवरिया नैन विशाला की ।
चरण चापत अंजनी को लाल,
प्रेम रस बाटत दीनदयाल,
बरस रही पुष्पों की जयमाल,
भक्त भय हरण, सदा सुख करण,
हरि ले शरण,
जानकी नाथ कृपाला की।
आरती रघुवर लाला की,
सांवरिंया नैन विशाला की।
जय श्री राम अनीता गर्ग