भोतिक सुख

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आज हम भौतिक सुख को जीवन की सच्चाई समझ बैठे हैं। आज हर व्यक्ति विशेष बहुत सुखदायी जीवन जीने के लिए अनेक साधन ढुंढता है। जीवन के सुख को प्राप्त करने के लिए हमने भाई चारे और परिवार वाद को खत्म कर दिया है। हम अपना सुख चाहते हैं अन्य चाहे कैसे भी रहे। हमनें परिवार नाम को खत्म कर दिया है परिवार के सदस्य हमें अच्छे नहीं लगते क्योंकि अपना सुख अपना जीवन सर्वोपरि हो गया है। अपना खाना अपने एश आराम के कारण हम सबसे कटते जा रहे हैं। हम नैतिक मूल्यों को भुल गए हैं। पैसे से हम सब साधन जुटाना चाहते हैं आज घर परिवार की टुटन में हर व्यक्ति पीसता जा रहा है। कोई भी एक दूसरे के सुख को देखकर खुश नहीं है। हम निरश जीवन के आदि हो गए हैं।

आदर्शों को हमने खत्म कर दिया है। आज की युवा पीढ़ी मां बाप को मान नहीं देती   हैं। बच्चे कभी यह नहीं सोचते हैं कि जिन मां बाप से जरा जरा-सी बात के लिए गुस्सा चढाते हो वे तुमसे कुछ लेना नहीं चाहते तुम आज किस धन की अहम मे हो वे तुम्हारा फिर भी करते रहेगे। लेकिन क्या आज का व्यक्ति बहुत सा धन इकट्ठा करके बहुत से भोतिक साधनो से खुश व शान्त है जब तक ओर ओर की दौड़ में लगे हुए हैं। हमने अपने अन्तर्मन की विचार शीलता को ठेस पहुंचाई है। धन भोतिक सुख और अहम देगा। मेलजोल को हम खत्म कर रहे हैं। अहम शान्ति नहीं देता है। हम जीवन जी लेते हैं लेकिन आपके ह्दय मे क्या शान्ति हैं। हम अन्य जीवों से भी बदतर जीवन जी रहे हैं प्रेम और भाईचारा परिवारों से खत्म हो गया है। हम मेहनत नहीं करना चाहते हैं इसलिए हमारा आई क्यु लो है हमे अपने विचारों को बङा बनाना होगा। आज भारतीय संस्कृति लुप्त हो रही है पाश्चात्य सभ्यता की तरफ हम बढ रहे हैं।
प्रेम भाव क्षमता सहनशीलता विस्वास जैसे विचारो का हमारे जीवन में कोई वास्ता नहीं है। क्योंकि सभी कमाने की दौड़ में दौड़ रहे हैं। सभी अपना धन को भगवान मान बैठे हैं आज के जीवन में छोटे बड़े का आदर्श खत्म हो गया है।सब चेहरे पर चेहरे लिए हुए है।चेहरे को हम अपने आप से ही छुपा रहे हैं। चेहरा चमकता है आदर्शों पर सहनशीलता पर अन्तर्मन की शांति पर क्या ये सब हमारे पास है। नहीं है हमारे विचारों की शुद्धता सबसे बड़ा धन है।जिस के दिल में होसले हैं वह कम मात्रा में भी बहुत कुछ करते हैं जय श्री राम अनीता गर्ग



Today we have understood material happiness as the reality of life. Today every person is looking for various means to lead a very happy life. To get the happiness of life, we have ended the brotherhood and family dispute. We want our own happiness, no matter how others live. We have abolished the family name, the members of the family do not like us because our own happiness has become paramount. We are cutting our food because of our fast comfort. We have forgotten moral values. We all want to raise resources with money, today every person is grinding in the tutton of the family. No one is happy to see each other’s happiness. We have become accustomed to a miserable life.

We have destroyed ideals. Today’s young generation does not give respect to parents. Children never think that the parents with whom you get angry for a little thing do not want to take anything from you. But is the person of today happy and peaceful by collecting a lot of money, with many material means, as long as they are engaged in the race for the other side. We have hurt the thoughtfulness of our conscience. Money will give material happiness and importance. We are ending the interaction. The ego does not give peace. We live life but what peace in your heart. We are living a life worse than other living beings. Love and fraternity have ended in families. We don’t want to work hard, so our IQ is low, we have to make our thoughts big. Today Indian culture is disappearing, we are moving towards western civilization. Thoughts like love, emotion, ability, tolerance, trust, have nothing to do with our lives. Because everyone is running in the race to earn. Everyone is considering their wealth as God. In today’s life, the ideal of small and big has ended. Everyone is with faces on their faces. We are hiding the face from ourselves. The face shines on ideals, on tolerance, but on inner peace, do we have all this. No, purity of our thoughts is the biggest wealth

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