ये सम्पूर्ण गीता का सार है जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि तु मेरा स्मरण चिन्तन करते हुए युद्ध कर फल की आशा मुझ सर्व आत्मा परमात्मा पर छोड़ दें।
तु सिमरण कर तु मुझ सर्वान्तर्यामी ईश्वर मे स्थित हुआ युद्ध कर ध्यान मार्ग में आने पर शरीर कुछ भी करे प्रभु चिन्तन चलता रहता है। अर्जुन युद्ध करते हुए गहरे ध्यान में है।
हम भगवान का चिन्तन मनन रात दिन सांस सांस से करते हैं तब हम ध्यान मार्ग मे आ जाते हैं। ध्यान में कार्य कर रहे हैं शरीर गौण हो जाता है। उस समय सबकुछ फलदायी है जय श्री राम अनीता गर्ग