परमात्मा को हम ग्रथों में ढुढते है मन्दिर और मुर्ति में ढुढते है। व्रत और त्योहार में ढुढते है।कथा पाठ भजन और ग्रथं का ज्ञान तुझ में भर सकता है। फिर सब सुबह और शाम है।
दिल में अन्तर्मन में कितने ही समय से कितने भाव भरे हुए हैं उनमे डुबकी लगाकर देख अ प्राणी तेरा जीवन सुधर जाएगा। प्रेम से भरे ह्दय को निहारते नहीं है। असंख्य वीणाए बज रही है। अन्तर्मन मे झांक कर देखने पर ही ग्रथं के सार तत्व को जान सकता है।
इन्द्रियों को अन्दर मोङने के लिए बाहरी दरवाजे बन्द कर लेना बाहर के द्वार बन्द होते ही ज्योत दिल की प्रज्वलित हो जाएगी। बाहर का उजाला तेरे किसी काम का नहीं है।तुझे ज्योत अन्दर की जगानी है तुझे रोशन मन को नहीं दिल को करना है। दिल रोशन किसी अन्य के सहारे से होता नहीं है।
भक्त अपने मन को जलाकर दिल को रोशन करता है। भक्त जानता है यह मन पाप की जङ है। नाम जप में विरह की ज्वाला जब प्रकट होगी तभी दिल का द्वार खुलेगा दिल में ईश्वर बैठे ध्यान लगाकर देखले।
तेरा सखा सहेला दिल में बैठा है। तु बाहर क्यों ठोकर खाता है
जय श्री राम अनीता गर्ग