परमात्मा को जानने के लिए हर क्षण परमात्मा का बनना होता है। अहो वह कोन सी घङी होगी जब मेरे स्वामी भगवान् नाथ को देख पाऊंगी। दिल मे हलचल मच जाती है। कभी इधर उधर देखती कहीं से मेरे प्रभु प्राण प्यारे की आहट आ रही है। सांसे थम जाती उस आहट में खो जाती हूं फिर नाम ध्वनि सुनती फिर अन्दर बाहर देखती हूँ।
ये तङफ भी बहुत अच्छी है। जो अन्तर्मन से प्रभु को निहारती है। भक्त अन्तर्मन से प्रभु प्राण नाथ के भाव मे लीन हो जाता है तब बाहरी पुजा छुट जाती है। खो जाता है अपने आप को भुल जाता है मै कोन हूँ।
प्रेम प्रदर्शित करने के लिए नहीं है। प्रभु प्राण नाथ से प्रेम में शरीर नहीं है आत्मा है।
परमात्मा तलाशी दिल की ले लो दिल में प्रभु प्राण नाथ बैठे हैं तलाशी नैनो की ले लो नैनो में भगवान बैठे हुए हैं तलाशी सांसो की ले लो सांसों में स्वामी बैसे हुए। कोई ऐसी जगह नहीं मेरे सांवरे सरकार की झलक न दिखती हो। ये
भगवान से मिलन की तङफ भी अन्तर्मन में होती है प्रभु प्राण नाथ का प्रेम ह्दय मे होता है भगवान श्री हरि भी हृदय में विराजमान होते हैं आत्मा का प्रकाश भी प्राणी के अन्दर होता है फिर भी प्रभु भगवान नाथ से साक्षात्कार नहीं होता है। ये कैसी तङफ दी मेरे प्रभु तु मुझे बाहर ही क्यों भटकाते हो ।
मेरे स्वामी दिल का एक ही अरमान है तुम्हे भजती रहुं ।मेरे भगवान कई बार दिल तङफता है कि अहो भगवान ने मुझे सबकुछ दिया ये मानुष जन्म दिया फिर भी मैने तुम्हें भजा नहीं तुम पल पल सहायक बने रहे मेरी दृष्टि में ही खोट होने के कारण तुम मुझे दिखाई नहीं दिए।
ये जीवन मिट्टी में ही रूल गया
भगवान से मिलन की तङफ जब पैदा हो जाती है तब भक्त दिल में बैठें भगवान से ही बात करता है ।यदि हम किसी के सामने आंसू बहातें है तब हम अन्दर के प्रभु प्रेम से बहुत दुर है।
भक्त के दिल मे प्रभु से मिलन का जो दर्द होता है उससे बढ कर कोई दर्द नहीं होता है
प्रीतम की प्रीत का दर्द नैनो में छलका कर जगत को दिखाया नहीं जाता। प्रिय का दर्द अन्तर्मन से पीया जाता है।
हमारे दिल में तङफ बढे तो प्रभु प्राण नाथ से प्रेम की हो। आज भगवान ने हमारे दिलों में दर्शन की तङफ जागृत की है।भगवान ही इस तङफ को मिटाएगे।
हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ आज दिल में तङफ की लहर दौड़ जाती है कि अहो जीवन की संध्या होने को आई मैंने तुम्हें अभी तो ध्याया भी नहीं है।
मेरे प्रभु मै अब तुम से और दुर नहीं रह सकती हूँ।
ये सांस तुम्हारी बन जाना चहती है आओ मेरे प्रभु अब ये प्राण तुम मे समा जाना चाहते हैं तुम कंहा चले गए ।
तङफ थोड़ी और बढ़ जाऐ
तङफ की लहर स्वामी के पास जाऐ तभी पुकार पुरी होगी।
आएगे प्रभु दिल के द्वार खुल जाएगे।
मिलन प्रभु से हो जाएगा। जन्मो की प्यास तृप्त होगी।
मेरे प्रियतम क्या तुम मुझसे रूठ गए हो
क्या मुझसे भुल हुई मेरे स्वामी हे मेरे भगवान हे प्रभु हे स्वामी हे प्राण प्रिय जमाना चाहे लाख पहरे लगाए।
प्रभु मै तुमसे मै मिल के रहुगा
तुम्हीं मेरे स्वामी तुम्ही प्राण प्यारे
ऐसी विकट घङी में प्रभु तुम मुझे दिखाई क्यो नही देते।
मै चल चल के आया तेरे द्वार पर मैने शिश है झुकाया तेरे चरणों में
प्रभु आज क्या भुल हुई है। ये दिल पुकारता है तुम चले आओ हे प्रभु तुम हमारे स्वामी तुम प्राण प्यारे आज दिल की तमन्ना यही है कि तुम इस दास को पवित्र बनाओ।
हे प्रभु अब तो एक ही सहारा है कि तुम हमारे दिल में बस जाओ।
जब तक सांस चले एक ही चाहत कब मेरे प्रियतम से मिलन होगा। कभी नैन बन्द करके खो जाऊं ।अपने प्रभु से मिलन के सपने संजोऊं।
आज भगवान ने हमारे दिलों में दर्शन की तङफ जागृत की है।
मेरे प्रभु कब तुम मेरे सामने होंगे ।मै अपने आप को भुल जाऊंगी। शरीर शिथिल पङ जाएगा ।मै तुम्हारे चरणों में खो जाऊंगी। वाणी मौन हो जाएगी ।क्योंकि जिसकी जन्मों से प्यास थी वे मेरे स्वामी भगवान् नाथ श्री हरि को मै आज साक्षात दर्शन कर रही होंगी ।जय श्री राम अनीता गर्ग