चूडामणि का अदभुत रहस्य

daniela izotenko hOhlYhAiizc unsplash

रामायण में वर्णित चूडामणि की कहानी बता रहे है। इस कहानी में आप जानेंगे की- १–कहाँ से आई चूडा मणि ? २–किसने दी सीता जी को चूडामणि ? ३–क्यों दिया लंका में हनुमानजी को सीता जी ने चूडामणि ? ४–कैसे हुआ वैष्णो माता का जन्म?*

*मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा*।
*जैसे रघुनायक मोहि दीन्हा*।।
*चूडामनि उतारि तब दयऊ*।
*हरष समेत पवनसुत लयऊ*।।

*चूडामणि कहाँ से आई*

*सागर मंथन से चौदह रत्न निकले, उसी समय सागर से दो देवियों का जन्म हुआ – १– रत्नाकर नन्दिनी २– महालक्ष्मी रत्नाकर*

*नन्दिनी ने अपना तन मन श्री हरि ( विष्णु जी ) को देखते ही समर्पित कर दिया ! जब उनसे मिलने के लिए आगे बढीं तो सागर ने अपनी पुत्री को विश्वकर्मा द्वारा निर्मित दिव्य रत्न जटित चूडा मणि प्रदान की ( जो सुर पूजित मणि से बनी) थी।*

*इतने में महालक्षमी का प्रादुर्भाव हो गया और लक्षमी जी ने विष्णु जी को देखा और मन ही मन वरण कर लिया यह देखकर रत्नाकर नन्दिनी मन ही मन अकुलाकर रह गईं सब के मन की बात जानने वाले श्रीहरि रत्नाकर नन्दिनी के पास पहुँचे और धीरे से बोले ,मैं तुम्हारा भाव जानता हूँ, पृथ्वी को भार- निवृत करने के लिए जब – जब मैं अवतार ग्रहण करूँगा , तब-तब तुम मेरी संहारिणी शक्ति के रूपमे धरती पे अवतार लोगी ,*


*सम्पूर्ण रूप से तुम्हे कलियुग मे श्री कल्कि रूप में अंगीकार करूँगा अभी सतयुग है तुम त्रेता , द्वापर में, त्रिकूट शिखरपर, वैष्णवी नाम से अपने अर्चकों की मनोकामना की पूर्ति करती हुई तपस्या करो।*

*तपस्या के लिए बिदा होते हुए रत्नाकर नन्दिनी ने अपने केश पास से चूडामणि निकाल कर निशानी के तौर पर श्री विष्णु जी को दे दिया वहीं पर साथ में इन्द्र देव खडे थे , इन्द्र चूडा मणि पाने के लिए लालायित हो गये, विष्णु जी ने वो चूडा मणि इन्द्र देव को दे दिया , इन्द्र देव ने उसे इन्द्राणी के जूडे में स्थापित कर दिया।*

*कुछ दिनो बाद शम्बरासुर नाम का एक असुर हुआ जिसने स्वर्ग पर चढाई कर दी इन्द्र और सारे देवता युद्ध में उससे हार के छुप गये कुछ दिन बाद इन्द्र देव अयोध्या राजा दशरथ के पास पहुँचे सहायता पाने के लिए इन्द्र की ओर से राजा दशरथ कैकेई के साथ शम्बरासुर से युद्ध करने के लिए स्वर्ग आये और युद्ध में शम्बरासुर दशरथ के हाथों मारा गया।*

*युद्ध जीतने की खुशी में इन्द्र देव तथा इन्द्राणी ने दशरथ तथा कैकेई का भव्य स्वागत किया और उपहार भेंट किये। इन्द्र देव ने दशरथ जी को ” स्वर्ग गंगा मन्दाकिनी के दिव्य हंसों के चार पंख प्रदान किये। इन्द्राणी ने कैकेई को वही दिव्य चूडामणि भेंट की और वरदान दिया जिस नारी के केशपास में ये चूडामणि रहेगी उसका सौभाग्य अक्षत–अक्षय तथा अखन्ड रहेगा , और जिस राज्य में वो नारी रहे गी उस राज्य को कोई भी शत्रु पराजित नही कर पायेगा।*

*उपहार प्राप्त कर राजा दशरथ और कैकेई अयोध्या वापस आ गये। रानी सुमित्रा के अदभुत प्रेम को देख कर कैकेई ने वह चूडामणि सुमित्रा को भेंट कर दिया। इस चूडामणि की समानता विश्वभर के किसी भी आभूषण से नही हो सकती।*

*जब श्री राम जी का व्याह माता सीता के साथ सम्पन्न हुआ । सीता जी को व्याह कर श्री राम जी अयोध्या धाम आये सारे रीति- रिवाज सम्पन्न हुए। तीनों माताओं ने मुह दिखाई की प्रथा निभाई।*

*सर्व प्रथम रानी सुमित्रा ने मुँहदिखाई में सीता जी को वही चूडामणि प्रदान कर दी। कैकेई ने सीता जी को मुँह दिखाई में कनक भवन प्रदान किया। अंत में कौशिल्या जी ने सीता जी को मुँह दिखाई में प्रभु श्री राम जी का हाथ सीता जी के हाथ में सौंप दिया। संसार में इससे बडी मुँह दिखाई और क्या होगी। जनक जीने सीता जी का हाथ राम को सौंपा और कौशिल्या जीने राम का हाथ सीता जी को सौंप दिया।*

*राम की महिमा राम ही जाने हम जैसे तुक्ष दीन हीन अग्यानी व्यक्ति कौशिल्या की सीता राम के प्रति ममता का बखान नही कर सकते। सीताहरण के पश्चात माता का पता लगाने के लिए जब हनुमान जी लंका पहुँचते हैं हनुमान जी की भेंट अशोक वाटिका में सीता जी से होती है। हनुमान जी ने प्रभु की दी हुई मुद्रिका सीतामाता को देते हैं और कहते हैं –*

*मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा*   *जैसे रघुनायक मोहि दीन्हा* *चूडामणि उतारि तब दयऊ*
*हरष समेत पवन सुत लयऊ*

*सीता जी ने वही चूडा मणि उतार कर हनुमान जी को दे दिया , यह सोंच कर यदि मेरे साथ ये चूडामणि रहेगी तो रावण का बिनाश होना सम्भव नही है। हनुमान जी लंका से वापस आकर वो चूडामणि भगवान श्री राम को दे कर माताजी के वियोग का हाल बताया।*

*इस तरह आगे रावण का वध होता है*



Telling the story of Chudamani as described in Ramayana. In this story you will know that- 1- Where did the Chuda Mani come from? 2- Who gave chudamani to Sita ji? 3- Why did Sita ji give chudamani to Hanuman ji in Lanka? 4- How Vaishno Mata was born?*

*Matu Mohi Dije Kachu Chinha*. * Like Raghunayak Mohi Dinha *. * Take off the chudamani then Dayu *. * Pawansut lyau including Harsh.

Where did the chudamani come from?

Fourteen gems came out of the ocean churning, at the same time two goddesses were born from the ocean – 1- Ratnakar Nandini 2- Mahalakshmi Ratnakar *

* Nandini dedicated her body and mind to Shri Hari (Vishnu ji) on seeing it! When she proceeded to meet her, Sagar presented her daughter with the divine gem Jatit Chuda Mani (which was made of Sur worshiped gem) made by Vishwakarma.*

In this way, Mahalakshmi was born and Lakshmi ji saw Vishnu and took a choice in his heart, seeing this Ratnakar Nandini was left in a state of dismay, Shri Hari Ratnakar, who knew about everyone’s mind, reached Nandini and said softly. , I know your feeling, whenever I take incarnation to relieve the burden of the earth, then you will incarnate on the earth as my destructive power,*

* I will completely accept you as Shri Kalki in Kaliyuga, now is the golden age, you are in Treta, in Dwapar, on the Trikuta peak, in the name of Vaishnavi, do penance fulfilling the wishes of your archakas.*

While leaving for penance, Ratnakar Nandini took out the Chudamani from her hair and gave it to Shri Vishnu ji as a sign, while Indra Dev was standing with him, Indra became eager to get the Chuda Mani, Vishnu ji gave it to him. Chooda Mani was given to Indra Dev, Indra Dev installed it in Indrani’s bundle.

After a few days there was an asura named Shambrasur, who ascended the heaven, Indra and all the gods hid from him after defeat in the war. A few days later, Indra went to Ayodhya King Dasharatha to get help from King Dasharatha Kaikeyi on behalf of Indra. Together, Shambrasura came to heaven to fight with him and in the battle, Shambarasur was killed by Dasharatha.

In the joy of winning the war, Indra Dev and Indrani gave a grand welcome to Dasharatha and Kaikeyi and presented them with gifts. Indra Dev gave Dasaratha ji four wings of the divine swans of “Swarg Ganga Mandakini”. Indrani gifted Kaikeyi the same divine chudamani and gave a boon to the woman whose hair she holds this chudamani, her fortune will be intact and intact, and no enemy will be able to defeat the state in which she lives.

King Dasharatha and Kaikeyi returned to Ayodhya after receiving the gift. Seeing the wonderful love of Queen Sumitra, Kaikeyi presented that chudamani to Sumitra. There can be no similarity of this chudamani with any jewelery around the world.

* When Shri Ram ji’s marriage was completed with Mata Sita. After marrying Sita ji, Shri Ram ji came to Ayodhya Dham, all the rituals were completed. The three mothers performed the custom of showing their faces.*

First of all, Queen Sumitra gave the same chudamani to Sita ji in front of her face. Kaikeyi presented Kanak Bhavan in front of Sita ji. In the end, Kaushilya ji showed Sita ji’s face and handed over the hand of Lord Shri Ram ji to Sita ji. A bigger face has been shown in the world than this and what will happen. Janak handed over Sita ji’s hand to Ram and Kaushilya Jeene Ram handed over the hand to Sita ji.*

Knowing the glory of Ram, only a humble, ignorant person like us cannot describe Kaushilya’s love for Sita Ram. After Sitaharan, when Hanuman ji reaches Lanka to find out the mother, Hanuman ji meets Sita ji in Ashok Vatika. Hanuman ji gives the ring given by the Lord to Sitamata and says -*

* Matu Mohi Dije Kachu Chinha * * like Raghunayak Mohi Dinha * * take off the chudamani then Dayu * * Pawan sut lyu with Harsh *

* Sita ji took off the same chuda mani and gave it to Hanuman ji, thinking that if this chuda mani remains with me, then it is not possible to destroy Ravana. Hanuman ji came back from Lanka and gave that chudamani to Lord Shri Ram and told the condition of the mother’s separation.

In this way Ravana is killed.

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