जिसके जीवन का लक्ष्य भगवान होते हैं ओर जो इस लक्ष्य को दृढ़ता से बनाये रखता हैं जगत की विपत्तियां उसके मार्ग में रोड़े नही अटका सकती।
भगवत कृपा से उसका पथ निष्कण्टक हो जाता हैं। कही कांटे भी रहते हैं तो उसके पैर वहां नहीं पड़ते, वे कांटे भी उसके लिए मखमल की तारो की तरह कोमल हो जाते हैं। कोई भी विघ्न उसके सामने आ कर विघ्न रूप न बन कर उसके सहायक हो जाते हैं।
एक भक्त प्रह्लाद था, वो एक ही कार्य करता था, ईस्वर का चिंतन मनन, सर्वस्व ईस्वर को सौप दिया, लेकिन जो उससे बैर रखते थे, वो उसको जितना परेशान करने की कोशिश करते, खुद उससे ज्यादा परेशान होते, बैरी यहाँ तक कहने लगे, की ये कोई चमत्कार कर लेता है, कोई जादू जानता है,
लेकिन वो तो केवल भगवत नाम स्मरण का जादू जानता था, और भक्त की रक्षा भगवान को कैसे करनी है, भक्त से बैर रखने वालों को कैसे दंड देना है, ये तो भगवान ही जाने, सच्चा भक्त तो केवल भगवत नाम स्मरण जानता है
रामहि केवल प्रेम पियारा
प्रेम का कोई रूप नहीं होता….
जब किसी की अनुभूति… स्वयं से भी अधिक अच्छी लगे तो वो प्रेम हैं….!!
ईश्वर को प्राप्त करने का सबसे उत्तम और सरल उपाय प्रेम ही है। प्रेम भक्ति का प्राण भी होता है। प्रेम के बिना इंसान चाहे कितना ही जप, तप, दान कर ले, ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता है।
दुनिया का कोई भी साधन प्रेम के बिना जीव को ईश्वर का साक्षात नहीं करा सकता है।
ईश्वर की कृपा पाने के लिए मन का निर्मल, सरल होना बहुत जरूरी है, कलुषित, कपटी मन से तीर्थ करने से अच्छा है, मन को निश्चल बनाए, दयालु, मददगार बने, इतना कर लिया, मानो सब तीर्थो की यात्रा का लाभ पा लिया,
जिनके ह्रदय में न तो प्रीति है और न प्रेम का स्वाद, जिनकी जिह्वा पर राम का नाम नहीं रहता- वे मनुष्य इस संसार में उत्पन्न हो कर भी व्यर्थ हैं। प्रेम जीवन की सार्थकता है। प्रेम रस में डूबे रहना जीवन का सार है।
एक सबसे बड़ी बात, अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम में रखने के बाद आप किसी भी ईश्वर की पूजा करते हैं, तो आज से ही बंद कर दीजिए, क्योंकि वो पूजा ईश्वर स्वीकार नहीं करेगा, अपने माता पिता को साथ में रखकर ईश्वर की पूजा करिए, जिसके घर में, मन में माता पिता के लिए जगह नहीं, उनके मन में भगवान की क्या जगह होगी, और वो भगवान की क्या पूजा कर रहा होगा
हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहही सुनही बहु विधि सब संता,,
राधेराधे जी🙏