जिनके देह नेह परि पूरण तें जगमगात जग माँहीं ।
जिन दरसें जिन परसें चिकनें रोम रोम ह्वै जाँहीं ॥
नरपसु दाग लगन उर जिन की बातें सुनत डराहीं ।
वल्लभ रसिक निसंक अंक भरि भरि तिन सों लपटांहीं ॥
श्री श्यामा श्याम की देह विशुद्ध प्रेम का प्रकाश है जिससे समस्त जग भी प्रकाशित होता रहता है ।
जिन रसिकों ने उन गौर श्याम वर्ण की देह का स्पर्श किया है, स्नेह से उनके रोम रोम चिकने हो गये हैं ।
इन रसिक लाड़ली लाल के प्रेम में जो दाग लगाते हैं वे नरपशु हैं, उनकी मैं बात तक भी सुनना नहीं चाहता हूँ ।
श्री वल्लभ रसिक जी कहते हैं कि मैं तो निशंक होकर, प्रिया प्रियतम को अपने अंक में भर भर कर, उनकी दिव्य देह से लिपटता रहता हूँ ।
जय श्रीराधे कृष्णा
Jinke deha neh pari puran ten jagmagat jag maahin. Jin darsen jin parsen chikne rom rom hvai jaanhin ॥ Narapasu daag lagan ur jin ki baaten sunat darahin. Vallabha Rasik Nisank Ank Bhari Bhari Tin Son Lapataanhin ॥
The body of Shree Shyama Shyam is the light of pure love by which the whole world also gets illuminated.
The lovers who have touched the body of that beautiful black color, their every hair has become smooth with affection.
I don’t even want to listen to these rasiks who stain the love of Ladli Lal, they are male animals.
Mr. Vallabh Rasik ji says that without any doubt, I keep hugging my dear beloved by filling my heart with her divine body.
Jai Shri Radhe Krishna