कैसे प्रकट हुए मेरे बांके बिहारी जी

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भगवान की भक्ति में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति और गायन से रीझकर भगवान श्री कृष्ण इनके सामने आ जाते। हरिदास जी मंत्रमुग्ध होकर श्री कृष्ण को दुलार करने लगते।

एक दिन इनके एक शिष्य ने कहा कि, आप अकेले ही श्री कृष्ण का दर्शन लाभ पाते हैं, हमें भी सांवरे सलोने का दर्शन करवाएं।

इसके बाद हरिदास जी श्री कृष्ण की भक्ति में डूबकर भजन गाने लगे। राधा कृष्ण की युगल जोड़ी प्रकट हुई और अचानक हरिदास के स्वर में बदलाव आ गया और गाने लगे-

भाई री सहज जोरी प्रकट भई,
जुरंग की गौर स्याम घन दामिनी जैसे।
प्रथम है हुती अब हूं आगे हूं रहि है न टरि है तैसे।।
अंग अंग की उजकाई सुघराई चतुराई सुंदरता ऐसे।
श्री हरिदास के स्वामी श्यामा पुंज बिहारी सम वैसे वैसे।।’

श्री कृष्ण और राधा ने श्री हरिदास जी के पास रहने की इच्छा प्रकट की।

हरिदास जी ने श्री कृष्ण जी से कहा कि, प्रभु! मैं तो संत हूं। आपको लंगोट पहना दूंगा लेकिन माता को नित्य आभूषण कहां से लाकर दूंगा।

भक्त की बात सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराए और राधा कृष्ण की युगल जोड़ी एकाकार होकर एक विग्रह रूप में प्रकट हुई। हरिदास जी ने इस विग्रह को बांके बिहारी नाम दिया।

श्री बांके बिहारी मंदिर में इसी विग्रह के दर्शन होते हैं। श्री बांके बिहारी के विग्रह में राधा कृष्ण दोनों ही समाए हुए हैं। जो भी श्री कृष्ण के इस विग्रह का दर्शन करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त के कष्टों को दूर कर देते हैं।

श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास



Whenever Haridas ji sat down to sing songs by being immersed in the devotion of God, he would get absorbed in the Lord. Lord Krishna would come in front of him after getting attracted by his devotion and singing. Haridas ji was mesmerized and started caressing Shri Krishna.

One day one of his disciples said that, you alone get the benefit of the darshan of Shri Krishna, let us also have the darshan of the evening salon.

After this Haridas ji started singing bhajans by drowning in the devotion of Shri Krishna. The duet of Radha Krishna appeared and suddenly Haridas’s tone changed and started singing-

Bhai Ri Sahaj Jori appeared, Like Jurang’s Gaur Siam Ghan Damini. The first is Huti, now I am ahead. Such is the lightness of the limbs, the cleverness of beauty. Shree Haridas’s Swami Shyama Punj Bihari Sam anyway.’

Shri Krishna and Radha expressed their desire to stay with Shri Haridas ji.

Haridas ji said to Shri Krishna ji that, Lord! I am a saint I will make you wear a nappy, but from where will I bring the daily jewelery to the mother?

Hearing the words of the devotee, Shri Krishna smiled and the pair of Radha-Krishna united and appeared in a Deity form. Haridas ji named this Deity as Banke Bihari.

This Deity is seen in Shri Banke Bihari Temple. Both Radha Krishna are absorbed in the deity of Shri Banke Bihari. Whoever sees this Deity of Shri Krishna, his wishes are fulfilled. Lord Shri Krishna removes the sufferings of his devotee.

Shri Kunj Bihari Shri Haridas

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