मैंने नहीं, तुमने मुझे चुना था।
तब से ही , जागती आंखों से
तुम्हारे सान्निध्य का
ख़ाब मैंने बुना था।
मुझे यकीं था,
तुम ज़रूर आओगे।
शुष्क मन की धरती पर
अमृत से बरस जाओगे।।
और सच में तुम आये थे
उन्हें करने साकार।
पाया था तुम से मैंने
अद्वितीय, अनमोल उपहार।
अधरसुधा से तुम
उन्मत्त मुझे कर गये।
पोर-पोर में मेरे
मादकता भर गए।
नयनों में छा गयी थी
इक मीठी खुमारी सी
लगने लगी थी यह सारी
कायनात प्यारी सी।
मस्ती में डूबी सी
अपने ही मद में मैं चूर थी।
अपने ही भाग्य पर
अचम्भित, मगरूर थी।
मूंदे नयन, अलसाई
अंगड़ाई ले खुले थे ,
तैर रहे थे अभी भी
स्वप्न उनमें चुलबले से।
लेकिन दिखाई दिए
अब के तुम नहीं।
एकाएक ही न जाने
खो गए थे तुम कहीं।
क्या कसूर था मेरा ?
जो यूँ बिन बताये तुम चले गए??
दिल के साथ साथ मेरे
ये दो नयन भी छले गये।।
फिर से वो अपना प्यारा सा
मुखड़ा दिखा दो हमें…
आ जाओ माधव !
बेवजह यूंही न सजा दो हमें… ।।
I didn’t, you chose me.
Since then, with the waking eyes..
near you
I had knitted well.
I was sure to make it come true
You will definitely come
on dry land
You will be showered with nectar.
and you really came
make them come true.
I found you
Unique, priceless gift.
half-heartedly you
Made me frantic.
pore in my
Drunkenness filled.
was covered in my eyes
a sweet delight
It all seemed
Very cute
engrossed in fun
I was crushed in my own mind.
on your own fate
Surprised, it was arrogant.
Moond Nayan, Alsai
Were open with thongs,
were still swimming
Dreams sparkle in them.
but appeared
Not you now
don’t know all of a sudden
You were lost somewhere.
What was my fault?
You went away without telling me what??
along with my heart
These two eyes were also deceived.
she’s my sweetheart again
Show us the face…
Come on, Madhav!
Don’t punish us unnecessarily…