जय श्री कृष्णा कल रात .. एक अनूठा सपना आया ..
लगा .. अरे .. ये तो कोई अपना आया ..
कुछ देर तक तो .. भरोसा ना आया ..
अवाक् हुआ देख .. उसने हौले से हिलाया ..
चौंक कर कहा मैंने ~ ये तुम ही हो .. ? क्या ये तुम ही हो …. कृष्ण … ?? स्वप्निल मुस्कान के साथ कहा उसने हाँ …
आता हूँ मैं .. जब बुलाता है कोई .. बिना तृष्णा .. !!
कहा मैंने ~
मन में उठ रहे हैं .. प्रश्न बार बार ..
करनी है तुमसे .. बातें दो चार ..
आज कहाँ है … तुम्हारी बाँसुरी ..
और कहाँ है .. वो मोर पाँखुरी ..
क्या प्रभु ~~ सिर्फ साल में एक बार ..
जन्माष्टमी के दिन .. आते हो ..
बाकी के दिन .. कहाँ पर बिताते हो .. ?
थोड़ी सी गंभीर मुद्रा में बोले ~~~
कब तक मुझे .. बार बार इस तरह जन्माते रहोगे ..
कब तक मुझे .. फिर फिर नटखट बालक बनाते रहोगे ..
कब तक .. मेरे सर .. पाँखुरी सजाते रहोगे ..
कब तक .. मेरे होठों से .. बाँसुरी बजाते रहोगे ..
कब तक मुझे .. सिर्फ मंदिर में .. बिठाते रहोगे ..
कब तक .. मेरी मूरत को .. मेरे ही फूल चढाते रहोगे .. ?
अचम्भित सा मैं … देख रहा था .. उनकी ओर ..
बोले वो ~~ करो मेरी बात पर .. जरा गौर ..
मैंने दिया था .. जो सार्थक ज्ञान …
कब करोगे .. उस ज्ञान का भान …
ये बाँसुरी और पाँखुरी .. ही नहीं है .. मेरी पहचान .. !!
ये ओंकार नाद .. मेरी ही बाँसुरी की आवाज है ..
हर संगीत में बज रहा .. मेरा ही साज है ..
ये सौंदर्य … जो चारों तरफ .. बिखरा है ..
देखो .. चहुँ ओर .. मेरा ही रूप .. निखरा है .. !!
कब बजाओगे अपने हृदय में इस बाँसुरी की तान कब करोगेमेरे सच्चे स्वरूप की .. पहचान ..
कब करोगे ~~ अपने चैतन्य में .. मेरे रूप का ज्ञान .. ?
मैं तो ~~ हर समय .. हर क्षण .. हर कण कण में रहता हूँ
पर तुम ही … सोये सोये रहते हो ..
जाने .. कैसे कैसे सपनों में .. खोये खोये रहते हो .. !!
हतप्रभ मैं ये सपना था ..? ?
झूठ था .. या .. सच था .. ?
पर जो सुना .. वो तो .. सच था .. !!!
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jai shree krishna last night .. had a unique dream .. I felt.. hey.. this is someone of our own.. For some time I could not believe it.. I was speechless.. He shook me gently.. Shocked I said ~ is it you..? Is this you… Krishna…?? With a dreamy smile she said yes… I come.. when someone calls.. without craving..!!
where did i say~ Questions are arising in mind again and again.. I want to talk to you.. two or four things..
Where is today… your flute.. And where is.. that peacock feather.. what lord ~~ only once a year.. On the day of Janmashtami.. you come.. Where do you spend the rest of the days..?
Speak in a bit serious posture~~~ How long will you keep giving birth to me like this again and again.. How long will you keep making me a naughty boy again.. Till when.. my head.. will you keep decorating the petals.. Till when.. will you keep playing the flute.. with my lips.. How long will you keep me sitting.. only in the temple.. Till when.. will you keep offering my idol.. only my flowers..?
Surprised I … was looking .. towards them .. He said ~~ Pay attention to my words.. I had given .. which meaningful knowledge… When will you realize that knowledge… This flute and pankhuri.. are not there.. my identity..!!
This Omkar Naad.. is the sound of my flute.. Playing in every music.. It is my instrument.. This beauty… which is .. scattered all around.. Look.. everywhere.. my form.. has blossomed..!!
When will you play this flute in your heart, when will you recognize my true nature.. When will you ~~ in your consciousness.. the knowledge of my form..?
I am ~~ every time .. every moment .. every particle But you are the one who keeps on sleeping.. Don’t know.. how you keep getting lost in dreams..!!
Bewildered I had this dream..? , Was it a lie.. or.. was it true..? But what I heard.. was.. true..!!!
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