उद्धवजी प्रेमतत्व व्रज में

उद्धवजी को समझ नहीं आ रहा था कि व्रज को याद करते ही प्रभुकी आँखे क्यों बह निकलती है।
जीव जब अपना जीवत्व छोड़कर ईश्वरके साथ प्रेमसे तन्मय हो जाता है,तब ईश्वर अपना ऐश्वर्य भूल जाते है।

श्रीकृष्ण मथुरा के राजा थे पर आज अपना ऐश्वर्य भूल गए है। प्रेम में पागल बने रथ के पीछे दौड़ रहे है।
तब उद्धवजी बोले- आप राजा है,आप ईश्वर है। आपका इस प्रकार रथ के पीछे दौड़ना शोभास्पद नहीं है।
आप चिंता न करे। मै सबको भली-भाँति उपदेश दूँगा।

अब प्रभु रुक गए और सोचते है -मेरा उद्धव भाग्यशाली है,जो प्रेमभूमि में जा रहा है। वे रथ को देखते ही रहे।
उद्धव अभी भी सोच रहे है कि व्रज में ऐसा क्या है? उद्धव प्रेमतत्व को बराबर नहीं जानते।

इस तरफ जब से कन्हैया ने गोकुल छोड़ा है,वन की कुंजे विरान सी हो गई है।
यमुनाका जल गोपियों के आँसुओकी धारा सा लग रहा है। गायोंने घास खाना छोड़ दिया है-
और मथुरा की दिशा निहारती रहती है। श्याम-विरह में हर कोई व्यथित है,व्याकुल है।

जब से कन्हैया मथुरा गया है,नन्द-यशोदा ने अन्न का एक दाना भी मुँह में नहीं रखा है।
जब तक वह वापस नहीं लौटेगा,हम नहीं खायेंगे। उन्हें -न रात को नींद आती है और न दिन को चैन।

यशोदाजी सोचती रहती थी कि कन्हैया जब लौटेगा तो मै उसे गले लगा लूंगी और गोद में बिठाकर भोजन कराऊँगी। उसे खिलाकर ही मै खाऊँगी। घर की हर चीज़ कन्हैया की याद दिलाती थी।
नन्द-यशोदा इस प्रकार लालाकी याद में डूबे रहते,आँसू बहाते रहते और परस्पर आश्वासन देते थे।

यशोदाजी आँगन में बैठे हुए नन्दको उलाहना दे रही है। आप ही के कारण लाला ने व्रज छोड़ा है।
आप उसे गायों को चराने के लिए भेजते थे। वह मुझे कहता था कि- उसे अन्य गोपबालक नचाते और दौड़ाते है। व्रजवासी उसे ठंडी रोटी खिलाते थे। सो वह परेशान होकर रूठ गया और गोकुल छोड़कर चला गया।
वह गायोंके पीछे दौड़-दौड़कर थक गया सो चला गया।

व्रजसे जाते समय उसने मुझे वापस आने का वचन दिया था। मेरे आँसू वह देख नहीं पाता था।
जब भी मै रोती वह बड़े प्यार से मुझे मनाने लगता था। आज वह ऐसा निष्ठुर क्यों हो गया है?
मथुरा के लोगों ने कुछ जादू-टोना कर दिया होगा।
मैंने सुना है कि मेरा लाला मथुरा का राजा बन गया है। मुझे यह सुनकर खूब आनंद हुआ है।
पर वह यहाँ क्यों नहीं आता? लाला को इस प्रकार याद करके यशोदाजी रोने लगी।

तब नंदजी कहने लगे कि-मैंने कब गायों को चराने के लिए उन्हें भेजा था?

वही मुझे कहता था कि-गायों की सेवा के लिए ही उसका जन्म हुआ है। उसे गायों के बिना चैन नहीं आता था । उसके विरह में गायो ने भी खाना-पीना छोड़ दिया है। वे दुबली हो गई है। गंगी गाय तो घर पर भी नहीं आती। भूखी-प्यासी वृंदावन में घूमती रहती है। मै दुःख के मारे गौशाला में पाँव तक नहीं रख सकता हूँ।
RADHE RADHE JAI SHREE KRISHNA JI
VERY GOOD MORNING JI



Uddhavji could not understand why Lord’s eyes watered when he remembered Vraj. When the creature leaves its existence and becomes engrossed in love with God, then God forgets its opulence.

Shri Krishna was the king of Mathura but today he has forgotten his glory. Running after the chariot madly in love. Then Uddhavji said – You are the king, you are God. It is not good for you to run behind the chariot like this. Don’t you worry I will give good advice to everyone.

Now the Lord stops and thinks – My Uddhav is lucky, who is going to the land of love. They kept looking at the chariot. Uddhav is still thinking that what is there in Vraj? Uddhav does not know the essence of love equally.

Ever since Kanhaiya left Gokul on this side, the forest has become deserted. Yamunaka water looks like a stream of tears of gopis. The cows have stopped eating grass. And keeps looking towards Mathura. Everyone is distressed, distraught in Shyam-Virah.

Ever since Kanhaiya has gone to Mathura, Nand-Yashoda have not kept even a grain of food in their mouth. We will not eat until he returns. They neither get sleep at night nor rest during the day.

Yashodaji used to think that when Kanhaiya returns, I will hug him and feed him by making him sit on my lap. I will eat only after feeding him. Everything in the house reminded of Kanhaiya. Nand-Yashoda remained engrossed in the memory of Lala in this way, shed tears and used to assure each other.

Yashodaji is scolding Nand while sitting in the courtyard. Lala has left Vraj because of you. You used to send him to graze the cows. He used to tell me that other children make him dance and make him run. The residents of Vraj used to feed him cold bread. So he got angry and left Gokul. He got tired of running after the cows and went to sleep.

While leaving Vrajse, he had promised me to come back. He could not see my tears. Whenever I used to cry, he used to persuade me with great love. Why has he become so callous today? The people of Mathura must have done some witchcraft. I have heard that my son has become the king of Mathura. I am very glad to hear this. But why doesn’t he come here? Remembering Lala in this way, Yashodaji started crying.

Then Nandji started saying- When did I send them to graze the cows?

He used to tell me that he was born only to serve the cows. He could not rest without the cows. Due to his separation, even the cows have stopped eating and drinking. She has become thin. Gangi cow does not even come to the house. Hungry and thirsty she keeps roaming in Vrindavan. I can’t even step foot in the cowshed because of grief. RADHE RADHE JAI SHREE KRISHNA JI VERY GOOD MORNING JI

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