मैं सर्वव्यापिक निराकार अनंत अकथनीय अद्धितीय अतुलनीय अवर्णनीय अभूतपूर्व अनुपम हूँ
मैं वात्सल्य में हूँ भातृत्व में हूँ भक्ति में हूँ मानवता में हूँ। मैं दया करुणा त्याग समर्पण अर्पण में हूँ
मैं प्रत्येक संबन्ध की मधुरता में हूँ संजीवता में हूँ। मैं ही स्त्रोत्र हूँ ज़ीवन का
मैं ही गीता कुरान बाईबल हूँ
मैं सत्य शिव सुन्दर हूँ मैं तुम्हारे ही धड़कन के स्पंदन में हूं।
कहाँ खोज रहे हो मुझे तेरी हर बात में ,संग संग साथ में तेरी ही धड़कन में तेरी ही शक्ति में तेरी ही भक्ति में तेरी ही रग रग के खून में,
तेरी ही पुरी व्यवस्था में तेरी ही आस्था में तेरी ही आस और विश्वास में तेरा ही श्वाँस प्रश्वाँस में और तेरी ही एहसास में ,,यात्रा करो खूद में खूद को भुलकर ढ़ूढ़ो तो तेरे ही पास
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शुक्रिया उस परमात्मा पिता का जो ख्याल रखता है हम सभी का
जन्म देते ही दिया जिसने धरा , अग्नि, वायु,जल, और आकाश जिसने दिया,
हम सभी को इसका एहसास मां के रुप में दिया स्वर्ग और पिता के रुप में छत्र छाया
जिसके अपने द्वारा रचित रचना और उसकी ही ये माया, गुरु के रुप में दिया मार्गदर्शन ,,,मन में दिया भाव में प्रार्थना मनसा कर्मणा वाचा में चरण वंदन,,
परिवार के रुप में दिया प्यार शुक्रिया करो परमात्मा का, जिसने जीवन दिया संवार,,,, शुभ हो मंगल हो ऊं नम: शिवाय