परमात्मप्राप्ति का उद्देश्य लेकर चलनेवाले जितने भी मनुष्य हैं, उन सबको परमात्मप्राप्ति होगी, पर कब होगी ? कितने जन्मोंके बाद होगी ? इसका पता नहीं है। शरीरको अपना और अपने लिये मानते हुए कोई साधन करेगा तो उसको कितने जन्म लेने पड़ेंगे, कितनी योनियाँ भोगनी पड़ेंगी, इसका कुछ पता नहीं है। इसलिये मेरी शुरूसे यही लगन रही है कि मनुष्यको जल्दी परमात्मप्राप्ति कैसे हो ?
यद्यपि किया हुआ साधन निरर्थक नहीं जाता, तथापि परमात्माकी प्राप्ति जल्दी कैसे हो, यह लगन होनी चाहिये। लगन नहीं होगी तो कई जन्म लग जायँगे। जो वस्तु कल मिलेगी, वह आज मिलनी चाहिये, आज भी अभी मिलनी चाहिये। परमात्मा भी मौजूद हैं, आप भी मौजूद हैं, फिर देरी किस बातकी ? परमात्मप्राप्तिमें देरीकी बात मेरेको सुहाती नहीं। जो काम जल्दी हो सके, उसके लिये देरी क्यों ? जो अभी काम हो सके, उसके लिये कल क्यों ?
आपके कैसे ही पाप-ताप हों, आप कितने ही दुर्गुणी-दुराचारी हों, पर आपकी लगन लग जाय तो आज परमात्मप्राप्ति हो सकती है।
राम ! राम !! राम !!!