एक बार कृष्ण के सखा उद्धव जी जो ज्ञान और योग सीख कर उसकी महत्ता बताने में लगे थे तब ,कृष्ण ने उन्हें एक चिट्ठी लिख कर दी जिस पर कृष्ण ने लिखा था कि ” मैं अब वापस नहीं आऊंगा तुम सभी मुझे भूल जाओ और योग में ध्यान लगाओ ” और कहा कि इसे ले जाकर ब्रज के लोगों को दिखाना और योग के महत्व से उन्हें परिचित करवाना | उद्धव जी के लिए परमब्रह्म का लिखा लेख वेद समान था वे उसे संभाले संभाले ब्रज में गए और कृष्ण विरह में व्याकुल राधा जी को वह पाती दिखाई , राधा रानी ने उसे पढ़े बिना गोपियों को दे दी और गोपियों ने उसे पढ़े बिना उसके कई टुकड़े कर आपस में बाँट लिया | उद्धव जी बबौखला गए , चिल्लाने लगे अरे मूर्खो इस पर जगदगुरु ने योग का ज्ञान लिखा है , क्या तुम कृष्ण विरह में नहीं हो जो उनका लिखा पढ़ा तक नहीं |
तब राधा जी ने उद्धव को समझाया
” उधौ तुम हुए बौरे, पाती लेके आये दौड़े…हम योग कहाँ राखें ? यहां रोम रोम श्याम है “
अर्थात हे उधौ कृष्ण तो यहां से गए ही नहीं ? कृष्ण होंगे दुनिया के लिए योगेश्वर यहां पर तो अब भी वो धूल में सने हर घाट वृक्ष पर बंसी बजा रहे हैं | बताओ कहाँ है विरह ? यह ज्ञान आज के युग के लिए एक मार्ग दर्शन है , जब कि हम कृष्ण को आडम्बरों में खोजते हैं |
क्यों नहीं हो पाया राधा कृष्ण का भौतिक मिलन :-
मथुरा जाते समय राधा रानी ने कृष्ण का रास्ता रोका था , मगर कृष्ण ने उन्हें समझाया था कि यदि मैं तुमसे बंध गया तो मेरे जन्म का प्रायोजन व्यर्थ चला जाएगा, जगत में पाप और अधर्म का साम्राज्य फैलता ही जाएगा | मैं प्रेमी बनकर संहार नहीं साध सकता , मैं ब्रज में रहकर युद्ध नहीं रचा सकता , मैं बांसुरी बजाते हुए चक्र धारण नहीं कर सकता | और यह सत्य भी है कि राधा से विरह के बाद कृष्ण ने कभी बांसुरी को हाथ नहीं लगाया | कृष्ण ने मथुरा जाते समय राधा से साथ चलने को कहा था , किन्तु राधा भी कृष्ण की गुरु थीं , वे समझ सकती थीं कि जिसे संसार को मोह से मुक्ति का पथ सिखाना है , उसे मोह में बाँध कर मैं समय चक्र को नहीं रोकूंगी | और उन्होंने कृष्ण से वचन लिया कि वे जब अपने जन्म -अवतार के सभी उद्देश्यों को पूर्ण कर लें तब लौट आएं , और ऐसा हुआ भी कृष्ण अपने जन्म के सभी प्रायोजनों को पूर्ण कर , और अपने अवतार के कर्तव्य से मुक्त हो सदैव राधा के हो गए | वे अब ना द्वारिका में मिलते हैं, और ना ही कुरुक्षेत्र में , वे तो आज भी ब्रज की भूमि पर राधा रानी के साथ धूल उड़ाते दौड़ते जाते हैं…दूर तक
राधे राधे🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Once Krishna’s friend Uddhav ji who was engaged in telling the importance of learning knowledge and yoga, then Krishna wrote a letter to him on which Krishna wrote that “I will not come back now, you all forget me and go to yoga.” Meditate” and said to take it and show it to the people of Braj and introduce them to the importance of Yoga. For Uddhav ji, the writing written by Parambrahma was like Vedas, he went to Braj handling it and showed it to Radha ji, distraught in Krishna’s separation, Radha Rani gave it to the gopis without reading it and without reading it, the gopis cut it into many pieces. shared among themselves. Uddhav ji went berserk, started shouting, you fools, Jagadguru has written the knowledge of Yoga on this, are you not in separation from Krishna, who did not even read his writings. Then Radha ji explained to Uddhav “You have become blind here, you have brought the leaves and ran… where should we keep the yoga? It is dark here.” That means O Udhau Krishna, hasn’t he gone from here at all? Krishna will be Yogeshwar for the world here, so even now he is playing flute on every ghat tree covered in dust. Tell me where is the separation? This knowledge is a guide for today’s age, when we seek Krishna in the ostentatious. Why the physical union of Radha Krishna could not happen :- While going to Mathura, Radha Rani had blocked Krishna’s way, but Krishna had explained to her that if I get tied to you, then the purpose of my birth will go in vain, the kingdom of sin and unrighteousness will continue to spread in the world. I cannot cause destruction by being a lover, I cannot create war while living in Braj, I cannot wear the discus while playing the flute. And it is also true that Krishna never touched the flute after separation from Radha. Krishna had asked Radha to accompany him while going to Mathura, but Radha was also Krishna’s teacher, she could understand that I will not stop the cycle of time by tying him to the one who has to teach the world the path of freedom from illusion. And he took a promise from Krishna that he would come back when he had completed all the purposes of his birth-incarnation, and it happened that Krishna fulfilled all the purposes of his birth, and was free from the duty of his incarnation to always belong to Radha. gone | Now they are neither found in Dwarka, nor in Kurukshetra, even today they keep running with Radha Rani on the land of Braj raising dust…
Radhe Radhe🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻